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vastu for home

हमारा घर हमारे जीवन का प्रतिबिंब होता है। यह हमारे सुख-दुख, स्वास्थ्य और सेहत, धन और समृद्धि आदि की स्थिति को दर्शाता है। यह वह स्थान होता है, जहां हम अपने आसपास की दुनिया से दुर्बल और थक जाने पर वापस जाते हैं।

गृह वास्तु विभिन्न समाधानों द्वारा सुनिश्चित करता है कि आपके घर में हर समय सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती रहे। 

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गृह वास्तु के तरीके / Vastu tips for home

अब हम गृह वास्तु से संबंधित प्रत्येक चीज आपको स्पष्ट करते है। जब घर में भगवान और मनुष्य एक साथ निवास करते हैं, तो यह वास्तु शास्त्र की परिभाषा है। वास्तु शास्त्र विभिन्न ऊर्जाओं पर निर्भर करता है, जो वायुमंडल से उत्पन्न होती हैं जैसे कि-सूर्य से सौर ऊर्जा, अलौकिक ऊर्जा, चंद्र ऊर्जा, ताप ऊर्जा, चुंबकीय ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा और पवन ऊर्जा। 

घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इन ऊर्जाओं को अनुकूल किया जा सकता है। यदि आपका घर सिद्धांतों के अनुसार बना है, तो घर जीवन में खुशियों का आनंद दे सकता है। यदि वास्तु दोष है, तो इन सिद्धांतों के द्वारा इस तरह के सभी मामलों को पहचानकर, वास्तु के मानदंडों के संदर्भ में पता लगा सकता है। ऋग्वेद से, हमें विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए इंद्रासन, पानी के नीचे बसा शहर द्वाराका, जो सप्तपुरी में से एक पुरी भी है, आदि से पता चलता है कि इसके निर्माण में कमी होने के कारण जीवन में अशांति कभी नहीं आ सकती। 

गृह वास्तु के तरीके / Vastu tips for home

अब हम गृह वास्तु से संबंधित प्रत्येक चीज आपको स्पष्ट करते है। जब घर में भगवान और मनुष्य एक साथ निवास करते हैं, तो यह वास्तु शास्त्र की परिभाषा है। वास्तु शास्त्र विभिन्न ऊर्जाओं पर निर्भर करता है, जो वायुमंडल से उत्पन्न होती हैं जैसे कि-सूर्य से सौर ऊर्जा, अलौकिक ऊर्जा, चंद्र ऊर्जा, ताप ऊर्जा, चुंबकीय ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा और पवन ऊर्जा। 

घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इन ऊर्जाओं को अनुकूल किया जा सकता है। यदि आपका घर सिद्धांतों के अनुसार बना है, तो घर जीवन में खुशियों का आनंद दे सकता है। यदि वास्तु दोष है, तो इन सिद्धांतों के द्वारा इस तरह के सभी मामलों को पहचानकर, वास्तु के मानदंडों के संदर्भ में पता लगा सकता है। ऋग्वेद से, हमें विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए इंद्रासन, पानी के नीचे बसा शहर द्वाराका, जो सप्तपुरी में से एक पुरी भी है, आदि से पता चलता है कि इसके निर्माण में कमी होने के कारण जीवन में अशांति कभी नहीं आ सकती। 

पुराने समय के वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार, अच्छे जीवन के लिए सही निवास का होना अनिवार्य है। एक अच्छा घर लेने के लिए इन विशेषताओं को सम्मिलित करना चाहिए : 

१)      सितारों के अनुसार उचित शहर

२)      दिशा

३)      मिट्टी

४)     दिन 

५) नक्षत्र और वास्तु पुरुष की स्थितियों के अनुसार निर्माण करना चाहिए जैसे- ब्रह्मदेव ने शरीर को आत्मा के निवास के लिए बनाया है, वैसे ही हमें शरीर के लिए अनुकूल निवास बनाना चाहिए, जहां हम रह सकें। 

किसी भी निर्माण के पांच जरूरी तत्व होते हैं और इन तत्वों के उचित अनुरूप होने से उसमें रहने वाले निवासियों को समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य दे सकती है।

वास्तु के पांच तत्व / Five elements of Vastu

पृथ्वी, वास्तु शास्त्र का प्रारंभिक तत्व है। धरती या पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय शक्ति का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वास्तु में घर के लिए स्थान का चुनाव आवश्यक है। निर्माण से पहले स्थान की प्रत्येक जानकारी जैसे- जमीन के क्षेत्र की मिट्टी का निरीक्षण और स्थान की दिशा आदि के बारे में जांच करना अति आवश्यक होता है, जिससे स्वस्थ और सेहतमंद रहने में मदद मिल सकती है। 

धरती के बाद वास्तु शास्त्र का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व पानी है। हालांकि, शरीर का अस्सी प्रतिशत (80%) से अधिक और धरती का दो तिहाई हिस्सा पानी से भरा होने के कारण पानी प्रकृति का सबसे बड़ा अंग है। वास्तु शास्त्र में पानी के स्रोतों की जगह के लिए उचित दिशा होती है। अधिकतम लाभ पाने के लिए पानी के स्रोतों को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने की आवश्यकता होती है इसलिए घर बनवाते समय पानी के स्त्रोत उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से अत्यधिक लाभ की प्राप्ति हो सकती है। उत्तर-पूर्व दिशा में पानी होने से सकारात्मकता रहती है इसलिए किसी भी एक्वेरियम, स्विमिंग पूल, पानी की टंकी आदि जलमार्गों को पहले बताई गई जगह पर लगाने की आवश्यकता होती है, अन्यथा यह कष्टप्रद हो सकता है। 

वास्तु के पांच तत्व / Five elements of Vastu

पृथ्वी, वास्तु शास्त्र का प्रारंभिक तत्व है। धरती या पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय शक्ति का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वास्तु में घर के लिए स्थान का चुनाव आवश्यक है। निर्माण से पहले स्थान की प्रत्येक जानकारी जैसे- जमीन के क्षेत्र की मिट्टी का निरीक्षण और स्थान की दिशा आदि के बारे में जांच करना अति आवश्यक होता है, जिससे स्वस्थ और सेहतमंद रहने में मदद मिल सकती है। 

धरती के बाद वास्तु शास्त्र का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व पानी है। हालांकि, शरीर का अस्सी प्रतिशत (80%) से अधिक और धरती का दो तिहाई हिस्सा पानी से भरा होने के कारण पानी प्रकृति का सबसे बड़ा अंग है। वास्तु शास्त्र में पानी के स्रोतों की जगह के लिए उचित दिशा होती है। अधिकतम लाभ पाने के लिए पानी के स्रोतों को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने की आवश्यकता होती है इसलिए घर बनवाते समय पानी के स्त्रोत उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से अत्यधिक लाभ की प्राप्ति हो सकती है। उत्तर-पूर्व दिशा में पानी होने से सकारात्मकता रहती है इसलिए किसी भी एक्वेरियम, स्विमिंग पूल, पानी की टंकी आदि जलमार्गों को पहले बताई गई जगह पर लगाने की आवश्यकता होती है, अन्यथा यह कष्टप्रद हो सकता है। 

अग्नि 

पृथ्वी और पानी के बाद आग या अग्नि वास्तु का अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है। अग्नि के सूर्य से जुड़े होने के कारण इसे जीवनशक्ति और उग्रता के लिए भी जाना जाता है। सूर्य प्राकृतिक रोशनी और ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत है। वास्तु हमें अग्नि के लिए उचित दिशा, जो कि दक्षिण-पूर्व दिशा होती है, बताता है। अग्नि के स्रोत जैसे- रसोई और विद्युत दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। अग्नि के दक्षिण-पूर्व दिशा में होने से सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक लाभप्रद होती है। मनुष्य के लिए रोशनी के प्राकृतिक स्त्रोत का होना आवश्यक होने के होने के कारण, घर में सूरज की रोशनी के लिए उचित प्रकाश होना चाहिए। 

वायु

वायु, प्रकृति का वह महत्वपूर्ण तत्व है जिसके बिना सारा जीवन खत्म हो जाएगा। हवा के अंश का हमारे छूने और आवाज की संवेदना से संबंध होता है। उत्तर-पश्चिम दिशा जो कि वास्तु के अनुसार इस तत्व के लिए एक उचित दिशा होती है। वायु, धरती में मौजूद विभिन्न गैसों जैसे- ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड का समावेश होता है। वास्तु दरवाजे, खिड़कियों, बरामदे, वायु संचार, गृह निर्माण की ऊंचाई, पेड़-पौधों की व्यवस्था के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है। वास्तु के अनुसार, घर में उत्तर-पूर्व दिशा से वायु का प्रवेश होना चाहिए।

आकाश की कोई सीमा नहीं होती। यह तत्व सुनने की संवेदना से संबंधित होता है। आकाश आकाशगंगाओं, सितारों, सूर्य, चंद्रमा, नक्षत्रों और नौ ग्रहों पर आधारित होता है। वास्तव में,आकाश के मनुष्य पर प्रभाव डालने के कारण इसके लिए भी उचित दिशा निर्देश होते हैं, जिसके अनुसार गृह निर्माण ऐसा होना चाहिए जिसमें प्रकाश घर के मध्य क्षेत्र में पड़े इसलिए घर में यह जगह खाली होनी चाहिए। इस जगह पर गड़बड़ी अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकती है।

दुनिया की इस सारी हलचल और नकारात्मक ऊर्जा से, सामान्य मनुष्य के लिए इससे बाहर आकर, स्वयं को सकारात्मक विचारों को लगातार अपने चारों तरफ नहीं बनाए रख सकता। इन असाधारण चुनौतियों का सामना कुछ व्यक्ति ही कर पाते हैं। 

वास्तु शास्त्र की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह निर्माण में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के उचित स्थान के लिए मार्गदर्शन करता है और आपकी सभी इच्छाओं को ब्रह्मांड में प्रेषित करने में मदद कर सकता है।

गृह वास्तु क्यों महत्वपूर्ण है?/ Why is vastu for home so crucial?

घर जीवन का प्रतिबिंब होता है। यह हमारे सुख-दुख, स्वास्थ्य और सेहत, धन-संपदा आदि को दर्शाता है। जब हम अपने आस-पास की अस्तव्यस्त भरी दुनिया से थककर कमजोर हो जाते हैं, तो हम वापस फिर से उसी स्थान पर आते हैं। यदि हमें अपने ही घर में आराम का अनुभव नहीं होगा, तो हम किसी और जगह भी सहज महसूस नहीं कर सकते। यह साबित किया जा सकता है कि प्रत्येक घर की अपनी ऊर्जा होती है, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। इस ऊर्जा में इतनी ताकत होती है कि यह उस जगह पर रह रहे व्यक्तियों के जीवन पर प्रभाव डाल सके। अतः घरों में हर समय सकारात्मक ऊर्जा का बने रहना जरूरी हो जाता है। वास्तु शास्त्र घर के लिए ऐसे कई समाधान प्रस्तुत करके सुनिश्चित करता है जिन से आपके घर में हर समय सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सके।

वास्तु आपके घर की ऊर्जाओं पर कैसे प्रभाव डालता है?/ How does the Vastu impact the energies in your home?

हम जानते हैं कि संपूर्ण जगत और मनुष्य पानी, अग्नि, धरती, वायु और आकाश इन पांच तत्वों से बने हैं जो "पंचमहाभूत"/ Pancha Mahabhutas से परिभाषित होते हैं। वास्तु शास्त्र वह विज्ञान है जो आपके शरीर में उपस्थित इन सभी पांच तत्वों को, हमारे घर के दूसरे पांच तत्वों से जोड़ता है। जब हम वास्तु के इन सभी सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं, तो हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे घर की सारी ऊर्जाएं  ब्रह्मांड की ऊर्जाओं के साथ प्रतिध्वनि करेगी।

हालांकि, निर्माण के समय इन सिद्धांतों को लागू करना एक विचारधारा ही है क्योंकि आधुनिक जीवन शैली के अपार्टमेंट निर्माण में इसे प्राप्त करना लगभग असंभव ही है। अच्छी बात यह है कि वास्तु के जैसे परिणाम पाने के लिए कुछ छोटे से बदलाव करने की आवश्यकता होती है न कि किसी बड़े परिवर्तन की। यह कुछ स्वीकार्य और सरल समाधान बताते हैं कि, जैसे कि दीवार के पेंट में बदलाव या घर के किसी दूसरे सामान या फर्नीचर का पुनर्निर्माण का संकेत दे सकते हैं। घर के लिए बताए गए वास्तु के इन दस महत्वपूर्ण तरीकों को आप कठोरता से पालन कर सकते हैं।

वास्तु आपके घर की ऊर्जाओं पर कैसे प्रभाव डालता है?/ How does the Vastu impact the energies in your home?

हम जानते हैं कि संपूर्ण जगत और मनुष्य पानी, अग्नि, धरती, वायु और आकाश इन पांच तत्वों से बने हैं जो "पंचमहाभूत"/ Pancha Mahabhutas से परिभाषित होते हैं। वास्तु शास्त्र वह विज्ञान है जो आपके शरीर में उपस्थित इन सभी पांच तत्वों को, हमारे घर के दूसरे पांच तत्वों से जोड़ता है। जब हम वास्तु के इन सभी सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं, तो हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे घर की सारी ऊर्जाएं  ब्रह्मांड की ऊर्जाओं के साथ प्रतिध्वनि करेगी।

हालांकि, निर्माण के समय इन सिद्धांतों को लागू करना एक विचारधारा ही है क्योंकि आधुनिक जीवन शैली के अपार्टमेंट निर्माण में इसे प्राप्त करना लगभग असंभव ही है। अच्छी बात यह है कि वास्तु के जैसे परिणाम पाने के लिए कुछ छोटे से बदलाव करने की आवश्यकता होती है न कि किसी बड़े परिवर्तन की। यह कुछ स्वीकार्य और सरल समाधान बताते हैं कि, जैसे कि दीवार के पेंट में बदलाव या घर के किसी दूसरे सामान या फर्नीचर का पुनर्निर्माण का संकेत दे सकते हैं। घर के लिए बताए गए वास्तु के इन दस महत्वपूर्ण तरीकों को आप कठोरता से पालन कर सकते हैं।

मुख्य द्वार / Main Entrance

आपके घर का मुख्य प्रवेश कल्याण का द्वार होता है- पहला स्थान जहां विश्व की ऊर्जा और  निवासस्थान की शक्तियों का संपर्क होता है, इसलिए घर का चुनाव करते समय इस पहले और आवश्यक बिंदु को महत्व देना चाहिए।

जहां एक शुभ प्रवेश आपके करियर, समृद्धि और स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है वहीं दूसरी ओर, एक अशुभ प्रवेश जीवन को कभी न खत्म होने वाली चुनौतियों जैसा बना सकता है। 

प्राचीन लेखों में वास्तु शास्त्र/Vastu Shastra के जो नियम और दिशा निर्देश लिखे गए हैं, उन्हें आपको घर के मुख्य प्रवेश द्वार के लिए ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, पूर्व दिशा में प्रवेश द्वार शुभ होता है जबकि दक्षिण दिशा में अशुभ होता है। लेकिन आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि पूर्ण रूप से यह विपरीत भी हो सकता है क्योंकि यह हमेशा सही नहीं होता है।

बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह और मार्गदर्शन के नए प्रवेश द्वार का निर्णय लेना चुनौती भरा हो सकता है, जो कि हानिकारक है। यह एक सुझाव है कि व्यक्तिगत पुस्तकों या इंटरनेट पर किसी ब्लॉक या लेख पर आधारित बातों से मुख्य द्वार की सकारात्मक या नकारात्मकता को आकलन किया जाए।

गृह निर्माण में कमी और विस्तार / Cuts and Extensions in the house structure

अन्य पहलू यह है कि ज्यादातर लोग यह नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि या तो वे कमी और विस्तार के प्रभाव को लेकर हमेशा लापरवाह होते हैं या वे निर्माण में कमी या विस्तार को समझ ही नहीं पाते हैं। 

जैसा ऊपर बताया गया है, कि घर मनुष्य के शरीर का प्रतिनिधित्व करता है। यदि मानव शरीर का एक अंग या भाग बढ़ जाए या खो जाए, तो शरीर अपने अनुकूल कार्य करने की क्षमता को खो देता है, वैसे ही हमारे निवास के मामले में होता है। 

यदि घर का कोई हिस्सा भूल जाते हैं, तो इस बात की अत्यधिक संभावना होती है कि आप जीवन में उस प्रभाव को खो दें, जिस हिस्से या दिशा का वह  प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, आपके घर का दक्षिण-पश्चिम हिस्सा जीवन में स्थिरता का प्रतीक होता है। यह आर्थिक सुरक्षा स्वास्थ्य यह संबंधों का नेतृत्व करता है।

घर में दक्षिण-पश्चिम का हिस्सा भूल जाते हैं, तो वह आपके संपूर्ण जीवन में स्थिरता की कमी ला सकता है या घर का कोई हिस्सा सामान्य सीमा से आगे बढ़ा हुआ है, तो यह दक्षिण-पूर्व दिशा में भी चुनौतियों को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, आपके घर का दक्षिण-पूर्व कोना आपके धन की आपूर्ति और नकदी का प्रतिनिधित्व करता है। आप तर्कपूर्ण रूप से सोच सकते हैं कि दक्षिण-पूर्व के विस्तार से आपकी धन आपूर्ति बढ़ जाएगी। इससे केवल अधिक पैसा कमाने की इच्छा बढ़ेगी न कि वास्तविक धन आपूर्ति बढ़ेगी। यदि आप ज्यादा और ज्यादा धन कमाने की इच्छा रखते हैं तो आप अपने उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे और अपने उद्देश्यों तक पहुंचने के सही कार्य करने के तरीके को भी भूल सकते हैं। आपका दिमाग कमाने में केंद्रित रहेगा और यह वास्तव में कमाई नहीं होगी। 

रुकावट दूर करें / Clear the Clutter

निवास स्थान पर अवरुद्ध ऊर्जाओं में से सबसे ज्यादा सामान्य कारण, जिसको सामान्यतः अनदेखा करते हैं। हमारी समझ से जिनकी भविष्य में आवश्यकता हो सकती है हम उन चीजों का संग्रह करते हैं। नियमानुसार, यदि आप किसी चीज को छ: महीनों तक उपयोग नहीं करते हैं, तो आपके लिए इसे उपयोग करना संभव नहीं होता है।

इस तरह का किया गया संग्रह, निवास स्थान का महत्वपूर्ण स्थान लेने के अलावा नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है और सकारात्मक ऊर्जा को फैलने से रोक सकते हैं। वास्तु निवास स्थान की ऊर्जा के प्रभाव और प्रसार के बारे में होता है। यदि शक्तियां आपके घर में स्वतंत्रतापूर्वक गतिमान रहती हैं, तो सकारात्मक रूप से बने कमरे और दूसरी संरचनाएं अपना उत्तम परिणाम देने में विफल हो सकती हैं।

यदि आपके मन में अत्यधिक अनावश्यक जानकारी है, तो यह सही और गलत की प्रक्रिया को नहीं समझ सकता। आप निराश होकर मानसिक विरोधों का सामना कर सकते हैं। 

यदि आपके पास अनावश्यक सामान है जो घर के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रखा है, तो उस क्षेत्र की ऊर्जा का अवरुद्ध होना आवश्यक है। अतः यह सुझाव दिया जा सकता है कि अपने घर की किसी भी रुकावटों को साफ रखकर हमेशा ऊर्जा को स्वतंत्रता पूर्वक फैलने दें।

उत्तर-पूर्व क्षेत्र को साफ रखें / Clean North-East Zone

प्रत्येक दिशाओं में से उत्तर-पूर्व कोण सही कारण के लिए अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा देता है। वास्तु के सभी लिखी गई पुस्तकों, लेखों और पंडितों द्वारा आपके निवास के उत्तर-पूर्व क्षेत्र की सुरक्षा के ढेर सारे महत्वपूर्ण विषय बताए गए हैं। यह पूजा घर के लिए एक उत्तम स्थान है। इस क्षेत्र की महत्ता को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि इस दिशा में छोटी सी भी कमी या गलती घर की दूसरी सभी सकारात्मक चीजों को खत्म कर सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उत्तर-पूर्व मानव शरीर के मस्तिष्क के समान होता है। जैसे आपका मस्तिष्क तंत्रिका प्रणाली को नियंत्रित करता है यह भी निवास स्थान का ऊर्जा केंद्र होता है। इस दिशा में कोई भी दोष होने पर यह किसी भी निवासी के लिए स्वास्थ्य और मानसिक समस्या का कारण बन सकता है।

इस क्षेत्र में शौचालय, रसोईघर, सेप्टिक टैंक दोष का कारण हो सकता है। यहां तक कि, उत्तर-पूर्व दिशा में कोई भी कमी स्वास्थ्य और धन संबंधी गंभीर समस्या का कारण हो सकती है। किसी भी निवास स्थान को चुनने से पहले यह सुनिश्चित करते हैं कि आप इस दिशा में किसी भी दोष को अनदेखा नहीं कर सकते और उसे हमेशा साफ रखा जाना चाहिए। 

आप नीचे दिए गए हमारे मुफ्त कैलकुलेटर का उपयोग करके अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

भूमिगत टैंक जैसे जल निकायों का उचित स्थान / Proper placement of Water Bodies like Underground Tanks 

इन सभी पांच तत्वों में, जल तत्व व्यक्तियों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव शरीर 70% पानी से बना होता है इसलिए भूमि वास्तु के अनुसार पानी का टैंक भूमिगत होना चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं, कि पानी के सभी तत्वों के साथ हमारे सामंजस्यपूर्ण संबंध होने चाहिए। जल की विशेषता वहाव होने के कारण, मनुष्य के संदर्भ में, यह हर उस चीज का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारे अंदर बहती है। यह खून और शरीर के तरल पदार्थ, यहां तक कि कुछ विशेष भावनाएं सोच और विचार भी हो सकते हैं।

घर में जल निकायों के उचित स्थान से भावनाओं, विचारों और सोच में शांति और सकारात्मक बहाव बनाए रख सकते हैं। 

गृह वास्तु के अनुसार भूमिगत जल निकाय जैसे- बोरवेल, कुएं और भूमिगत टैंक घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में स्थापित होने चाहिए।

इन क्षेत्रों के अलावा, यदि यह निकाय किसी और जगह स्थापित होते हैं, तो यह घर में रहने वाली सकारात्मक ऊर्जाओं में बाधा पहुंचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि भूमिगत पानी का टैंक दक्षिण में स्थापित होता है, तो यह गंभीर पाचन संबंधी समस्याओं, मुकदमेबाजी और कानूनी मामलों का कारण बन सकता है। 

संपत्ति का निर्माण करते समय, जल निकायों का उत्तर-पश्चिम में स्थापित होने से यह कभी न खत्म होने वाली परेशानियों या मांसपेशियों और जोड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण हो सकता है। अतः बताए गए क्षेत्र में जल निकायों का स्थापित होना आवश्यक है। 

रसोईघर का स्थान / Placement of the Kitchen

आपके निवास स्थान में रसोईघर का स्थान आपकी आर्थिक क्षमता और धनराशि को निर्धारित करता है, जो आप जीवन में कमाते हैं। वास्तुशास्त्र में घर के लिए रसोई वास्तु के अनुसार, घर में रसोई घर अग्नि तत्व को प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे शब्दों में, यह लौकिक ताप का प्रतीकात्मक रूप है। 

अग्नि तत्व का महत्व कुछ ऐसा है कि हम इसे कुछ हद तक ही महत्व नहीं दे सकते हैं।

आधुनिक संदर्भ में, अग्नि तत्व धन से संबंधित है जिसे हम कार्यों के द्वारा कमाते हैं या उत्पादित करते हैं। आज की दुनिया में यह अति आवश्यक है क्योंकि आप जिस खुशी, शक्ति और स्वास्थ्य के योग्य हैं, वह धन पर निर्भर हो गया है। धन की कमी जीवन में अपराजिता चुनौतियों को काफी हद तक मुश्किल बनाती है। 

अतः घर में रसोईघर का स्थान वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार होने की आवश्यकता होती है।

दक्षिण-पूर्व और दक्षिण रसोई घर के स्थान के लिए अत्यधिक उपयुक्त दिशाएं होती हैं। कुछ मामलों में, इन दोनों दिशाओं में रसोईघर का स्थान संभव नहीं होने के कारण कुछ विकल्प भी होते हैं, जिनको विशेष प्रबंध करके अपनाया जा सकता है।

मूर्तियां और चित्र / Sculptures and Paintings

प्राचीन काल से ही चित्रकला और अन्य मूर्तियां संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्राचीन कलाओं के माध्यम से, आज हम विरासत के बारे अधिक जानकारी रखते हैं।

आपके जीवन में घर की प्रत्येक अन्य वस्तुएं भी प्रभाव डालती हैं। घर की प्रत्येक वस्तु अवचेतन स्तर पर भावनाओं और चेतना में अपनी छवि बनाती है तथा चित्र और मूर्तियां भी इसका अपवाद नहीं है। 

दृश्य कला और मूर्तियां हमारे मानसिक स्वास्थ्य का शक्तिशाली साधन होती हैं और ये दिमाग और तंत्रिका प्रणाली पर सीधा असर डालती हैं इसलिए घर की कलाकृतियां हमारे मन की सकारात्मक भावनाओं और चेतना को अभिमंत्रित करती हैं। 

कला, रहने के स्थान को अतिरिक्त सुंदरता प्रदान करती है जिसको पसंद करके प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित कर सकते हैं। यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि वास्तु के अनुसार प्रत्येक दिशा और तत्व जीवन पर प्रभाव डालते हैं। 

दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र परिवार, मित्रों या किसी अन्य परिचय परिचितों के साथ संबंध को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में पारिवारिक चित्र लगाने से संबंधों में मजबूती आती है। 

इसके विपरीत यदि कोई इस क्षेत्र में युद्ध के दृश्य या जंगली जानवरों को दर्शाने वाले चित्र लगाता है, तो यह निश्चित रूप से परिवार में विवाद का कारण हो सकते हैं। यह समझना आवश्यक है कि आपके लिए चित्र या मूर्ति के किस रूप को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।

फर्नीचर और लकड़ी का काम / Furniture and Woodwork

यह एक और कारक है जिसके संबंध में ज्यादातर लोग लापरवाह होते हैं। अपने घर में आप जिस प्रकार के फर्नीचर का उपयोग करते हैं, उसका वैसा ही प्रभाव आपकी सेहत और समृद्धि पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के पुरातन संदेश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि किस विशेष प्रकार की लकड़ी का, फर्नीचर और उनके सामान बनाने के लिए उपयोग करना चाहिए। अत्यधिक महत्वपूर्ण याद रखने वाली मुख्य बात यह है कि आपको कभी भी अपने पुराने घर की इस्तेमाल की गई लकड़ी का दूसरे घर का फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। (यदि आप स्पष्ट रूप से इसकी कीमत का प्रबंध कर सकते हों तो)। एक अन्य महत्वपूर्ण ध्यान रखने वाला कारक यह है कि धातु या  कृत्रिम तंतुओं से बने फर्नीचर का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि सामान्य लकड़ी  की तुलना में इस तरह के फर्नीचर का अत्यधिक कम पुनरावृति के साथ कंपन होता है। लकड़ी और पत्थर से बने सामानों में ज्यादा सकारात्मक पुनरावृत्ति होती है। धातु के बने बिस्तर पर सोने से चिकित्सा संबंधी मामले उत्पन्न हो जाते हैं क्योंकि सभी धातुओं से विशेष सीमा तक विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बनते हैं। जबसे हम लोग विद्युत प्राणी जैसे हो गए हैं, तबसे जब हम धातु के पास जाते हैं तो शरीर कुछ हद तक पीड़ा का अनुभव करता है। यदि किसी को यह दूर से अनुभव नहीं होता है, तो शारीरिक और मानसिक तरंगों द्वारा अवश्य ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। हम यह सुझाव देते हैं कि बच्चों के लिए लकड़ी का आसन और लकड़ी की मेज का उपयोग करना चाहिए। उन्हें रेशों और धातु से बने सामानों से दूर रहना चाहिए। लकड़ी की सकारात्मक कंपन की विशेषता से उन्हें ध्यान केंद्रित करने में बेहतर मदद मिल सकती है। 

फॉल्स सीलिंग / False Ceiling

आप इस बारे में सोच रहे होंगे, कि नुकसान न पहुंचाने वाली फॉल्स छत का वास्तु के साथ क्या संबंध है? निश्चित रूप से है। निर्दयी दुनिया के प्रहारों से, बनावटी घर वर्तमान संरचनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। यह आपके स्टाइलिश प्रदर्शन को सकारात्मक रूप से चमक के साथ बढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह सेहत से जुड़े जोखिमों को अत्यधिक मात्रा में बढ़ा सकते हैं। जगह की कमी के कारण आजकल छतों की ऊंचाई कम होती जा रही है जिससे हमारे सिरों के ऊपर छतों के साथ रहते हुए हम प्रभावित होते हैं। पहली छत में दो अंकों की कमी करके उसके नीचे नकली छत बना दी जाती है। परिणामस्वरूप, कम खाली स्थान और कम वायु की स्थिति हो जाती है। वर्तमान घरों में पहले की अपेक्षा कम वायु संचार हो पाता है। गर्मी और उमस को खत्म करने के लिए ए.सी. आवश्यक हो गए हैं। नकली छतों पर लगी लाइटों से गर्मी पैदा होने के साथ ही तापमान में भी बढ़ोतरी होती है। इससे ए.सी. के ठंडा करने का उपयोग बढ़ने से अप्राकृतिक मौसम में बदलाव होता है। इसके साथ ही नकली छतों की बिजली की तारों से हमारे सिर के ऊपर कई प्रकार के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र बनते हैं, जो निश्चित रूप से सेहत के लिए लाभप्रद नहीं होते हैं। इस तरह, नकली छत लाभ की जगह अत्यधिक कमियां पैदा करती है इसलिए इससे दूर रहना चाहिए। फिर भी अपेक्षा की जाती है कि इससे जितना हो सके दूर रहना चाहिए। 

ब्रह्म स्थान / Brahmasthan

वास्तु शास्त्र में, ब्रह्म स्थान या घर के केंद्र बिंदु ब्रह्मस्थान वास्तु शास्त्र से कोई समझौता नहीं होता है। हम समझ सकते हैं कि प्रकृति की बनी प्रत्येक चीज की उपस्थिति उसके केंद्र बिंदु से बनती और बढ़ती है, बिल्कुल ऐसा ही हमारे घर की ऊर्जाओं में होता है। हमारे घर का केंद्र बिंदु ब्रह्मस्थान या ब्रह्मदेव/ Lord Brahma का स्थान होता है- हर चीज के निर्माता। यह वह स्थान होता है जहां हर उपस्थित चीज का विकास होता है। यह ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है, कि वास्तु शास्त्र पर लिखी गई लगभग सभी बातें इस बात को लेकर स्पष्ट रूप से एकमत हैं कि प्रत्येक को  ब्रह्म स्थान  को किसी भी दोष से दूर रखना जरूरी है। किसी भी घर को खरीदते या बनवाते समय आपको इस स्थान की पवित्रता को बनाए रखने पर विचार करना चाहिए। किसी को भी स्थान के केंद्र बिंदु पर कोई भी विभाजन करने वाला स्तंभ कभी भी नहीं बनवाना चाहिए। जैसे कि, यहां शौचालय, ऊपर जाने की सीढ़ियां, रसोई आदि सीधे हमारे घर के केंद्र बिंदु पर नहीं होना निश्चित करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो इससे सेहत और बजट संबंधी अत्यधिक खतरे हो सकते हैं। 

निष्कर्ष / Conclusion

हमारा घर हमारे जीवन का अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है। इस स्थान पर हम प्रत्येक दिन आश्रय लेते हैं। जिस तरीके से हम इसे बनाएंगे, हमारी जीवन शैली का अस्तित्व वैसा ही दिखेगा। 

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