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ज्योतिष में हर्ष योग/ Harsha Yoga in Astrology

हर्ष योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार, कुंडली के आठवें या बारहवें भाव में छठे भाव के स्वामी के स्थित होने पर, कुंडली में हर्ष योग बनता है। यह योग व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, अच्छा पारिवारिक जीवन, आर्थिक लाभ, समाज में सम्मान और प्रभाव, आधिकारिक पद जैसे अन्य शुभ परिणामों की कृपा बरसाता है। छठे भाव के स्वामी का, छठे भाव में होना ही हर्ष योग नहीं माना जाता। बल्कि, इसे एक प्रकार के गठित विपरीत राजयोग का अपवाद माना जाता है।

उदाहरण के लिए- किसी नेता की हत्या करके देश को अव्यवस्थित कर देने जैसी परिस्थितियों में, ऐसे विपरीत राजयोग को नए राष्ट्राध्यक्ष के रूप में चुना जा सकता है, क्योंकि यह एक सामान्य घटना न होकर, प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण निर्मित होती है। विपरीत राजयोग, व्यक्ति को इन अवसरों का पात्र बनाता है।

परिणाम/ Results

हर्ष योग में जन्मे व्यक्ति भाग्यशाली, स्पष्ट, शांत, शानदार जीवन वाले, विरोधियों को नाश करने वाले तथा बुरे कर्मों से डरने वाले होते हैं।

इस योग से उत्पन्न होने वाले शुभ फलों की बात की जाए, तो यह एक प्रकार का विपरीत राजयोग है, जो सामान्य प्रकार का लाभकारी योग नहीं होता। एक सामान्य प्रकार का लाभकारी योग, कुंडली में अनुकूल परिस्थितियों में बनता है, जबकि विपरीत राजयोग असामान्य या कुछ हद तक नकारात्मक परिस्थितियों में बनता है। विपरीत शब्द का अर्थ  है- विस्र्द्ध या प्रतिकूल, जिससे यह योग कुंडली में विपरीत या असामान्य परिस्थितियों में बनता है। अतः, हर्ष योग के प्रभावों के अंतर्गत, व्यक्ति को प्रतिकूल या असामान्य प्रकार के अवसरों का सामना करना पड़ सकता है। किंतु, समग्र कुंडली के सहायक होने की स्थिति में, वह इन अवसरों के द्वारा लाभ प्राप्त कर सकता है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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