मुख्य पृष्ठ योग त्रिलोचन योग

प्रीमियम उत्पाद

ज्योतिष में त्रिलोचन योग/ Trilochana Yoga in Astrology

जब सूर्य, चंद्रमा और मंगल एक-दूसरे के त्रिगुट में होते हैं तब जन्मकुंडली में त्रिलोचन योग/Trilochan yoga in birth chart का निर्माण होता है और उस त्रिक भाव में पहला, पांचवां और नौवां भाव होते हैं। इन भावों में स्थित ग्रह, प्राकृतिक शक्ति प्राप्त करते हैं।

  • सूर्य पिता, धैर्य, ऊर्जा, शत्रुता, सरकारी कार्यों, प्रतिष्ठा और सम्मान को प्रकट करता है। 
  • चंद्रमा माता, तालाबों, सरोवरों, सफेद वस्तुओं, आयात-व्यापार से संबंधित व्यवसायों तथा दूध आदि को प्रकट करता है।
  • मंगल भाई-बहनों, सशस्त्र बल, पुलिस, सर्जन, 
  • अर्ध-सैन्य संकाय, शत्रुता और शक्ति को प्रकट करता है।

इन तीनों ग्रहों के शुभ स्थिति में होने पर, व्यक्ति को अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है। प्रभावशाली चंद्रमा, सूर्य और मंगल के एक-दूसरे से तिहाई में स्थित होने पर त्रिलोचन योग का निर्माण करते हैं।

  • ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं।
  • माता-पिता का सहयोग प्राप्त करते हैं।
  • ऐसे व्यक्ति आध्यात्मिक होते हैं।
  • इसके साथ ही, सजग स्वभाव वाले होते हैं।
  • हमेशा जिंदादिल और उत्साहित रहते हैं।
  • इसके अलावा, उच्च अनुसंधान करने के लिए किसी दूसरे देश की यात्रा कर सकते हैं।

इस तरह, विभिन्न राशियों में ग्रहों की स्थितियों के अनुसार, प्राप्त होने वाले विशेष परिणामों को अच्छी तरह से समझा जा सकता है। 

परिणाम/ Results

त्रिलोचन योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति चालाक, विद्वान, राजसी व्यक्तित्व वाले, धनवान, संपन्न और शत्रुओं पर विजय पाने वाले होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

सूर्य, चंद्रमा और मंगल जैसे तीनों शक्तिशाली ग्रहों की आपसी तिगुनी स्थिति का, पूर्ण गहनता से अनुमान लगाया जा सकता है। दुर्भाग्य और प्रतिरोध व्यक्ति का मार्ग नहीं बनाते तथा उनका सहज अस्तित्व संतोषजनक होता है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

ज्योतिष रहस्य