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ज्योतिष में मालव्य योग/ Malavya Yoga in Astrology

मालव्य योग/Malavya yoga मालव्य योग का निर्माण शुक्र ग्रह के द्वारा होता है। प्रबल शुक्र के, लग्न से चतुर्थांश में होने या स्वराशि या मूलत्रिकोण राशि में होने पर मालव्य योग बनता है। चलिए इसे सरलता से समझने का प्रयास करते हैं। जब शुक्र वृषभ और तुला जो शुक्र की स्वराशि है या फिर मीन जो उच्च राशि है में मौजूद होने के साथ प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या फिर दसवें भाव में विराजमान हो तो यह योग मालव्य योग कहलाता है। यह योग महापुरुष योग की श्रेणी में आता है।

परिणाम/ Results 

मालव्य योग के अंतर्गत जन्मे लोग, शारीरिक रूप से आकर्षित, बादाम के आकार की सुंदर आंखों वाले, धनवान और धार्मिक शास्त्रों के जानकार होते हैं तथा सुंदर बच्चों और जीवनसाथी से संपन्न होते हैं। वह प्रसिद्ध, विद्वान और वाहनों पर नियंत्रण रखने वाले होते हैं। 

टिप्पणियाँ/ Comments

शुक्र हमारी ग्रह-व्‍यवस्‍था का सबसे चमकीला और उत्तम परिणाम देने वाला ग्रह है। शुक्र परिवहन, संगीत, गतिशीलता, कारीगरी संबंधित उत्पादों, अभिव्यंजक कलाओं, यौन सुख और भौतिक सुख का कारक है। इस योग वाले व्यक्तियों में अधिक मात्रा में वीर्य का निर्माण होने के परिणामस्वरूप, ये नारी जाति की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। पौराणिक दृष्टि से, शुक्र बुराई की उपस्थिति का धर्मशासक है। इसके अलावा प्रभावशाली शुक्र, व्यक्ति को मंत्रालय और सलाहकार संबंधी क्षमताएं प्रदान करता है, जिसके कारण प्रबल शुक्र वाला व्यक्ति एक अद्वितीय राजनयिक होता है। इन विशेषताओं में से शुक्र का हर एक गुण न तो कष्टकारी है और न ही ज्वलनशील, जो मालव्य योग की पहली शर्त है।

मालव्य योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्तियों में सुंदर भाव-भंगिमा, सरल शारीरिक आकार और स्त्री के समान आंखें होती हैं तथा वे आकर्षक, सराहनीय और कांतिमान होते हैं। इसके अतिरिक्त ये बच्चे, जीवनसाथी, वाहन और धन-संपत्ति से सम्मानित होने के साथ ही, विद्वान और धर्मग्रंथों के अनुभवी भी होते हैं। ये व्यक्ति बुद्धिमानीपूर्वक ऊर्जा, क्षमता और स्त्री जैसी तीनों उत्तम शक्तियों का उपयोग करते हैं तथा 77 वर्ष की आयु प्राप्त करते हैं।

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