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ज्योतिष में शिव योग/ Shiva Yoga in Astrology

शिव योग/Shiva Yoga एक दिव्य योग है, जो किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में होने पर कई लाभ प्रदान करता है। यह एक दुर्लभ योग है जो तब बनता है जब नवम भाव का स्वामी दसवें भाव में और दशमेश पांचवें भाव में हो।

पंचमेश के नौवें भाव में, दशमेश पांचवें में और ग्यारहवें भाव का स्वामी नौवें भाव में होने वाला परस्पर मिलते हैं तो शिव योग का निर्माण होता है।

परिणाम/ Results

शिव योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति बहादुर, दिलेर, संपन्न, धार्मिक, राजसी व्यक्तित्व और उत्तम बुद्धिमान होते हैं। 

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योग समृद्धि, गुणों और आय के तीन भावों से संबंधित होता है। भाग्य की शक्ति के दबाव में व्यक्ति, कर्म में प्रवृत्त रहता है। नौवें भाव में पांचवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी की व्यवस्था से दिव्य अंतर्दृष्टि निकलती है। इसके बाद, व्यक्ति सरकार की चेतावनीपूर्ण शक्तियों में काम कर सकता है या फिर विदेश सेवा में हो सकता है या अज्ञात विनिमय द्वारा लाभ प्राप्त कर सकता है। पांचवें भाव में नवमेश, भाग्य स्वामी के लिए प्रमुख स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान गहन और प्रामाणिक होता है। शिव योग को, श्रीकांत योग/Shirakant yoga भी कहा जा सकता है।

कुंडली में शिव योग वाले व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न होने पर भी, कार्यस्थल में भी एक प्रभावशाली स्थिति में कार्य करते हैं। आमतौर पर, ऐसे लोग सेना में शीर्ष स्थान प्राप्त करते हैं या किसी संस्था के प्रमुख होते हैं। यह योग व्यक्ति को यात्रा के अवसर भी प्रदान करता है इसलिए व्यक्ति, एक व्यापारी या मार्केटिंग करने वाला भी हो सकता है।

शिव योग की यह शक्ति पांचवें, नौवें और दसवें भाव के स्वामियों के संबंधों पर भी निर्भर करती है। जहां, पांचवां और नौवां भाव मजबूत त्रिकोण होता है वहीं, दसवां भाव एक मजबूत केंद्र होता है। इन संबंधित भावों के स्वामियों की प्रकृति, शक्तिशाली भाग्य को जन्म देने के साथ ही, ज्ञान और तात्त्विक विचारों में भी सुधार करती है।

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