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ज्योतिष में चंडिका योग/ Chandika Yoga in Astrology

चंडिका योग, बी.वी. रमन द्वारा वर्णित 300 महत्वपूर्ण योगों में से एक है जो देवी दुर्गा का क्रोधित चंडी रूप है।  इसी कारण, यह योग इस योग वाले व्यक्तियों को अत्यधिक आक्रामकता और कोप देने वाला कहा जाता है।

स्थिर राशि के लग्न की छठे भाव के स्वामी के साथ युति तथा नौवें भाव में, सूर्य के साथ छठे भाव के स्वामी का नवमेश स्वामी के साथ होने की स्थिति, श्री चंडिका योग होती है। अब, इसे स्पष्ट रूप से समझने की कोशिश करते हैं- 

लग्न के वृषभ, सिंह, वृश्चिक या कुंभ जैसी स्थिर राशियों में होने के साथ ही, छठे भाव के स्वामी की लग्न के साथ युति होनी चाहिए। तीसरा, नवांश कुंडली में उन भावों की जांच करनी होती है, जहां मुख्य चार्ट में छठे भाव और नौवें भाव के स्वामी स्थित होते हैं। चौथा और अंतिम चरण, यह देखना होता है कि उन नवांश कुंडली में क्या भावों के स्वामी सूर्य के सहयोगी हैं।

परिणाम/ Results

श्री चंडिका योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति समृद्धशाली, आक्रामक, पराक्रमी, प्रसिद्ध और सहनीय होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

स्पष्टतः, इस योग के अनुसार व्यक्ति लड़ाकू, बलशाली होता है तथा अपने विरोधियों को डराने-धमकाने के कारण, इनके पास प्रचुर मात्रा में धन होता है। स्थिर राशि की, दिशा की स्थिरता की ओर उन्नति तथा नौवें भाव में, छठे भाव के स्वामी के नवांश स्वामी के साथ सूर्य, विरोधियों के सदाचार द्वारा निवेश करने के कारण सौभाग्य का सूचक होता है।

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