ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग/ Gajkesari Yoga in Astrology
वैदिक ज्योतिष में, गजकेसरी योग अत्यन्त अनुकूल और प्रभावशाली योग है, जो तब बनता है जब बृहस्पति चंद्रमा से केंद्र में आ जाता है। सौरमंडल के विशाल ग्रह बृहस्पति को, प्रचुरता से ग्रह के रूप में जाना जाता है, जो अधिक धन-संपदा और ज्ञान का प्रतीक है। बृहस्पति या गुरु के रूप में भी प्रसिद्ध यह ग्रह, पूजा और भक्ति को इंगित करता है तथा धन और बच्चों पर प्रकाश डालता है। इसके विपरीत, चंद्रमा आनंद, दयालुता और समृद्धि का प्रतीक है। यह तब बनता है जब दोनों भावों के केंद्र या त्रिकोण में एक साथ आते हैं। इस योग के निर्माण के लिए बृहस्पति को चंद्रमा से केंद्र में होना चाहिए।
जन्मपत्री या कुंडली में गजकेसरी योग कैसे बनता है?/ How is Gajkesari Yoga formed in the Horoscope/Kundli?
व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग निम्न स्थितियों में बनता है:
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार, माना जाता है कि यह योग बृहस्पति और चंद्रमा के भुक्ति काल में प्रभावी साबित होता है। इसके अलावा, यह इन ग्रहों की अंतर्दशा की अवधि के दौरान बनता है। व्यक्ति की कुंडली में मंगल, गुरु और चंद्रमा के कर्क राशि में स्थित होने पर यह योग बनता है जिससे व्यक्ति ईश्वर की कृपा और ईमानदारी से किए गए कार्यों के कारण धनवान बनता है। इसके अलावा, मीन, कर्क और धनु राशि में बृहस्पति की उपस्थिति, व्यक्ति का धनवान और समृद्धिशाली होना दर्शाती है।
- प्रबल बृहस्पति वाले व्यक्तियों पर, अक्सर अपने पूरे जीवन में मानसिक शांति, ज्ञान, समृद्धि, सहयोगी प्रकृति और सुख का आशीर्वाद रहता है।
- प्रभावशाली बृहस्पति व्यक्तियों को खगोल विज्ञान, कानून, कंसलटेंसी, प्रशासन, प्रबंधन आदि विभिन्न व्यवसायों में रुचि का अनुभव कराता है।
- बृहस्पति के गहन अध्ययन से पता चलता है कि पूर्वभाद्रपद, विशाखा और पुनर्वसु बृहस्पति के तीन नक्षत्र हैं जबकि दूसरे, पांचवें और नौवें भाव में बृहस्पति कारक के रूप में है। शुक्र और बुध प्रतिद्वंद्वी हैं, जबकि मंगल, सूर्य और चंद्रमा को अनुकूल और मित्र ग्रह माना जाता है। एक और ध्यान देने वाली बात यह है कि शनि, राहु और केतु बृहस्पति के प्रति उदासीन रहते हैं। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि बृहस्पति चौथे और दसवें भाव में सकारात्मक रहता है। जब यह प्रथम भाव में होता है तो उसे आवश्यक दिशात्मक शक्ति प्राप्त होती है।
गजकेसरी योग के प्रभाव/ Effects of Gaja Kesari Yoga
- गज का अर्थ है- हाथी, और केसरी का अर्थ है- शेर। इन दोनों शब्दों के मेल से गजकेसरी बनता है। ये दोनों ही जानवर, प्रभावशाली और शक्तिशाली हैं। ऋषि पाराशर/Rishi parashar के अनुसार, यदि किसी की कुंडली में यह योग बनता है, तो उसे योग्यता और कुशलतापूर्वक, सभी विलासितापूर्ण सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं तथा अपने व्यवसाय में उच्च स्थान प्राप्त होता है। इसके अलावा वह वाद-विवाद, तर्क-वितर्क और रचनात्मक कलाओं में अत्यधिक बुद्धिमान हो सकता है।
- गज, ज्ञान और बुद्धि का साकार रूप है। गज या हाथी को अपनी असाधारण क्षमताओं पर गर्व का अनुभव नहीं होता तथा वह अपनी ताकत और क्षमताओं का बुद्धिमानी से उपयोग करना जानता है। यह योग व्यक्ति को, सफलता और तीक्ष्ण बुद्धि देने के साथ ही, व्यक्ति की आयु भी बढ़ाता है।
गजकेसरी योग के लाभ/ Benefits of Gajakesari Yoga
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति की जन्मकुंडली का सातवां भाव विवाह के लिए होता है और इस योग के भी सातवें भाव में संचालित होने के कारण, इस पवित्र संबंध पर इसका प्रभाव अत्यधिक मंगलमय और अनुकूल होता है। इसके अंतर्गत, व्यक्ति अच्छी जीवन साथी प्राप्त करता है और उनके सहयोग से सफल वैवाहिक आनंद प्राप्त करता है। साथ ही, यह योग व्यक्ति को शीघ्र विवाह के लिए भी बाध्य कर सकता है। इस कारण, व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन की उम्मीद कर सकता है।
इस प्रकार, गजकेसरी योग व्यक्ति के लिए अत्यधिक शुभ होता है, जो उसे प्रचुर मात्रा में समृद्धि प्रदान करता है। यह न केवल व्यक्ति को बौद्धिक क्षमता प्रदान करता है, बल्कि महान भौतिक संपदा भी देता है। साथ ही, व्यक्ति को धन उपार्जन के अनेक अवसर प्राप्त होते हैं। इस योग के लिए केवल इस एक ही स्थिति की आवश्यकता होती है कि चंद्रमा और बृहस्पति दोनों एक-दूसरे के अनुकूल हों।
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