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ज्योतिष में भास्कर योग/ Bhaskara Yoga in Astrology

सूर्य से दूसरे भाव में बुध, बुध से ग्यारहवें भाव में चंद्रमा, तथा चंद्रमा से त्रिगुट अर्थात पांचवें या नौवें भाव में बृहस्पति के स्थित होने पर बनने वाला योग को भास्कर योग/Bhaskara yoga के नाम से जाना जाता है।

परिणाम/ Results 

आपने यह तो जान लिया कि इस को निर्माण किस प्रकार होता है। चलिए जानते हैं कि यह योग आपको किन किन विशेषताओं का स्वामी बनाता है। इस योग वाले व्यक्ति निडर, शास्त्रों के विद्वान, आकर्षक, संगीत के जानकार, अटल और योग्य होते हैं।

टिप्पणियां/ Remarks 

ग्रहों की व्यवस्था के द्वारा, चंद्रमा और बुध के बीच सूर्य स्थित हो जाता है। आमतौर पर, सूर्य के नजदीक होने के कारण दुर्बल चंद्रमा, बृहस्पति की युति से मजबूत  होता है, जिससे अनुकूल उभयचरी योग/Ubhayachari yoga का निर्माण होता है। इसी प्रकार,  बुध पर भी बृहस्पति की युति के रेखांकन से, सूर्य और चंद्र राशि दोनों ही प्रभावशाली हो जाते हैं। 

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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