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ज्योतिष में लक्ष्मी योग/ Lakshmi Yoga in Astrology

अत्यंत प्रभावशाली लग्नेश के, चतुर्थांश और तृतीयांश  के स्वामियों के साथ जुड़े होने पर, एक अभूतपूर्व लक्ष्मी योग बनता है।

नौवें भाव के स्वामी के, अपनी मित्र राशि के मूल त्रिकोण या स्वराशि में होने तथा लग्न से चतुर्थांश में  लग्नेश के प्रभावशाली होने की स्थिति में, लक्ष्मी योग बनता है।

नौवें भाव का स्वामी और शुक्र के, अपनी मित्र राशि या स्वराशियों में चतुर्थांश या तृतीयांश में स्थित होने पर भी लक्ष्मी योग बनता है।

परिणाम/ Results 

लक्ष्मी योग में जन्मे व्यक्ति अनुकूल गुणों वाले, आकर्षक, स्वाभावत: लीडर, कठोर, स्वस्थ, उच्च पदस्थ  ईमानदार व्यक्ति, अभिमानी, शासन द्वारा सम्मानित, परोपकारी स्वभाव वाले जीवनसाथी से सम्मानित, परिजनों से आश्वस्त, जीवन में प्रचुरता और संतुष्टि का मूल्य समझने वाले होते हैं। 

टिप्पणियां/ Remarks 

लक्ष्मी योग/Lakshmi yoga लग्नेश, नवमेश और शुक्र के बल पर निर्भर करता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि विशेष रूप से इस योग का संबंध प्रचुरता से है जिसमें नवमेश,  मूल-त्रिकोण राशि से चतुर्थांश में तथा मजबूत लग्नेश अपनी आवर्धन राशि के चतुर्थांश में स्थित होता है। लक्ष्मी योग में जन्मे व्यक्ति आदर्शवादी सामाजिक अधिष्ठाता, व्यक्तियों की सहायता करने वाले, अपने ज्ञान द्वारा सम्मानित, कामदेव के समान आकर्षक, ईश्वर को नमन करने वाले तथा जीवनसाथी और बच्चों वाले होते हैं। 

वहीं, नवमेश और शुक्र के अपनी उच्च या स्वराशि के चतुर्थांश या तृतीयांश में होने पर, लक्ष्मी योग बनता है। लक्ष्मी योग में जन्मीं स्त्रियां, अत्यधिक सुसंस्कृत होने के कारण निरंतर सम्मानित होती हैं तथा ऐसी महिलाएं पराक्रमी होने के साथ ही, अपने पती की सुरक्षा करने में सक्षम होती हैं तथा देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है। इस योग वाले व्यक्ति, स्वस्थ और व्यापक रूप से परमानंद प्राप्त करते हैं तथा अपने अच्छे व्यवहार से सभी को संतुष्ट रखते हैं।

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