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नरक चतुर्दशी 2023
नरक चतुर्दशी in 2023
12
November, 2023
(Sunday)

कैसे मनाएं नरक चतुर्दशी और जानिए नरक चतुर्दशी तिथि व शुभ मुहूर्त 2021-22
3rd November
Narak Chaturdashi Muhurat
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नरक चतुर्दशी मुहूर्त
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता 'यमराज' की पूजा करने का विधान है। इसे 'छोटी दिवाली' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह दिवाली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। लोग अच्छे स्वास्थ्य और अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए यमराज जा पूजन करते हैं। इसके साथ ही सूर्योदय से पूर्व तिल के तेल में सेब के पत्तों को मिलाकर शरीर पर लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की इस मिश्रण के प्रयोग से मनुष्य को नर्क से मुक्ति मिलती है और वह स्वर्ग को जाता है।
नरक चतुर्दशी के नियम एवं विधान/ Nark Chaturdashi Rituals
कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन, चंद्रमा के उदय होने पर नरक चतुर्दशी 2023/Nark Chaturdashi 2023 मनाई जाती है। हालांकि इस पर्व को आम तौर पर दिन के उजाले में मनाया जाता है ।
यदि चतुर्दशी तिथि चंद्र उदय और दिन विराम दोनों होती है, तो यह पहले दिन ही मनाई जाती है। इसके अतिरिक्त यदि चतुर्दशी तिथि अरुणोदय या चंद्र उदय को स्पर्श न करे तो इसे पहले दिन मनाया जाना चाहिए। चंद्रोदय से पूर्व या सूर्योदय के समय शरीर पर तिल का तेल लगाने और यम तर्पण करने की रस्म होती है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि/ Nark Chaturdashi Puja Vidhi
इस दिन प्रातः काल स्नान करना आवश्यक है। इस दिन पूरे शरीर की तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए । और फिर पौधे को अपने सिर के ऊपर से तीन बार घुमाएं।
नरक चतुर्दशी से पूर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक पात्र में जल रखा जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन इस जल को नहाने के पानी में मिलाया जाता है। यह एक अनुष्ठान है, क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को नरक से मुक्ति मिलती है। यह विधि व्यक्ति के सभी पापों से मुक्त कर देती है ।
इस दिन यमराज के लिए एक दीया घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए।
संध्या काल में सभी देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद, तेल का दीपक, घर और कार्यस्थल के बाहर रखना चाहिए। ऐसा करने पर लक्ष्मी जी उस घर अथवा कार्यस्थल पर सदा प्रसन्न रहकर आशीर्वाद देती हैं।
अर्ध-रात्री के समय बेकार की चीजों का त्याग करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी आएंगी, इसलिए घर की सफाई आवश्यक है।
नरक चतुर्दशी का महत्व/ Significance of Nark Chaturdashi
इस दिन दीप प्रज्ज्वलित करने का पौराणिक और धार्मिक महत्व है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दीयों की तेज रोशनी रात के अंधेरे को दूर कर देती है। इसलिए इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन कुछ और विधि और प्रक्रिया को भी करने का विधान है और उनमें से एक हैं अभ्यंग स्नान।
क्या है अभ्यंग स्नान और क्यों दिवाली से एक दिन पहले होता है यह विशेष स्नान?
कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि के दिन अभ्यंग स्नान/Abhyang snan का विशेष महत्व माना गया है। नरक चतुर्दशी/Narak Chaturdashi अर्थात छोटी दिवाली अवसर पर अभ्यंग स्नान को किया जाता है। अभ्यंग से तात्पर्य मालिश से होता है, संपूर्ण कार्तिक मास में शरीर पर तेल लगाने की मनाही होती है, केवल इस दिन ही शरीर पर तेल लगाए जाने का विधान बताया गया है। अभ्यंग एक पवित्र स्नान है जो न केवल शरीर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला होता है बल्कि समस्त पापों का शमन करने में सहायक होता है।
अभ्यंग स्नान के लिए परंपरागत रूप से कुछ विशेष जड़ी बूटियों का उपयोग भी किया जाता है, जिसके द्वारा एक लेप का निर्माण होता है, तथा उसे संपूर्ण शरीर पर लगाया जाता है। अभ्यंग स्नान केवल स्नान मात्र क्रिया नहीं होती है अपितु यह देह को पुष्ट करने हेतु उपयोग की जाने वाली एक अत्यंत वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है, जो आध्यात्मिक रंग में घुल कर अत्यंत ही महत्वपूर्ण व पवित्र हो जाता है। मान्यता है की श्री कृष्ण ने नरकासुर के वध करने के पश्चात अभ्यंग स्नान किया था अत: यह स्नान सभी प्रकार की नकारात्मकता एवं बुराई को दूर करके जीवन शक्ति को सकारात्मकता प्रदान करने वाला स्नान होता है।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथाएं /Mythological tales associated with Nark Chaturdashi
1. राक्षस नरकासुर का वध:
नरकासुर नाम का एक राक्षस था। वह सभी देवी-देवताओं को आतंकित करता था। उसके पास विशेष शक्तियाँ थीं, और वह उनका प्रबल तौर पर उपयोग करता था। उसकी यातनायें इतनी बढ़ गई कि उसने सोलह हजार महिलाओं का अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया। देवता उसके इस व्यवहार से निराश हो गए और सहायता माँगने भगवान कृष्ण के पास गए। भगवान कृष्ण ने सभी को आश्वासन दिया कि वह उनकी सहायता करेंगे। राक्षस नरकासुर को श्राप था कि उसका वधएक स्त्री के हाथों ही होगा। इस कारण भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को राक्षस को मारने के लिए भेजा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का पराभव हुआ था । इसके उपरान्त सभी महिलाएं भगवान श्रीकृष्ण की सोलह हज़ार रानियों के रूप में जानी गईं। राक्षस के वध के बाद चतुर्दशी का पर्व मनाया गया ।
2. दानव राज बली की कथा:
एक अन्य कथानुसार , यह माना जाता है कि वामन के अवतार में भगवान विष्णु ने त्रयोदशी से अमावस्या की अवधि के मध्य तीन पगों में राक्षस राज बलि के राज्य को माप लिया । राजा बलि, जो एक परम दानी थे, उन्होंने इसके उपरान्त अपना पूरा राज्य भगवान वामन को दान कर दिया। इसके पश्चात भगवान वामन ने बलि से वरदान मांगने को कहा।
दैत्यराज बलि ने कहा कि हे प्रभु, मेरा राज्य हर वर्ष इस धरती पर त्रयोदशी से अमावस्या तक रहे। इस दौरान मेरे क्षेत्र में दिवाली मनाने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी के घर में रहना चाहिए और चतुर्दशी के अवसर पर नरक के लिए दीपक दान करने चाहिए। उन्होंने कहा की मेरे सभी सभी पूर्वजों को नरक में नहीं रहना चाहिए और यमराज की यातना को सहन नहीं करना चाहिए। वामन ने प्रसन्न होकर बलि को यह वरदान दिया। इस वरदान के बाद नरक चतुर्दशी की प्रथा प्रचलित हुई और दीपदान प्रारम्भ हुआ।
नरक चतुर्दशी का हिंदू धर्म में धार्मिक और पौराणिक महत्व है। यह पांच त्योहारों की एक श्रृंखला में आने वाला में एक त्योहार है। दीपावली से दो दिन पूर्व , धन तेरेस, नरक चतुर्दशी, या छोटी दिवाली और फिर दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के पर्व मनाये जाते हैं । नरक चतुर्दशीके दिन दान और पूजन करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
चतुर्दशी के दिन क्या करें? /What to do on Nark Chaturdashi
1. इस दिन प्रात: काल स्नान करने के साथ और नए कपड़े पहनें। इसके उपरान्त माथे पर रूली का तिलक करें। तदोपरांत दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यमराज को टिल का तेल अर्पण करें ।
2. मंदिर, रसोई, तुलसी, पीपल, बरगद, आंवला और आम के पेड़ों के नीचे प्रज्ज्वलित करें ।
3. दक्षिण दिशा में चार मुखी दीपक रखकर यमराज से स्वयं की सभी गलतियों को क्षमा करने की प्रार्थना करें।
4. अपने घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। कहा जाता है कि इससे लक्ष्मी जी घर में अवश्य प्रवेश करेंगी।
5. अपने घर को ठीक प्रकार से साफ करें। मुख्य रूप से दक्षिण दिशा की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए ।
6. भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें। ऐसा करने से आपको खूबसूरत त्वचा और मुखारविंद प्राप्त होगा ।
7. इस दिन हनुमान जी की भी पूजा का विधान है। दोषों से बचने के लिए लोग हनुमान मंदिर भी जाते हैं।
8. इस दिन किसी भी मंदिर में ग्यारह दीपक प्रज्ज्वलित करें ।
इस दिन क्या न करें/ What not to do on Nark Chaturdashi
1. इस दिन किसी कीट भी न मारें। ऐसा करने से यमराज आप पर क्रोधित हो जाएंगे।
2. अपने घर की दक्षिण दिशा को साफ करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यमराज क्रोधित हो जाएंगे।
3. इस दिन तेल का दान न करें। ऐसा करने से लक्ष्मी जी नाराज़ हो सकती हैं।
4. इस दिन आपको सूर्योदय के बाद नहीं उठना चाहिए । ऐसा करने से आपकी योग्यता कम हो जाती है।
5. इस दिन आपको मांसाहार से परहेज़ करना चाहिए ।
6. मदिरापान ना करें । यह आपकी सेहत को खराब कर सकता है।
7. झाड़ू को पैरना लगाएं , ऐसा माना जाता है कि इससे लक्ष्मी जी आपसे रुष्ट हो जाती हैं।
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