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पूर्व-मुखी घर के लिए वास्तु

पूर्व-मुखी घर के लिए वास्तु

जब संपत्ति खरीदने और घर बनाने का समय आता है, तो लोग वास्तु के नियमों के अनुसार भूखंड खरीदना पसंद करते हैं। पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण इन चारों दिशाओं का अपना सकारात्मक और नकारात्मक महत्व होता है। अधिकतर लोग उत्तर दिशा में भूखंड लेना पसंद करते हैं क्योंकि यह परिवार की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन, क्या आजकल संपत्ति खरीदना इतना आसान है? क्या आप सिर्फ अपने सीमित बजट में वह प्राप्त कर सकते हैं, जो आप चाहते हैं? वैसे भी हम अपनी स्थिति के अनुसार, जो पाने के इच्छुक होते हैं वह हमेशा संभव नहीं हो पाता है। लेकिन हम  ज्यादातर एक उचित विकल्प पसंद करके, आनंद और सुंदरता की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं। यदि उत्तर मुखी संपत्ति उपलब्ध नहीं होती, तो दूसरी उचित दिशा पूर्व मानी जाती है।

पूर्व मुखी संपत्ति के बारे में वास्तु शास्त्र क्या कहता है?/ What does Vastu Shastra say for East Facing Property?

पूर्व मुखी संपत्तियां निर्माण के लिए अच्छी मानी जाती हैं, लेकिन सभी भवन शुभ नहीं माने जाते हैं। किसी भी जोखिम और अस्थिरताओं को दूर करने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का उपयोग करने से सभी संपत्तियां सही निवेश साबित हो सकती हैं।

पूर्व मुखी संपत्ति के लिए वास्तु द्वारा बताए गए नियम/ Tips given in Vastu Shastra for East Facing Property

भवन का प्रवेश द्वार/ The entrance of the house

यदि संपत्ति पूर्व की तरफ स्थित है, तो प्रवेश द्वार अवश्य ही पूर्व या उत्तर पूर्व की ओर रखना चाहिए। कहा जाता है कि पूर्व की ओर का भवन आसान और सफल जीवन को आकर्षित करता है। पूर्व और उत्तर-पूर्व की तरफ मुख्य द्वार होना शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, यदि मकान या इमारत काफी बड़ी है तो आप हमेशा दो प्रवेश द्वार- एक पूर्व में और दूसरा उत्तर पूर्व दिशा में रख सकते हैं।

पूर्व मुखी संपत्ति के लिए वास्तु द्वारा बताए गए नियम/ Tips given in Vastu Shastra for East Facing Property

भवन का प्रवेश द्वार/ The entrance of the house

यदि संपत्ति पूर्व की तरफ स्थित है, तो प्रवेश द्वार अवश्य ही पूर्व या उत्तर पूर्व की ओर रखना चाहिए। कहा जाता है कि पूर्व की ओर का भवन आसान और सफल जीवन को आकर्षित करता है। पूर्व और उत्तर-पूर्व की तरफ मुख्य द्वार होना शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, यदि मकान या इमारत काफी बड़ी है तो आप हमेशा दो प्रवेश द्वार- एक पूर्व में और दूसरा उत्तर पूर्व दिशा में रख सकते हैं।

खुला क्षेत्र/ Open area

पूर्व की ओर से सूर्योदय होता है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है की पूर्व को हमेशा खुला रखा जाता है? वैसे भी यह सच ही है कि अधिकतर पूर्व मुखी भवनों में बिना किसी रूकावट के सूर्य की किरणें आने के लिए पूर्व का क्षेत्र खुला रखा जाता है। खाली क्षेत्र से सूर्य की पहली किरणें घर में प्रवेश करके, घर की नकारात्मक ऊर्जाओं को बाहर निकाल सकती हैं। पहली किरणों के घर में प्रवेश करने से परिवार में स्वास्थ्य, सफलता और धन की वृद्धि होती है। यदि किसी वजह से पूर्व दिशा में कोई रुकावट हो या उसे बंद किया गया हो, तो यह एक मां के लिए गर्भधारण में कठिनाई या मृत्यु तक का कारण हो  सकता है। अतः पूर्व दिशा को खुला रखना लाभदायक साबित हो सकता है। 

भवन की दीवारें/ Walls of the house

किसी भी भवन में उसकी दीवारों को आधार स्तंभ माना जाता है। जिससे चारों दिशाओं से मकान को सुरक्षा मिलती है तथा परिवार के सदस्य सुरक्षित रहते हैं। वास्तु के अनुसार, जीवन में समृद्धि और सफलता बनाए रखने के लिए उत्तर और पूर्व की ओर की दीवारें थोड़ी सी छोटी और पतली रखनी चाहिए। 

रसोईघर का स्थान/ Placement for the Kitchen

पूर्व मुखी भवनों में रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा उपयुक्त स्थान होते हैं। यदि रसोईघर दक्षिण पूर्व दिशा में है, तो आपको अपना मुख पूर्व की ओर रखना चाहिए और यदि रसोई उत्तर-पश्चिम की ओर है तो पश्चिम की ओर मुख शुभ माना जाता है। 

पूजा घर का स्थान/ Placement for the Pooja Room

किसी भी भवन में पूजा घर बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भवन किस दिशा में है, परन्तु पूजा घर होना अनिवार्य होता है। पूर्व मुखी दिशा वाले भवनों में पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा में होना शुभ होता है। 

बैठक का स्थान/ Placement for the Living Room

भवन में बैठक/ लिविंग रूम का होना आवश्यक होता है। बैठक वह कमरा होता है, जहां मेहमानों का आदर-सत्कार किया जाता है और परिवार एक साथ बैठकर आनंदपूर्वक समय बिताते हैं। पूर्व मुखी भवन में बैठक के लिए उत्तर-पूर्व दिशा उपयुक्त मानी जाने के कारण, आप उत्तर-पश्चिम में अतिथि कक्ष भी बना सकते हैं।

बचाव के नियम/ Things to avoid 

१- उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय नहीं होना चाहिए। इससे भवन में सूर्य की रोशनी में रुकावट आती है और सकारात्मक वातावरण नही बन पाता है।

२- उत्तर-पूर्व कोने में शयनकक्ष नहीं होना चाहिए।

बचाव के नियम/ Things to avoid 

१- उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय नहीं होना चाहिए। इससे भवन में सूर्य की रोशनी में रुकावट आती है और सकारात्मक वातावरण नही बन पाता है।

२- उत्तर-पूर्व कोने में शयनकक्ष नहीं होना चाहिए।

 ३- उत्तर-पूर्व कोने में सेप्टिक टैंक नहीं होना चाहिए। 

४- घर के उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां रखना सख्त मना होता है। 

५- उत्तर-पूर्व कोने में रसोई घर रखने से बचना चाहिए। 

६- उत्तर से दक्षिण की ओर ढले या झुके भूखंडों से बचना चाहिए। 

७- भवन के उत्तर और पूर्व में बड़े वृक्षों से बचना चाहिए। 

८- उत्तर और उत्तर-पूर्व में गंदगी, धूल, कूड़ेदान आदि से बचना चाहिए। कूड़ेदान हमेशा प्रवेश द्वार से दूर ढका हुआ रखना चाहिए। 

९- उत्तर-पूर्व कोने में कोई भी कमी या कटाव होने से घर अपशकुन माना जाता है।

निष्कर्ष यह है, कि पूर्व मुखी संपत्तियों को निवेश के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन सभी संपत्तियों को भवनों में नहीं बदला जा सकता क्योंकि सभी संपत्तियां शुभ नहीं होती हैं। वैसे भी, आप सभी को संपत्तियों को उत्तम और शुभ बनाने के लिए वास्तुशास्त्र के नियमों के प्रयोग की आवश्यकता हो सकती है। प्रसन्नता, समृद्धि और आनंदमय जीवन के लिए इन नियमों का उनकी धार्मिकता के साथ पालन करना चाहिए। 

यदि आप वास्तु से संबंधित कोई विशेष मार्गदर्शन पाना चाहते हैं, तो आप ले सकते हैं :

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इसके अतिरिक्त आप यह भी जान सकते हैं कि वास्तु द्वारा ज्योतिष/astrology घर, पूजा घर, शयन कक्ष, अध्ययन कक्ष, शौचालय, बैठक, रसोई घर, अतिथि कक्ष, सीढ़ियों और दक्षिण मुखी भवनों के संबंध में कैसे मदद करता है।

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