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ज्योतिष में गोला योग/ Gola Yoga in Astrology

बृहस्पति, शुक्र और पूर्ण चंद्रमा के लग्न से नौवें भाव में होने और नवांश कुंडली में बुध के लग्न में होने पर बनने वाला योग, गोला योग कहलाता है।

गोला योग, बी. वी. रमन के वर्णित 300 महत्वपूर्ण योगों में से एक योग है, जिसका निर्माण पूर्णमासी होने पर ही होता है। पूर्ण चंद्रमा का आकार गोलाकार प्रतीत होने के कारण ही, गोला शब्द का प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ हिंदी में गोल होता है।

गोला योग के निर्माण के लिए तीन स्थितियों की आवश्यकता होती है-

  • व्यक्ति का जन्म पूर्णमासी (पूर्णिमा) को होना चाहिए।
  • लग्न से गणना किए जाने पर चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र के साथ नौवें भाव में स्थित होना चाहिए।
  • नवांश कुंडली में लग्न में बुध होना चाहिए।

परिणाम/ Results

गोला योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति ज्ञान का प्रचारक,  ईश्वर का प्रिय, अपने गुणों से जनसमूह को ज्ञान देने वाला, धार्मिक लेखन और अभिव्यंजक कलाओं का ज्ञानी, महानता और धैर्य का गुरु होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

यह योग मनोवैज्ञानिक घटकों पर जोर देता है जैसे- नवांश ग्राफ में पूर्ण चंद्रमा और बुध का आरोही होना। बृहस्पति और शुक्र के साथ पूर्ण चंद्रमा, उच्च विचारवाद और अलौकिक सूचनाओं की उत्सुक समझ का, एक शीर्ष कारक होता है। स्पष्टतः गोला योग, उल्लेखनीय रूप से गजकेसरी योग से कहीं अधिक है क्योंकि शुक्र की युति उसी तरह की होने के परिणामस्वरूप, अनुकूल परिणाम होते हैं।

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