सूर्य ग्रहण 2025 समय: इस साल खण्डग्रास नामक सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को रविवार के दिन लगेगा। आश्विन अमावस्या के दिन लगने वाला ये सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात को 10 बजकर 59 मिनिट के करीब शुरु होगा और इसकी समाप्ति मध्य रात्रि को 03 बजकर 23 मिनट के करीब होगी। भारत में यह ग्रहण कहीं भी दिखाई नहीं देगा।सूर्य ग्रहण का आरंभ समय - 10:59 मिनट पर होगा सूर्य ग्रहण का मध्यकाल 25:11 मिनट पर होगासूर्य ग्रहण का समाप्ति काल 03:23 मिनट पर होगाग्रहण की अवधि 04 घंटे 24 मिनट के करीब की रहने वाली है।भारत में अदृश्य इस ग्रहण का प्रभाव वहां अधिक होगा जहां ये दिखाई देगा। कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण: अब बात करते हैं कि यह सूर्य ग्रहण किन किन जगहों में दिखाई देगा तो इस बार का आंशिक सूर्य ग्रहण भारत सहित पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और यूएई जैसे देशों में नहीं दिखेगा। साथ ही यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में भी यह दृश्य नहीं होगा। लेकिन यह ग्रहण दक्षिणी गोलार्द्ध के कुछ भागों में देखा जा सकेगा। 21 सितंबर को रविवार के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में तो अदृश्य होगा पर विश्व के कुछ भागों में इसे देखा जा सकता है। सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण भागों, न्यू साउथवेल्स, क्वींस लेंड, विक्टोरिया, तस्मानिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, पोलिनेशिया, मेलानेशिया, नॉरफ़ॉक द्वीप, ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च और वेलिंग्टन के कुछ हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई देगा। इन क्षेत्रों में यह ग्रहण विशेष खगोलीय महत्व रखेगा और वहां सूतक काल भी मान्य होगा। आश्विन अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव: सूर्य ग्रहण के दिन आश्विन मास की अमावस्या रहेगी जिसे सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानी सर्व पितृ अमावस्या को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन को लेकर अनेक धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं और लोग इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों का पूजन करते हैं। वैसे तो सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा इसलिए पितृ अमावस्या की सभी विधियां, पूजा-पाठ और कर्मकांड पूरी श्रद्धा से और विधिपूर्वक संपन्न किए जा सकेंगे।यह सूर्य ग्रहण रात के समय लगेगा भारत में यह ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर की तड़के यानी रात 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। उस समय भारत में रात्रि का समय रहेगा जिस कारण सूर्य ग्रहण यहां नहीं दिखाई देगा। इस कारण किसी भी धार्मिक कार्य पर ग्रहण का कोई रोक-टोक नहीं होगा। सभी राशियों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिष पंचांग गणना के अनुसार यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। ग्रहण जब किसी विशेष राशि या नक्षत्र में लगता है तो उसका कुछ प्रभाव संबंधित राशियों पर अवश्य पड़ता है, भले ही वह दृश्य हो या अदृश्य। ग्रहण का समय एक बहुत ही संवेदनशील समय होता है इसलिए यह समय विशेष सावधानी बरतने का होता है।सूर्य ग्रहण के समय सूर्य, चंद्रमा, बुध, शनि और राहु केतु इन चार ग्रहों का प्रभाव जबरदस्त रहेगा ऎसे में मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, मकर, कुंभ राशियों के जातकों के लिए ग्रहण नकारात्मक रूप से असर डाल सकता है इसके अलावा मेष, वृषभ, तुला, धनु, मीन राशियों पर इस ग्रहण का मिलाजुला असर पड़ेगा। ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सभी राशियों के जातकों को इस दौरान स्नान, दान, मंत्र जाप इत्यादि कार्यों को करना चाहिए जिससे किसी भी तरह की नेगेटिविटी से बचा जा सके। इस प्रकार, 21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण अपने साथ एक विशेष संयोग लेकर आ रहा है। भारत में जहां यह दृश्य नहीं होगा, वहां लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर सकेंगे, वहीं दूसरी ओर विश्व के अन्य भागों में इसे वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण से देखा और समझा जाएगा। सूर्य ग्रहण समय ध्यान रखने योग्य बातें: सूर्य ग्रहण का समय ऊर्जा परिवर्तन का काल होता है, इस दौरान वातावरण में विशेष प्रकार की एनर्जी एक्टिव हो जाती है, जो मन, शरीर और प्रकृति पर प्रभाव डालती है। इसलिए सूर्य ग्रहण के समय कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक माना जाता है। ग्रहण के समय व्यक्ति को भगवान का ध्यान करना चाहिए। यह समय मंत्र जाप, ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। अनेक साधक इस काल को अपनी साधना सिद्धि के लिए उपयोग करते हैं। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के दौरान किया गया मंत्र जाप, सामान्य समय की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी होता है। इस समय घर में शांति बनाए रखनी चाहिए और अगर संभव हो तो किसी एकांत स्थान पर बैठकर ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। तुलसी पत्र को अत्यंत पवित्र माना जाता है, इसलिए ग्रहण से पूर्व भोजन या पानी में तुलसी पत्र डाल देना चाहिए ताकि वह नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित न हो।ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना आवश्यक होता है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना और घर के मंदिर की सफाई करना शुभ माना गया है। इसके बाद पूजा-पाठ करके दान-दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर गंगाजल से स्नान या उसका छिड़काव करने से घर का वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त होता है। घर के मंदिर को ग्रहण के समय ढक देना चाहिए और दीपक, धूप आदि बुझा देना चाहिए, क्योंकि ग्रहण काल में देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित होता है।वैसे तो यह सभी नियम तभी मान्य होते हैं जब सूर्य ग्रहण उस स्थान पर दृश्य हो लेकिन अगर किसी देश या क्षेत्र में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देता जैसा कि 21 सितंबर 2025 को भारत में होगा, तो वहां सूतक काल भी मान्य नहीं होता और पूजा-पाठ, भोजन आदि पर कोई रोक नहीं रहती। लेकिन ग्रहण के समय किए जाने वाले विशेष नियम एवं उपाय ग्रहण की अशुभता से बचाते हैं और शुभ फलों को प्रदान करते हैं।