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ज्योतिष में चमरा योग/ Chamara Yoga in Astrology

लग्नेश की अपनी आवर्धन राशि के चतुर्थांश में,  बृहस्पति से युति होने पर, बनने वाला योग चमरा योग/Chamara yoga होता है। लग्न, सातवें, नौवें या दसवें भाव में दो शुभ ग्रहों के स्थित होने पर, बनने वाले योग को चमरा योग कहा जाता है।

परिणाम/ Results 

चमरा योग में जन्मे व्यक्ति तार्किक, कुशाग्र, धार्मिक लेखन के जानकार, भावनापूर्ण और उच्च सम्मानित  व्यक्ति होते हैं।

टिप्पणियां/ Remarks 

प्राथमिक रूप से, लग्नेश को बल प्रदान किया जाता है जबकि दूसरे प्रकार में, बाहर की ओर जाने वाले तीनों चतुर्भुजों में से दो को मजबूत किया जाता है। फलदीपिका में इसे एक वैकल्पिक तरीके बताया है, जैसे- लग्न को लाभप्रद द्वारा संबद्ध किया गया है, जबकि लग्नेश अशुभ या मित्र भाव में होता है। सतमंजरी राजयोग में इसे इस प्रकार बताया गया है कि  चौथा भाव, अपने मित्र भाव में तथा उसका आवर्धन स्वामी दसवें भाव में होने के साथ ही, लग्नेश के नौवें भाव में होने पर चमरा योग बनता है।

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