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ज्योतिष में कुंडल योग/ Kundala Yoga in Astrology

दो अलग-अलग भावों में दो ग्रहों के स्थित होने पर, जब  उनके बीच कुछ अन्य भावों के होने के परिणामस्वरूप कुंडल योग/Kundala yoga बनता है।

परिणाम/ Results

कुंडल योग में जन्मे व्यक्ति, सहजतापूर्वक तुच्छ स्नेहवश दूसरों के पैसे पर जीवित रहते हुए, कम संतुष्ट रहते हैं तथा अभिव्यक्ति और लेखन के जानकार होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

उदाहरण के लिए, मेष राशि में प्रभावशाली बृहस्पति के और शनि के मिथुन या कर्क राशि में होने पर, जबकि वृषभ और मिथुन‌ राशि उनके मध्य में हो, तो यही अलग-अलग ग्रहों के अलग-अलग भावों में होने की स्थिति होती है, जो कुंडल योग का निर्माण करती है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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