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पूजा घर हेतु सही वास्तु

पूजा घर के लिए वास्तु शास्त्र के सुझाव

घर की संपूर्ण वास्तु योजना में पूजाघर के लिए वास्तु एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे घर की पूर्ण सुख और शांति हमारे पूजा घर की बनावट पर निर्भर होती है। 

भारतीय संस्कृति, घर में पूजा या ध्यान के लिए समर्पित स्थान रखने पर ज्यादा महत्व देती है, जो घर में शांति के लिए पवित्र कोण और स्थान होता है। 

घर में ध्यान और पूजा के लिए कक्ष का स्थान होने से अत्यधिक सकारात्मक ऊर्जा आती है। वास्तु के अनुसार घर की बनावट करने से आसपास के वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है।

पूजाघर के लिए वास्तु - पूर्व में पूजा घर का स्थान / Vastu for Puja Room- Placement of Pooja Room in the East
वेदों के अनुसार, सूर्य को "दुनिया की आत्मा" के रूप में जाना जाता है। यह रोशनी के स्त्रोत का मूल तत्व है। सूर्य पूर्व से उगता है, अतः पूर्व में घर के मंदिर का स्थान होने से घर के व्यक्तियों को उगते सूर्य की रोशनी से शक्ति मिलना निश्चित है। 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, योग की अवस्था में सूक्ष्म और गुप्त ऊर्जा मनुष्य के मस्तिष्क के उत्तरी दिशा में स्थित प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) में होती है, जो सहस्त्रार चक्र, ब्रह्मरंध्र चक्र, आज्ञा चक्र का केंद्र होते हैं। उगते सूर्य के सामने ध्यान लगाने से यह केंद्र सक्रिय  होकर अलौकिक क्षमता और शक्ति को जागृत करते हैं। अतः धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए ध्यान या पूजा घर पूर्व में होना महत्वपूर्ण है। 

पूजाघर के लिए वास्तु - पूर्व में पूजा घर का स्थान / Vastu for Puja Room- Placement of Pooja Room in the East
वेदों के अनुसार, सूर्य को "दुनिया की आत्मा" के रूप में जाना जाता है। यह रोशनी के स्त्रोत का मूल तत्व है। सूर्य पूर्व से उगता है, अतः पूर्व में घर के मंदिर का स्थान होने से घर के व्यक्तियों को उगते सूर्य की रोशनी से शक्ति मिलना निश्चित है। 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, योग की अवस्था में सूक्ष्म और गुप्त ऊर्जा मनुष्य के मस्तिष्क के उत्तरी दिशा में स्थित प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) में होती है, जो सहस्त्रार चक्र, ब्रह्मरंध्र चक्र, आज्ञा चक्र का केंद्र होते हैं। उगते सूर्य के सामने ध्यान लगाने से यह केंद्र सक्रिय  होकर अलौकिक क्षमता और शक्ति को जागृत करते हैं। अतः धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए ध्यान या पूजा घर पूर्व में होना महत्वपूर्ण है। 

उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा घर/ Puja Room in North-East direction

ग्रंथों के अनुसार, वास्तु पुरुष भूमि पर अधोमुख होकर स्थित हैं, उनका सिर ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा  की ओर होने के कारण ईशान कोण/North-East direction आत्मा को परमात्मा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन क्षेत्रों की ऊर्जा से मध्यस्थ को प्रभावशाली विचारों के साथ रचना रचनात्मक निर्णय का उपहार भी मिलता है। इससे, उनको इससे संबंधित सभी सवालों के जवाब देने में सहायता मिल सकती है। इस दिशा में उगते सूर्य की किरणों से शक्ति मिलती है, जो घर में समृद्धि और सकारात्मकता लाती है और वातावरण को शुद्ध कर देती है।  साथ ही, पूर्व के उत्तर-पूर्व की तरफ होने से मानसिक एकाग्रता को शीघ्र बढ़ाने में मदद कर सकती है। भगवान शिव के भक्तों के लिए इसका विशेष महत्व होता है।

आप अधिक जानकारी पाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर हमारे मुफ्त कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।

पश्चिम में पूजा घर का स्थान/ Placement of Pooja Room in the West

प्राचीन मंदिरों, गिरिजाघरों या पूजा स्थलों के अनुसार, प्रतिमाओं को पश्चिम में रखा जाता है। ऐसी मान्यता है, कि देवताओं पर उगते सूर्य की पहली किरण पड़नी चाहिए इसलिए उनका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। साथ ही, पश्चिम दिशा की ऊर्जाएं व्यक्तियों को जीवन के लगभग सभी पहलुओं में अत्यधिक लाभ और मुनाफा प्रदान करती हैं। भगवान वरुण (जल और सभी दिव्य महासागरों के स्वामी) को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है। वह नैतिकता और निष्पक्षता के आधार होने के कारण दुनिया के संचालक हैं। 

पूजा में मुख की स्थिति के लिए वास्तु के सुझाव/ Vastu tips for Puja Room to ensure your face during puja

कुछ बेहतर पाने के लिए विशेषज्ञ कुछ विशेष आध्यात्मिक कार्यों का सुझाव देते हैं। प्रार्थना या ध्यान करते समय किस दिशा में भक्तों का मुख होता है उसका गहरा महत्व होता है। जो भक्त धन के लिए प्रार्थना करते हैं उसका मुख उत्तर में होना चाहिए। ज्ञान की इच्छा रखने वाले वालों का पूर्व में होना चाहिए। सुख और शांति पाने वालों के लिए पश्चिम पूजा घर के लिए उत्तम दिशा है।

पूजा के लिए एक ही स्थान - A single place to Worship

घर में पूजा के लिए एक ही स्थान होने से पारिवारिक सदस्यों का भक्ति की तरफ ध्यान केंद्रित रह सकता है। ऐसे वातावरण में परिवार का प्रत्येक सदस्य आनंदित महसूस कर सकता है। इससे परिवार में शांति, एकता और प्रेम के साथ सामंजस्य बनाए रखने में भी मदद मिलती है।

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