ज्योतिष में भद्र योग/ Bhadra Yoga in Astrology

भद्र योग/Bhadra yog का निर्माण बुद्धि के देवता बुध के कारण होता है। लग्न से चतुर्थांश या मूलत्रिकोण या स्वराशि में बुध के स्थित होने पर भद्र योग बनता है। इसे और सरलता से समझते हैं। जब बुध स्वराशि जो कि मिथुन एवं कन्या है में मौजूद हो कर केंद्र भाव यानि प्रथम भाव अथवा दशम स्थान में बैठा हो ता भद्र योग का निर्माण होता है। भद्र योग भी महापुरुष योग की सूची में आता है।

परिणाम/ Results 

भद्र योग में जन्मे व्यक्ति कुशाग्र, चतुर, फैशनेबल, कुलीन व्यक्ति प्रतीत होने वाले, शिक्षित लोगों द्वारा प्रशंसनीय तथा एक अच्छे वक्ता होने के साथ ही, समृद्धशाली, एक शासक या मंत्री और पुराने जमाने की तरह आचरण रखने वाले होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments 

परिभाषित रूप से, किसी भी प्रकार की परिस्थिति में बुध अपने नैसर्गिक व्यक्तित्व को नहीं छोडता चाहे वह किसी भी मामले में हानिकारक ग्रहों के साथ दाहक, युति या संयोजन में क्यों ना आ जाए। बुध का संबंध विद्वता, संचार, संपन्नता और उदारता जैसे गुणों से होता है।

बुध सत्व, गुण, यज्ञ और लोक-कल्याण की भावना वाले विष्णु घटक का प्रतिनिधित्व करता है। तदनुसार, शुद्ध भद्र योग वाले व्यक्ति, सात्विक प्रकृति और सामाजिक कारणों से उदारचरित होते हैं। हालांकि, बुध एक कोमल और नरम ग्रह है, लेकिन अन्य ग्रहों के प्रभावों के कारण हिंसक और चापलूसी जैसे कठोर गुण भी हो सकते हैं। साथ ही, इस योग वाले व्यक्ति सुकुमार और उज्ज्वल त्वचा वाले होते हैं। मिथुन और कन्या राशि कालपुरुष की बाहों, वक्षस्थल, पाचन तंत्र और पेट का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिस कारण व्यक्ति के ये अंग  पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।

भद्र योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति बाघ जैसे तत्व, हाथी जैसी राजसी चाल, विशाल चौड़ी छाती, लंबी गठीली वृत्ताकार भुजाएं, शानदार कद, हंसमुख तथा परिवार और शुभचिंतकों के प्रति लगन के साथ समर्पित रहते हैं। साथ ही, यह योग सुव्यवस्थित सहज बुद्धि, प्रशंसनीय रूप से अत्यधिक सम्मान, विशाल संपदा का संकेत देता है तथा 80 वर्ष की उम्र तक पहुंचता है। 

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

ज्योतिष रहस्य