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ज्योतिष में चंदा योग/ Chanda Yoga in Astrology

दसवें भाव में राहु और शनि के तीसरे भाव में दशमेश के स्थित होने के परिणामस्वरूप चंदा योग/Chanda Yoga बनता है। लग्न में उच्च के ग्रह की, तीसरे और नौवें भाव के स्वामी की संयुक्त रूप से मंगल से युति, चंदा योग का कारण बनती है। उच्च का तृतीयेश के साथ, तीसरे भाव में बृहस्पति की शुक्र से युति होने पर, चंदा योग होता है।

परिणाम/ Results

चंदा योग वाले व्यक्ति, अपने उद्देश्यों को साहसपूर्वक संचालन द्वारा पूर्ण करने वाले होते हैं। साथ ही, विवेक का अनुसरण करने वाले इन व्यक्तियों के पास अपनी कामनाओं को पूरा करने की अनवरत ऊर्जा होती है।

टिप्पणियाँ/ Comments

दसवें भाव में राहु नवीनतम चीजों और दृढ़ निश्चय से,  अविश्वसनीय रूप से लाभ पाने वाला होता है तथा तीसरे भाव में दोनों राशियों की कमजोर स्थिति में, शनि के साथ दशमेश व्यक्ति को कपटी भी बनाता है। दसवें भाव में राहु, कामनाओं के अवयवों की ओर निरंतर प्रवृत्त रहता है। 

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