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प्रदोष व्रत और इसकी महत्वपूर्ण तिथियां | Pradosh vrat

प्रदोष व्रत

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं। यह भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव इस दिन प्रदोष काल अर्थात सूर्यास्त के बाद तांडव करते हैं। अगर इस व्रत को आप पूरी श्रद्धा से रखते हैं तो शिव जी की कृपा से आपको जीवन में सुख, शांति, दीर्घायु और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्त इस व्रत को दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाते हैं। अर्थात यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों के दौरान मनाया जाता है।

मार्च का अंतिम प्रदोष व्रत 22 मार्च, 2024 को रखा जाएगा और यह व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। भगवान शिव के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, जो सूर्योदय से शुरू होता है और सूर्यास्त के बाद समाप्त होता है। वे भगवान शिव की पूजा करते हैं, उनके मंत्रों का पाठ करते हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भजन गाते हैं। कुछ भक्त भगवान शिव के मंदिरों में भी जाते हैं और पूजा अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रवि प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव से आध्यात्मिक ज्ञान और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है। कहा जाता है कि यह व्रत भक्त के जीवन में सभी पापों और बाधाओं को दूर करता है और उन्हें शांति, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह भी माना जाता है कि मार्च के महीने में रवि प्रदोष व्रत करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

रवि प्रदोष व्रत - पूजा विधि? 

धार्मिक शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। रवि प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानि शाम का समय बेहद शुभ माना जाता है। रवि प्रदोष व्रत करने की सही पूजा विधि: 

1. इस दिन सबसे पहले जल्दी उठें, स्नान करें और पूरे भक्ति भाव से व्रत का संकल्प लें। 

2. अपने पूजा स्थल या पूजा करने के स्थान को अच्छे से साफ करें और उसे फूल, माला और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाएं।

3. पूजा स्थल में शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति रखें।

4. अगरबत्ती जलाएं और भगवान शिव को अर्पित करें।

5. देसी घी या तेल का दीपक जलाकर मूर्ति या शिवलिंग के सामने रखें और प्रयास करें की इस जगह सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो।

6. पूरे भक्ति भाव से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मंत्र पढ़ें और जल, दूध और शहद अर्पित करें।

7. प्रसाद के लिए आप भगवान शिव को फल या कोई मिठाई चढ़ा सकते हैं।  

8. यह दिन महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव को समर्पित अन्य मंत्रों का जाप करने के लिए सबसे ज्यादा शुभ है।

9. मंत्र पढ़ते हुए भगवान शिव को अखंड चावल चढ़ाएं। इस बात का अवश्य ध्यान रखें की यह चावल टूटे हुए नहीं होने चाहिए।

10. भगवान शिव के सामने दीपक को गोलाकार गति में घुमाकर आरती करें और पूजा अर्चना करें।

11. अंत में अपने अच्छे जीवन के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें और पूजा का समापन करें।

यदि आपने पूरी ईमानदारी और भक्ति भाव के साथ इस व्रत का पालन किया है तो आपको भगवान शिव का आशीर्वाद अवश्य ही प्राप्त होगा। आप आज के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्रम, या भगवान शिव को समर्पित अन्य भजनों का पाठ भी कर सकते हो। आप जो भी करें उसे सच्चे मन और पूरी भक्ति भावना के साथ करें।

प्रदोष 2024 की तिथियां/Pradosh 2024 Dates

तारीख

दिन

प्रदोष व्रत

मंगलवार

09 जनवरी 2024

भौम प्रदोष व्रत

मंगलवार

23 जनवरी 2024

भौम प्रदोष व्रत

बुधवार

07 फ़रवरी 2024

बुध प्रदोष व्रत

बुधवार

21 फ़रवरी 2024

बुध प्रदोष व्रत

शुक्रवार

08 मार्च 2024

शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार

22 मार्च 2024

शुक्र प्रदोष व्रत

शनिवार

06 अप्रैल 2024

शनि प्रदोष व्रत

रविवार

21 अप्रैल 2024

रवि प्रदोष व्रत

रविवार

05 मई 2024

रवि प्रदोष व्रत

सोमवार

20 मई 2024

सोम प्रदोष व्रत

मंगलवार

04 जून 2024

भौम प्रदोष व्रत

बुधवार

19 जून 2024

बुध प्रदोष व्रत

बुधवार

03 जुलाई 2024

बुध प्रदोष व्रत

गुरुवार

18 जुलाई 2024

गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार

01 अगस्त 2024

गुरु प्रदोष व्रत

शनिवार

17 अगस्त 2024

शनि प्रदोष व्रत

शनिवार

31 अगस्त 2024

शनि प्रदोष व्रत

रविवार

15 सितम्बर 2024

रवि प्रदोष व्रत

रविवार

29 सितम्बर 2024

रवि प्रदोष व्रत

मंगलवार

15 अक्टूबर 2024

भौम प्रदोष व्रत

मंगलवार

29 अक्टूबर 2024

भौम प्रदोष व्रत

बुधवार

13 नवंबर 2024

बुध प्रदोष व्रत

गुरुवार

28 नवंबर 2024

गुरु प्रदोष व्रत

शुक्रवार

13 दिसम्बर 2024

शुक्र प्रदोष व्रत

शनिवार

28 दिसम्बर 2024

शनि प्रदोष व्रत

रवि प्रदोष व्रत कथा

रवि प्रदोष व्रत कथा के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसी मान्यता है की इस व्रत में व्रत कथा अवश्य ही पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव शंकर की असीम कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। 

रवि प्रदोष व्रत से जुड़ी कई कथाएं हैं। इस व्रत से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा इस प्रकार है:

एक समय की बात है, एक नगर में चंदन नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। उसके पास अपार धन संपत्ति थीं, सभी प्रकार के वैभव थे। सुब कुछ होने के बावजूद, उसके जीवन में सुख शांति नहीं थी। वह हमेशा दुखी रहता था क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी। उसे कहीं से रवि प्रदोष व्रत की महत्वता का पता चला। उसने उसी समय इस व्रत को करने का फैसला किया और पूरे भक्ति भाव से कई वर्षों तक कठोर तपस्या की। चंदन की असीम भक्ति से प्रभावित होकर, भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा। चंदन ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की और भगवान शिव ने उन्हें पुत्र का आशीर्वाद दिया।

 

लेकिन कुछ दिनों के बाद, चंदन अपने व्यवसाय में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया और सब कुछ देने वाले भगवान शिव की भक्ति के बारे में ही भूल गया। उसे अपने धन दौलत का अहंकार हो गया और वह घमंडी हो गया। उसे सफलता का ऐसा नशा चढ़ा की उसने पूजा पाठ करना सब छोड़ दिया। वह अपनी आध्यात्मिक साधनाओं की उपेक्षा करने लगा। लेकिन भगवान अपने भक्त को कभी नहीं भूलते। एक दिन भगवान शिव उसके सपने में प्रकट हुए और उसे अपनी भक्ति भूलने के परिणामों की चेतावनी दी। भगवान शंकर ने चंदन को कहा की अगर उसने अपना अहंकार नहीं छोड़ा तो वह अपना धन और सुख दोनों खो देगा। चंदन को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने फैसला लिया की वह अपना जीवन भगवान शिव को समर्पित कर देगा। चंदन ने रवि प्रदोष व्रत का पालन करना शुरू कर दिया और खुद को विनम्र और दयालु बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने लगा। उसने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा को ही अपना धर्म बना लिया।

 

उसकी सच्ची भक्ति से भगवान शंकर प्रसन्न हुए, और उसका व्यापार पहले से भी ज्यादा फलने-फूलने लगा। ईश्वर के आशीर्वाद से वह पहले से भी अधिक संपन्न हो गया। उसने महसूस किया की साधना में कितनी शक्ति होती है। उसने आध्यात्मिक साधनाओं के महत्व को समझा और जीवन भर रवि प्रदोष व्रत का पालन करने का फैसला किया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमे कभी भी अपने धन संपत्ति का अहंकार नहीं करना चाहिए। अगर आप जीवन में सच्चा सुख पाना चाहते हैं तो आपको अपने आध्यात्मिक विकास पर जोर देना चाहिए। अगर आप पूरी ईमानदारी और समर्पण भाव के साथ इस व्रत को करेंगे तो अवश्य ही भगवान शिव प्रसन्न होकर आपको सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देंगे। इस व्रत को करने से निश्चित रूप से आपका आध्यात्मिक विकास होगा और आपको जीवन का मूल ज्ञान प्राप्त होगा।

 

यदि आप इस व्रत को अपने लिए और अधिक शुभ और मंगलकारी बनाना चाहते हो तो आपको कुछ बातों का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए। हम आपको ऐसी कुछ बातें बताना चाहते हैं जिसके करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी अन्यथा आपका काम बिगड़ भी सकता है।

व्रत के दौरान क्या करें

  • व्रत शुरू करने से पहले साफ़-सफाई एवं शुद्धता का पूरा ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही पूजा आरम्भ करें।

  • भगवान शिव को जल, पुष्प और धूप अर्पित करें।

  • गाय के घी को बहुत ही शुद्ध माना जाता है। इसलिए गाय के घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर भगवान शिव को अर्पित करें।

  • व्रत का महत्व बताने वाली रवि प्रदोष व्रत कथा का पाठ पूरी निष्ठा के साथ करें।

  • दिन में व्रत रखें और शाम को पूजा के बाद ही व्रत खोलें।

  • पूजा के दौरान पवित्र शिव मंत्र ओम नमः शिवायका जाप करते रहें।

व्रत के दौरान क्या करें 

  • आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की इस व्रत के दौरान मांसाहारी भोजन, शराब और तंबाकू का सेवन न करें।

  • आज के दिन किसी भी नकारात्मक या हानिकारक गतिविधियों में शामिल न हों।

  • दिन में सोने की बजाय अपने मूल्यवान समय को भगवान शिव से संबंधित भजन कीर्तन में लगाएं।

  • फालतू की बातों में अपना समय बर्बाद ना करें। आपके लिए अच्छा होगा की ना तो किसी की निंदा करें और ना ही किसी के बारे में बुरा बोलें।

  • अपना उपवास शाम की पूजा के बाद ही खोलें।

  • अगर आपने पूजा या व्रत करने का संकल्प लिया है, तो कभी भी इसको बीच में ना छोड़ें क्योंकि इसे भगवान शिव का अपमान माना जा सकता है और आप भगवान की कृपा दृष्टि से वंचित भी हो सकते हैं।

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