शौचालय हेतु सही वास्तु

क्या आप गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक मुद्दों का सामना कर रहे हैं? क्या आपको परिसंचरण तंत्र से संबंधित कोई स्वास्थ्य समस्या है? क्या आपके भुगतान/पेमेंट अवरुद्ध या विलंबित हैं? क्या आप बुरी तरह से मन की शांति, प्रतिष्ठा और अपने नाम को खो चुके हैं?
यदि हां, तो कृपया अपने शौचालय/ स्नानघर की जांच कराएं क्योंकि इसका कारण आपके स्नानघर की दिशा हो सकती है। और हां, जांच करके यह जानना चाहिए कि क्या यह वास्तु के अनुसार बना है या नहीं।
शौचालय/स्नानघर के वास्तु नियम/ Vastu for Toilet/Bathroom tips
शौचालय और स्नानघर के वास्तु पर विशेष ध्यान देना उचित होता है। अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न करने वाला घर का अकेला क्षेत्र होने के कारण इसकी योजना बहुत सावधानीपूर्वक करने की आवश्यकता होती है।
कुछ समय पहले तक, नकारात्मकता को अंदर न आने देने के लिए शौचालयों को घर के बाहरी ओर बनाया जाता था, पर अब फ्लैट और अपार्टमेंट संस्कृति के बढ़ने से कम स्थान की उपलब्धता के कारण शौचालय या स्नानघर अंदर ही बनाए जाने लगे हैं।
शौचालय/स्नानघर के वास्तु नियम/ Vastu for Toilet/Bathroom tips
शौचालय और स्नानघर के वास्तु पर विशेष ध्यान देना उचित होता है। अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न करने वाला घर का अकेला क्षेत्र होने के कारण इसकी योजना बहुत सावधानीपूर्वक करने की आवश्यकता होती है।
कुछ समय पहले तक, नकारात्मकता को अंदर न आने देने के लिए शौचालयों को घर के बाहरी ओर बनाया जाता था, पर अब फ्लैट और अपार्टमेंट संस्कृति के बढ़ने से कम स्थान की उपलब्धता के कारण शौचालय या स्नानघर अंदर ही बनाए जाने लगे हैं।
इसलिए किसी भी तरह की नकारात्मकता को अंदर न आने देने के लिए शौचालय बनवाते समय दिशा का ध्यान रखना चाहिए। इस लेख के माध्यम से हम शौचालय/स्नानघर से संबंधित सभी सामान्य प्रश्नों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। हम किसी भी शौचालय संबंधित सामानों के आंतरिक रखरखाव से जुड़ी समस्याओं आदि से संबंधित सही और गलत जगहों के बारे में बताने की कोशिश करेंगे, जिनको आप घर के शौचालयों और स्नानघरों को वास्तु के अनुसार बनाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
शौचालय और स्नानघरों के वास्तु पर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?/ Why pay special attention to Vastu for Toilets and Bathrooms?
माना जाता है, कि शौचालय को गलत स्थान पर रखने से स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएं बनी रह सकती हैं। सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि ज्यादातर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। बहुत से लोगों को कुछ अन्य चुनौतियों और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है तथा बहुत से व्यक्तियों को बिना वास्तु के अनुसार बने स्नानघरों और शौचालयों के कारण कई मुद्दों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
विभिन्न दिशाओं में गलत जगह के कारण अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शौचालय और स्नानघरों के वास्तु पर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?/ Why pay special attention to Vastu for Toilets and Bathrooms?
माना जाता है, कि शौचालय को गलत स्थान पर रखने से स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएं बनी रह सकती हैं। सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि ज्यादातर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। बहुत से लोगों को कुछ अन्य चुनौतियों और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है तथा बहुत से व्यक्तियों को बिना वास्तु के अनुसार बने स्नानघरों और शौचालयों के कारण कई मुद्दों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
विभिन्न दिशाओं में गलत जगह के कारण अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उत्तर-पूर्व का शौचालय/ Toilet in North-East
टॉयलेट सीट का गलत स्थान पर होना गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों का कारण हो सकता है।
इससे विचारों और सोच के प्रवाह में रुकावट आने से खराब निर्णय करने की संभावना रहती है।
उत्तर-पूर्व में स्थित शौचालय गंभीर न्यूरोलॉजिकल और पक्षाघात का कारण हो सकता है।
पूर्व का शौचालय/ Toilet in East
पूर्व में स्थित शौचालय सामाजिक स्तर पर सीमित और खराब संबंधों का कारण हो सकता है तथा व्यक्तियों को आगे बढ़ाने में मदद करने लायक उचित साथी भी नहीं मिल पाता है। एक उपयुक्त जोड़ी बनाने के लिए उचित जीवनसाथी नहीं मिल पाता है।
यह यकृत और पित्ताशय संबंधी स्वास्थ्य संबंधी विकार का कारण हो सकता है। शौचालय द्वारा परिसंचरण तंत्र संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
दक्षिण-पूर्व का शौचालय/ Toilet in South-East
इस दिशा में स्थित शौचालय आर्थिक हानि होने से गंभीर धन संकट का कारण बन सकता है। व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के भुगतान अवरुद्ध या विलंबित हो सकते हैं।
ऐसा शौचालय विशेषकर घर की महिलाओं में गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों का कारण बन सकता है। इससे विवाह में भी देरी हो सकती है। गर्भवती माताओं के लिए ऐसा शौचालय अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से जोखिम में डाल सकता है।
दक्षिण का शौचालय/ Toilet in South
यह इमारतों और व्यक्तियों की लंबी उम्र के लिए उपयुक्त दिशा होती है लेकिन ऐसे शौचालय बनाने से दोनों को खतरा हो सकता है। ऐसे शौचालय और स्नानघर से मानसिक शांति की कमी और पाचन तंत्र से संबंधित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
इससे आयकर, पुलिस विभाग से संबंधित और कई अदालती मामले हो सकते हैं।
दक्षिण में शौचालय होने से प्रतिष्ठा और ब्रांड के नाम पर प्रभाव पड़ता है।
दक्षिण-पश्चिम का शौचालय/Toilet in South-West
इसे पितृ स्थान कहा जाता है इसलिए यहां शौचालय बनाना सख्त मना होता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा शरीर के मूलाधार चक्र को दर्शाती है जो स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार होता है। ऐसे शौचालय निश्चित रूप से जीवन में स्थिरता और पारिवारिक संबंधों में बाधा पहुंचा सकते हैं।
पश्चिम का शौचालय/ Toilet in West
पश्चिम दिशा लाभ, उन्नति, प्रेरणा और वृद्धि की दिशा होती है। व्यावसायिक व्यक्तियों के लिए, आर्थिक स्थिति पर वृद्धि और विस्तार करने में एक शौचालय कई बाधाओं का कारण बन सकता है।
यदि आप सफलता पाने की दिशा में चरम बिंदु या अंतिम कदम पर अटक जाते हैं, तो इसका एक महत्वपूर्ण कारण शौचालय भी हो सकता है।
उत्तर-पश्चिम का शौचालय/ Toilet in North-West
जीवन में शौचालय किसी भी नींव को बाधित कर सकता है। इससे भवनों के निर्माण में देरी या संबंधों की नींव कमजोर पड़ सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पश्चिम का शौचालय संपत्ति के विवादों के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
अत्यधिक आवश्यकता के समय भी आपको किसी उचित व्यक्ति का सहयोग कभी भी नहीं मिल पाता है। उत्तर-पश्चिम के शौचालय से बचत और निवेश में बाधा आ सकती है।
यदि आप इस बारे में अधिक जानकारी पाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक पर हमारे मुफ्त कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर का शौचालय/ Toilet in North
धन के स्वामी भगवान कुबेर की दिशा- धन कमाने के लिए यह दिशा उपयुक्त होती है। अतः इस दिशा में शौचालय का निर्माण धन कमाने के प्रत्येक अवसर को अवरुद्ध कर देगा और करियर और नौकरी में पदोन्नति को रोक सकता है।
उचित स्थान/Best Placement
शौचालय में निस्तारण का कार्य होता है तथा हम अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकाल सकते हैं, इसलिए उनका उचित स्थान पर होना आवश्यक होता है। यह शौचालय और स्नानघर में शावर लगाने का उचित स्थान होता है।
पूर्व का उत्तर-पूर्व/ East of North-East
उत्तर-पूर्व दिशा स्नानघर के लिए उत्तम स्थान होता है (केवल नहाने के लिए, सीट के लिए नहीं)। इस क्षेत्र की ऊर्जा व्यक्ति को तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करा सकती हैं। स्वयं को तरोताजा रखने के लिए स्नान की क्रिया सबसे अच्छी होती है, अतः यह क्षेत्र स्नान के लिए आदर्श होता है।
जल तत्व के प्रतिनिधि स्वाधिष्ठान चक्र पर पानी बहा कर नहाने के बाद मानसिक स्थिति में बदलाव होने से हम ऊर्जा में वृद्धि महसूस कर सकते हैं। आंतरिक शक्तियों को बाहरी वातावरण का सहयोग मिलने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं तथा इस क्षेत्र की ताकत इसे प्राप्त करने में मदद करती हैं।
अतः स्नानघर के लिए यह उत्तम क्षेत्र होता है।
हालांकि, आपको यहां कमोड / WC लगाने और उपयोग करने से सख्ती पूर्वक बचना चाहिए।
पूर्व का दक्षिण-पूर्व/ East of South-East
शौचालय के लिए दक्षिण-पूर्व का पूर्व उत्तम स्थान होता है। दक्षिण-पूर्व की पूर्व
शौचालय/स्नानघर की आंतरिक व्यवस्था के लिए दिशा निर्देश/ Guidelines for internal arrangements of Toilet and or Bathroom
१) शौचालय के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण में कमोड या WC लगाना बेहतर होता है।
२) गीजर और बिजली की फिटिंग दक्षिण-पूर्व या दक्षिण में कर सकते हैं।
शौचालय/स्नानघर की आंतरिक व्यवस्था के लिए दिशा निर्देश/ Guidelines for internal arrangements of Toilet and or Bathroom
१) शौचालय के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण में कमोड या WC लगाना बेहतर होता है।
२) गीजर और बिजली की फिटिंग दक्षिण-पूर्व या दक्षिण में कर सकते हैं।
३) वास्तु के अनुसार, वॉश बेसिन और दर्पण उत्तर या पूर्व दीवार पर उत्तम होता है। ४) स्नान क्षेत्र के लिए उत्तर-पूर्व या पूर्व का स्थान रखना चाहिए।
५) अलमारी या अन्य स्टोरेज पश्चिमी दीवार पर करनी चाहिए।
क्या करें और क्या न करें / Do's and Don'ts
१) टॉयलेट सीट को उत्तर-पूर्व या दक्षिण कोने में लगाने से बचना चाहिए।
२) घर के मध्य या ब्रह्म स्थान में शौचालय का निर्माण संभव नहीं होता।
३) स्नानघर में पानी का बहाव दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, शौचालय का फर्श उत्तर या पूर्व की ओर ढला हुआ होना चाहिए।
४) WC या कमोड बाकी फर्श के स्तर से थोड़ा ऊंचे चबूतरे पर बना होना चाहिए।
५) वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर के पास शौचालय कभी नहीं होना चाहिए।
६) पूजा घर के सीधे ऊपर या नीचे शौचालय नहीं बनाने का कठोरता पूर्वक पालन करना चाहिए।
७) शौचालय की खिड़की उत्तर-पश्चिम या पूर्व दिशा में होनी चाहिए।