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पहले भाव में केतु | Ketu in 1st house

चंद्रमा का दक्षिण नोड भी कहा जाने वाला केतु, एक नेतृत्वहीन ग्रह है। खगोलीय दृष्टि से, यह एक ऐसा छाया ग्रह है, जिसे आंखों से नहीं देखा जा सकता है और जो ब्रह्मांडीय व्यवस्था में सिर्फ एक अभिव्यक्ति मात्र है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अशुभ ग्रह होने पर भी  इसका प्रभाव, राहु जितना अशुभ नहीं होता है। ज्योतिष के अनुसार, लोगों के जीवन में कई अनहोनी और दुर्भाग्य लाने वाला यह ग्रह, मुक्ति या मोक्ष का कारक भी है। ज्योतिषीय दृष्टि से, पहले भाव में केतु वाले व्यक्ति आमतौर पर, अस्पष्ट व्यक्तित्व वाले होते हैं इसलिए आम लोगों के लिए इन्हें समझना मुश्किल होता है।


पहले भाव का केतु लोगों को कैसे प्रभावित करता है?/ How does Ketu in the First House Affect  Natives?

ज्योतिष में केतु को अशुभ और शुभ दोनों ग्रहों की सूची में रखा जाता है। किसी विशेष भाव में केतु के शुभ होने पर, व्यक्ति सुखी, समृद्धशाली और उद्यमी तो होगा लेकिन, संतान के कारण हमेशा परेशान रहने के साथ ही, यात्रा या ट्रांस्फर के प्रति अनिच्छा का अनुभव कर सकते हैं। वर्षा कुंडली में, पहले भाव में केतु के गोचर के दौरान पुत्रजन्म का संकेत मिलता है तथा व्यक्ति के लंबी यात्रा पर जाने की संभावनाएं हो सकती हैं। पहले भाव में केतु/Ketu in first house वाले व्यक्ति, अपने पिता या गुरु के लिए हमेशा भाग्यशाली और लाभकारी रहेंगे।

 

वहीं दूसरी तरफ, केतु के अशुभ होने पर व्यक्ति को अक्सर सिरदर्द की समस्या रहती है। इसके अलावा, बच्चों के लिए हमेशा चिंतित रहने के कारण, पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होंगी। इसके अलावा, दूसरे और सातवें भाव के रिक्त होने की स्थिति में, शुक्र और बुध अशुभ परिणाम देंगे जिससे बिना किसी लाभ के स्थानान्तरण और यात्राएं होंगी। वहीं कठोर शनि, गुरु और पिता का नाश करता है तथा सूर्य के सातवें या आठवें भाव में स्थित होने पर, पोते-पोतियों  के जन्म के बाद, व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। अतः, इन लोगों को प्रातः और सायंकाल दान-दक्षिणा नहीं देनी चाहिए।

सकारात्मक प्रभाव/ Positive Impact

चुंबकीय व्यक्तित्व वाले ये लोग, आम लोगों की समझ से परे होते हैं जिस कारण, कई लोग उनसे मिलने में दिलचस्पी महसूस करते हैं। विचारों को स्पष्ट तौर पर व्यक्त नहीं कर पाने के कारण, इन व्यक्तियों को उसे गहन अर्थ में बातें कहने की सलाह दी जाती है। बाहरी जीवन के आदी होने के कारण, निरंतर यात्राओं के इच्छुक रहते हैं तथा साहसिक होने के साथ ही, विभिन्न देशों, राज्यों और शहरों का सफर और अन्वेषण करके स्वयं को संतुष्ट कर सकते हैं।

 

राहु ग्रह आध्यात्मिकता, मरणोपरांत जीवन के  अनुभवों, कर्मों, पुनर्जन्म और त्याग की अवधारणा से संबंधित है। ज्योतिष में यह बताया गया है कि केतु लेने वाला और राहु दाता है। जहां, राहु व्यक्ति को बुराई देता  है वहीं, केतु उसे अहसास कराता है कि वह गलत क्षेत्र में है और उसे नैतिक और धार्मिक मार्ग अपनाने की आवश्यकता है। इस प्रकार, राहु के कारण हुई क्षति,   केतु द्वारा पूर्ववत की जाती है।

नकारात्मक प्रभाव/ Negative Impact

हालांकि, अन्वेषण और रोमांच अच्छी चीजें हैं लेकिन, इन व्यक्तियों को अपनी संगति को लेकर बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि बुरी संगति उनकी स्थिति बिगाड़ सकती है तथा लालची और आत्मकेंद्रित बना सकती है इसलिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह नैतिक रूप से नीचे न गिरें अन्यथा, उनका जीवन कठिनाइयों से परिपूर्ण हो सकता है।

 

इसके अलावा, बुरी तरह पीड़ित केतु व्यक्ति के स्वास्थ्य को बिगाड़ कर, आंतरिक शक्ति को कम कर सकता है जिससे व्यक्ति की हालत काफी बिगड़ सकती है तथा केतु के प्रभावों के कारण, पहले भाव में केतु वाले व्यक्तियों में साहस और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। साथ ही, पहले भाव में केतु वाले व्यक्तियों का शरीर और इच्छाशक्ति कमजोर हो जाती है इसलिए, वे कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम नहीं हो पाते  और जीवन की चुनौतियों, तनावों और दबावों के आगे आसानी से झुक जाते हैं।

 

इसके अलावा, केतु व्यक्ति की मानसिक क्षमताओं में भी सुधार करके, उन्हें अंतर्ज्ञान की एक मजबूत भावना देता है और उनके जीवन में वृद्धि करने के साथ ही, वैवाहिक जीवन में कलह भी उत्पन्न कर सकता है। भारतीय प्राचीन ग्रंथों के अनुसार निष्प्राण, कपटी और कृतघ्न ये लोग, अच्छी और बुरी चीजों में अंतर नहीं कर पाते इसलिए, उचित निर्णय नहीं ले पाते जो उनके जीवन और कार्य पद्धति को प्रभावित कर सकता है। 


पहले भाव में केतु के परिणाम/ Results of Ketu in the First House

कुंडली के पहले भाव में केतु वाले लोग, सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति, उनके हावभाव और व्यक्तित्व में स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित होती है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार, लग्न में केतु वाले व्यक्ति अक्सर निष्प्राण, कृतघ्न, झूठे, सेक्स से डरने वाले होते हैं तथा पहले भाव या लग्न के प्रभावों के कारण, कोई लाभ नहीं होने पर इन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है। नवांश कुण्डली में, केतु को उपयोगी ग्रह नहीं माना गया है इसलिए ये व्यक्ति, अपने सगे-संबंधियों से क्षुब्ध और परेशान रहेंगे।

 

पहले भाव में केतु वाले व्यक्तियों के लिए उपाय/ Remedies for the Natives with Ketu in First House

केतु से संबंधित अंतर्दशा, महादशा या कुंडली में किसी भी प्रतिकूल गोचर के दौरान, व्यक्तियों को इन समस्याओं से राहत दिलाने वाले, तीन लाभकारी उपाय इस प्रकार हैं:

  1. इन लोगों को, बंदरों को गुड़ खिलाना चाहिए।
  2. माथे पर केसर का तिलक लगाना चाहिए।
  3. साथ ही, संतान के परेशान रहने पर, उन्हें मंदिर में एक काला और सफेद कंबल दान करना चाहिए।

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में केतु के प्रभावग्रहों के गोचर के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

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