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आठवें भाव में बृहस्पति/ JUPITER IN 8TH HOUSE

बृहस्पति का आठवें भाव में

 

कुंडली में बृहस्पति का आठवें भाव में होना मिले-जुले फलों को देने वाला होता है। कुंडली का आठवां घर सबसे रहस्यात्मक स्थान माना जाता है। इस स्थान पर शुभ ग्रह का होना अपने शुभत्व में कमी से प्रभावित हो सकता है। बृहस्पति की स्थिति यहां कुछ मामलों में खराब फल दे सकती है तो वहीं कुछ चीजों में यह बेहद महत्वपूर्ण असर दिखा सकता है। इस भाव से अचानक मिलने वाला लाभ और हानि दोनों ही देखे जाते हैं. 

 

अष्टम भाव आयु, मृत्यु, गुप्त रहस्यों, पैतृक संपत्ति, भू गर्भ की स्थिति, छुपे मामलों, गुप्त रोग, गुप्त शत्रुओं, गूढ़ विद्याओं, गुढ़ रहस्यों, शेयर मार्किट, इंश्योरेंस, पॉलिसी,अचानक होने वाले घटनाक्रम इत्यादि का घर होता है।  गुरु की यहां स्थिति कमजोर हो लेकिन यह जातक का आध्यात्मिक पक्ष काफी मजबूत करने में सहायक हो सकती है।  

 

अष्टम भाव में बृहस्पति का आप पर प्रभाव 

बृहस्पति का आठवें घर में होना आयुष की दृष्टि से लंबी आयु प्रदान करने वाला माना गया है। बृहस्पति इस स्थान पर जातक को गणमान्य सदस्यों के मध्य महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है। आध्यात्मिक रुप से आपको बहुत गहरे तक प्रभावित करता है। बृहस्पति का अष्टम भाव में होना जातक को ज्योतिष, तंत्र मंत्र एवं गूढ़ विद्याओं का अच्छा जानकार बना सकता है। कुछ मामलों में मजबूत अंतर्ज्ञान भी प्राप्त होता है। पूर्वामान का गुण प्राप्त होता है। यहां स्थिति बृहस्पति जातक को अभिमानी और कठोर भी बना सकता है। मनमर्जी करने वाला हो सकता है। अपनी इस जिद के चलते कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

 

व्यक्ति नीतियों को बनाने में बेहतर हो सकता है। शोध से जुड़े कामों को कर सकता है। किसी चीज की गहन जांच-पड़ताल करने में भी काफी सक्षम होता है। जातक में प्रतिभा और कुशलता अच्छी होती है। सहजता के साथ चीजों को समझने में योग्य होता है। आसानी से किसी भी समस्या की जड़ तक पहुंच कर दूसरों को प्रभावित कर लेने में सफल रहता है। अष्टम में बैठा ज्ञान कारक बृहस्पति जातक को यह गुण अच्छे से देने में सहायक बनता है इसलिए जातक गुप्त बातों को आसानी से समझ सकते हैं जिन्हें दूसरे लोग जल्द से समझ नहीं पाएंगे। गुरु के प्रभाव से जातक नियमों परंपराओं एवं रूढ़ियों के प्रति सजग होता है और आसानी से इनसे परेशान नहीं होता है। 

 

करियर और व्यवसाय पर प्रभाव 

बृहस्पति का अष्टम भाव में होना कार्यक्षेत्र में अनिश्चितता की स्थिति दे सकता है। कारोबार में सफलता के लिए लगातार संघर्ष की जरुरत होती है।संपत्ति, पुरानी कलाकृतियों, वस्तुओं के कार्यों से लाभ कमा सकता है। ज्योतिष, आध्यात्मिक कार्यों, तांत्रिक, धर्म गुरु, धर्म प्रचारक, उपदेशक, मार्गदर्शक बन कर काम कर सकते हैं। संपत्ति के मामले में भूमि के नीचे उत्पन्न होने वाली चीजों से जुड़ कर लाभ अर्जित कर सकते हैं। जासूस, वकील, अन्वेषकक्लर्क, मनोचिकित्सक, प्रशासनिक कार्य, सलाहकार, प्रौद्योगिकी, लेखन, प्रकाशन, इत्यादि के कार्य से जुड़ सकते हैं। 

 

विवाह और प्रेम संबंध

अष्टम का गुरु वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति दे सकता है। जातक अपने प्रेमी अथवा जीवन साथी के प्रति अत्यधिक लगाव का भाव रखता है। यहां व्यक्ति को अपने जीवन साथी के धन से लाभ मिल सकता है। न्जक्नारात्मक पक्ष में साथी का सुख कमजोर हो सकता है। गुप्त संबंध भी बन सकते हैं। यौन संबंधों में असंतुष्टि का भाव दे सकता है। कई बार दांपत्य जीवन का सुख बाधित होता है, विवाह होने में विलंब हो सकता है। जीवन साथी समर्पित मिलता है प्रेम और विश्वास साथी की ओर से प्राप्त होता है किंतु रिश्ते में संतुष्टि की कमी बनी रह सकती है।

 

अष्टम में गुरु का स्वास्थ्य पर प्रभाव 

अष्टम में स्थित बृहस्पति का असर व्यक्ति को रोग से प्रभावित भी अधिक रख सकता है। रोग में मुख्य रुप से पेट, लीवर एवं शुगर से संबंधित समस्याएं परेशानी दे सकती हैं। मानसिक रुप से चिंता एवं अत्यधिक विचारशीलता का असर भी सेहत पर पड़ सकता है। हड्डियों एवं नसों में दर्द की शिकायत हो सकती है। शरीर एवं पैर के जोड़ दर्द कर  सकते हैं। सूजन की समस्या भी परेशान कर सकती है। कैंसर, टीबी, गुदा रोग, पाइल्स इत्यादि की समस्या भी परेशान कर सकती है। पीलिया, मलेरिया इत्यादि का प्रभाव भी जल्द असर डाल सकता है।   

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