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पापमोचनी एकादशी 2023 व्रत तिथि| Papmochani Ekadashi 2023

एकादशी 2023

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत अत्यधिक महत्व रखता है। हिंदू पंचांग/Panchang के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है क्योंकि यह गलत कामों को शुद्ध करने और अंततः मुक्ति की स्थिति प्राप्त करने में सहायता करता है। हिन्दू धर्म मेंपापका अर्थ है- गलत कर्म औरमोचनीका अर्थ है- मुक्ति। ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी सभी पापों को नाश करती है। इस तरह, परम पूजनीय "पापमोचिनी" शब्द का अर्थ है- पापों से मुक्ति" जिसका उपयोग ईश्वरीय शक्ति द्वारा, किसी व्यक्ति को पापों से दोषमुक्त करने के लिए किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उपवास और पूजा-पाठ आदि करने से, ईश्वर की कृपा से व्यक्ति को अपने गलत कामों से मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है। अत्यंत शुभ माने जाने वाले इस दिन को, दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा बड़ी भक्ति और विश्वास के साथ मनाया जाता है जो व्यक्ति के पिछले किए गए सभी पापों को मिटाकर, विष्णुलोक में उसका स्थान निश्चित करने में मदद करता है।

 

पापमोचिनी एकादशी का व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ: 17 मार्च, रात्रि 12 बजकर 7 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त: 18 मार्च, प्रातः 11 बजकर 12 मिनट तक 
पूजा का शुभ मुहूर्त: 18 मार्च 2023, सुबह 7 बजकर 59 मिनट से सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
पापमोचिनी व्रत का पारण: 19 मार्च 2023, सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।

 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार निष्पक्ष और न्यायप्रिय शासक राजा मांधाता से अपने दंभ के चलते, श्रद्धेय ऋषि अंगिरस को अपमानित करने की गलती हो गई। परिणामस्वरूप, उनके संपूर्ण राज्य में भयंकर सूखा पड़ा जिसके चलते, उनके राज्य के लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। तब, राजा ने अपनी गलती को स्वीकार करके भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने उन्हें पापमोचिनी एकादशी व्रत का पालन करने को कहा जिसने राजा और उनकी प्रजा के गलत कार्यों को, शुद्ध करने और मुक्ति प्राप्त करने में मदद की थी।

 

पापमोचिनी एकादशी व्रत का महत्व/Significance of Papmochani Ekadashi Vrat

पापमोचनी एकादशी/Papmochani Ekadashi, एकादशी व्रतों में सबसे अधिक महत्व रखती है क्योंकि इस विशेष दिन व्रत रखने और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही, व्यक्ति  आध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर होकर शांत और सुखी जीवन व्यतीत कर पाता है। यह व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक समस्याएं भी दूर होती हैं। इसके अलावा, भोजन और अन्य विकर्षणों से दूर रहकर, व्यक्ति अपनी मानसिक ऊर्जा को परम शक्ति से जोड़कर आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है जो जीवन जीने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। साथ ही, वे अपने सभी दुःखों और मानसिक कष्टों से छुटकारा पाते हैं। पापमोचिनी एकादशी को, पिछले गलत कार्यों के लिए क्षमा मांगने और सदाचार के मार्ग पर चलने के लिए अनुकूल समय माना जाता है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि भक्तिपूर्वक इस व्रत का पालन और पूजा-पाठ करके मोक्ष की प्राप्ति होती  है जो मानव जीवन का अति महत्वपूर्ण ध्येय है।

 

एकादशी 2023 तिथियां/Ekadashi 2023 

  • 2 जनवरी 2023- पुत्रदा एकादशी

  • 18 जनवरी 2023 -षटतिला एकादशी

  • 1 फरवरी 2023- जया एकादशी

  • 16 फरवरी 2023- विजया एकादशी

  • 3 मार्च 2023- आमलकी एकादशी

  • 18 मार्च 2023- पापमोचिनी एकादशी

  • 1 अप्रैल 2023- कामदा एकादशी

  • 16 अप्रैल 2023- बरूथिनी एकादशी

  • 1 मई 2023- मोहिनी एकादशी

  • 15 मई 2023- अपरा एकादशी

  • 31 मई 2023- निर्जला एकादशी

  • 14 जून 2023 - योगिनी एकादशी

  • 29 जून 2023 - देवशयनी एकादशी

  • 13 जुलाई 2023 - कामिका एकादशी

  • 29 जुलाई 2023 - पद्मिनी एकादशी

  • 12 अगस्त 2023 - परम एकादशी

  • 27 अगस्त 2023 - सावन पुत्रदा एकादशी

  • 10 सितंबर 2023 - अजा एकादशी

  • 25 सितंबर 2023 - परिवर्तिनी एकादशी

  • 10 अक्टूबर 2023 - इंदिरा एकादशी

  • 25 अक्टूबर 2023 - पापांकुशा एकादशी

  • 9 नवंबर 2023 - रमा एकादशी

  • 23 नवंबर 2023 - देवउठनी एकादशी

  • 8 दिसंबर 2023 - उत्पन्ना एकादशी

  • 22 दिसंबर 2023 - मोक्षदा एकादशी

 

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजन विधि/Papmochani Ekadashi Puja Vidhi

इस दिन, श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं जिसके पहले चरण में, भगवान विष्णु की सुंदर मूर्ति या तस्वीर की स्थापना की जाती है। उसके बाद फल-फूल, मिठाइयां आदि अर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही, मंत्रों का जाप सुखद और शांतिपूर्ण आध्यात्मिक वातावरण बनाता है जो आत्मा में एक नई ऊर्जा का संचार करता है। पापमोचिनी एकादशी के दिन व्रत रखने, भगवान विष्णु का पूजन, भगवद्गीता और विष्णुसहस्रनाम जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करने के साथ ही, गरीब और भूखे लोगों को भोजन और कपड़ों का दान करना जैसे नेक कार्य किए जाते हैं। साथ ही, 'विष्णु सहस्त्रनामऔरनारायण स्तोत्रका पाठ करना शुभ माना जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

 

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा/Papmochani Ekadashi Vrat Katha

प्राचीन समय में चैत्ररथ नामक वन में सदैव वसन्त का मौसम रहता था जहां, अप्सराएं विहार किया करती थीं। उसी वन में च्यवन ऋषि के शिव उपासक पुत्र मेधावी भी तपस्या में लीन थे। महर्षि मेधावी की कठोर तपस्या से इंद्र का सिंहासन हिल उठा। इससे घबराकर इंद्र ने मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा को उन्हें मोहित करने के लिए भेजा। महर्षि को मोहित करने के लिए मंजुघोषा, कुछ दूरी पर वीणा बजाकर मधुर स्वर में गाने लगी। उसी समय, कामदेव भी महर्षि मेधावी को जीतने का प्रयास करने लगे। कामदेव ने उस सुन्दर अप्सरा के भौंहों का धनुष और कटाक्ष को धनुष की डोरी बनाकर, उसके नेत्रों को सेनापति बनाया। इस तरह कामदेव के वशीभूत महर्षि मेधावी भी मञ्जुघोषा के सौन्दर्य और मधुर गायन पर मोहित होकर शिव रहस्य को भूल गए और उसके साथ रमण करने लगे। उस समय काम के वशीभूत होने के कारण, मुनि को दिन-रात का कुछ ज्ञान नहीं रहा और इसी तरह काफी समय निकल गया। कुछ समय साथ बिताने के बाद, मंजुघोषा ने ऋषि से स्वर्ग में वापस जाने की आज्ञा मांगी जिसे सुनकर ऋषि को अपनी तपस्या भंग एहसास हुआ। इससे ऋषि ने क्रोधित होकर उस अप्सरा को श्राप दिया कि तूने मेरी तपस्या भंग की इसलिए अब तू पिशाचिनी बन जा। तब ऋषि के श्राप से दुखी होकर अप्सरा श्राप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि से विनती करने लगी और उन्हें बताया कि वो इंद्र के कहने पर यहां आई है। तब मेधावी ऋषि ने उसकी विनती सुनकर, उसे श्राप से मुक्त होने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा। अप्सरा ने श्रद्धापूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जिससे वह अप्सरा भगवान विष्णु की असीम कृपा से ऋषि के श्राप से मुक्त हो गई और पुनः स्वर्ग लोक को चली गई। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पापमोचनी का व्रत करने से जीवन में किए गए सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तभी से पापमोचनी एकादशी का व्रत संसार में विख्यात हो गया।

 

पापमोचिनी एकादशी का पालन करने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं/Do's and Don'ts for observing Papmochani Ekadashi

क्या करें/Do's

  1. इस दिन व्रत रखें और पूजन करने के बाद ही, भोजन करना चाहिए।
  2. सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  3. पूजा के दौरान भगवान श्री विष्णु जी को फूल, फल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए।
  4. पापमोचिनी एकादशी से जुड़ी कथा सुनें।
  5. जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन और वस्त्र दान जैसे पुण्य कार्य करने चाहिए।
  6. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने के साथ ही, भगवद् गीता और विष्णुसहस्रनाम जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करना चाहिए।
  7. पिछले पापों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और नेक जीवन जीने का संकल्प लेना चाहिए।

 

क्या करें/Don'ts

  1. इस दिन मांसाहारी भोजन, मदिरापान या धूम्रपान नहीं करना चाहिए। 
  2. सकारात्मक और आध्यात्मिक मानसिकता के साथ दिन में सोने से बचना चाहिए। 
  3. किसी भी प्रकार के हिंसात्मक या नकारात्मक विचारों में शामिल नहीं होना चाहिए।
  4. इस दिन काले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से भी बचना चाहिए।
  5. भगवान विष्णु की पूजा से पहले उपवास नहीं तोड़ना चाहिए।

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