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वास्तु शास्त्र - वास्तु ज्योतिष का महत्व
क्या आप बिहार में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में जानते हैं - यह प्राचीन समय में भारत में उस समय बना था, जब हम रोजमर्रा के जीवन में वास्तु या वास्तु शास्त्र जैसे शब्दों के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। तथा जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता था तब तक भवन के प्रत्येक कोने में सूर्य की रोशनी रहती थी। यह एक चमत्कार ही है, जो और कुछ नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र की श्रेष्ठता है। लोग आज तक रिसर्च कर रहे हैं कि इसके निर्माण में किन तकनीकों या विशेषताओं का उपयोग किया गया था।
वास्तु और वास्तु शास्त्र का मतलब है - स्थापत्य कला का विज्ञान (Science of architecture)। वास्तु, शायद कुछ सीमा तक बौद्ध धर्म की धारणा या भारतीय स्थापत्य कला के परंपरागत सिद्धांतों पर आधारित है। वास्तु शास्त्र का उद्देश्य निर्माण के अलग-अलग हिस्सों को स्थापत्य कला के साथ प्रकृति को एकीकृत करने से है जो कि ज्यामितीय आकार, सममिति (संतुलन) और दिशात्मक गठबंधन पर आधारित होता है। वास्तु विचारों और अवधारणा का जोड़ है जो निर्माण के उस उद्देश्य के लिए लाभकारी बनाता है जिस उद्देश्य के लिए भवन निर्माण हो रहा है। इसलिए जिस उद्देश्य के लिए किसी संरचना का निर्माण होता है उसका समाधान करने के लिए वास्तु शास्त्र की अवधारणा दृढ़ या कठोर न होकर लचीली होनी चाहिए।
वास्तु, आवास के विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है। वास्तु वैदिक काल जितना ही प्राचीन और स्थापत्य कला के निर्माण की पद्धति के साथ अस्तित्व में आया है लेकिन अब सभी इमारतों को बनाने के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। जैसे यह घर, व्यवसाय, व्यवसायिक उपयोग, सार्वजनिक सुविधाओं, धार्मिक उद्देश्यों आदि के लिए काम में लिया जाता है, क्योंकि किसी भी निर्माण कला में उसके उद्देश्यों के साथ अधिकतम लाभ प्राप्त करना ही वास्तु शास्त्र का उद्देश्य है इसलिए प्रत्येक इमारत के लिए वास्तु के अलग-अलग नियम और दिशानिर्देश हो सकते हैं।
आप मेरा वास्तु शास्त्र पर नवीनतम साक्षात्कार आउटलुक इंडिया/द वीक्स/ हिंदुस्तान टाइम्स को नीचे दिए गए समाचार विभाग से भी पढ़ सकते हैं।
वास्तु का क्या महत्व है?/ What is the importance of Vastu
वास्तु का महत्व लौकिक ऊर्जा /cosmic energies से अधिकतम लाभ प्राप्त करना है, जो किसी भी निर्माण में जीवन को प्रभावित करती है। वास्तु का महत्व यह है कि किसी भी इमारत के उस उद्देश्य को ध्यान में रखकर डिजाइन बनाना, जिसके लिए निर्माण होना है। पहले यह समझते हैं की वास्तु शास्त्र की लौकिक ऊर्जा/cosmic energy क्या है? ये हैं :
१) आठों दिशाओं की ऊर्जा। इन दिशाओं से हमें यह निर्णय करने में मदद में करती हैं कि कौन सी चीज किस स्थान पर होनी चाहिए।
वास्तु का क्या महत्व है?/ What is the importance of Vastu
वास्तु का महत्व लौकिक ऊर्जा /cosmic energies से अधिकतम लाभ प्राप्त करना है, जो किसी भी निर्माण में जीवन को प्रभावित करती है। वास्तु का महत्व यह है कि किसी भी इमारत के उस उद्देश्य को ध्यान में रखकर डिजाइन बनाना, जिसके लिए निर्माण होना है। पहले यह समझते हैं की वास्तु शास्त्र की लौकिक ऊर्जा/cosmic energy क्या है? ये हैं :
१) आठों दिशाओं की ऊर्जा। इन दिशाओं से हमें यह निर्णय करने में मदद में करती हैं कि कौन सी चीज किस स्थान पर होनी चाहिए।
२) विशिष्ट ज्यामितीय निर्माण के द्वारा पवित्र ऊर्जा,
३) प्रकृति का चक्र,
४) रंगों का चुनाव,
५) निर्माण में उपयोग की गई धातु की ऊर्जा,
६) इमारत के आसपास और अंदर पेड़-पौधों के द्वारा निर्माण को कितनी ऊर्जा प्राप्त होगी,
७) बुनियादी दोषों से बचाव। यह दोष जल निकायों, किसी विशेष दिशा में सड़क का जुड़ा होना, छत का स्थान, कमियां, भंडार, गोदाम आदि हो सकते हैं।
८) फर्श की सतह की ऊर्जाएं,
९) दरवाजों और खिड़कियों द्वारा वायु संचार की ऊर्जाएं,
१०) यंत्र के द्वारा ऊर्जाएं,
११) योग की ऊर्जाएं।
किसी भी इमारत में वास्तु सलाहकार/ Vastu Consultant द्वारा, वास्तु के इन आधार केंद्रों को ध्यान रखा जाता है।
आप इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए हमारे मुफ्त कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
ज्योतिष और वास्तु में संबंध / Connection between Astrology and Vastu
जब हम कोई भी इमारत बनाना चाहते हैं, तो उसमें वास्तु और ज्योतिष/astrology का सीधा संबंध होता है। जहां वास्तु/vastu हमें सभी दिशाओं की लौकिक ऊर्जा/cosmic energy के विभिन्न उपयोग के लिए विस्तृत विश्लेषण बताता है, वहीं वास्तु ज्योतिष/vastu astrology हमारी जन्म कुंडली/ natal chart के अनुसार संबंध मिलाने में मदद करता है। विस्तार में समझाते हैं, कि ब्रह्मांड में प्रत्येक दिशा एक विशेष ग्रह द्वारा संचालित होती है। ज्योतिष/ astrology में भी हमारी कुंडली/natal chart भी नौ ग्रहों से संचालित होती है। वास्तु ज्योतिष/vastu astrology हमारी कुंडली/ natal chart में विशेष ग्रह की ऊर्जा के साथ प्रत्येक ग्रह की ताकत और कमजोरी का संतुलन बनाने में मदद करता है। यहां तक कि वास्तु ज्योतिष/vastu astrology बहुत बार यह भी सुझाव देता है कि किस विशेष स्थान के लिए कौन सा नाम होने से किस इमारत का निर्माण जीवन में धन और सुख और शांति के लिए बेहतर हो सकता है।
वास्तु शास्त्र किसी भी घर के सभी आठों प्रमुख क्षेत्रों के लिए एक देवता का निर्धारण करता है और वास्तु ज्योतिष/vastu astrologer इसे भवन के निर्माण से संबंधित व्यक्ति की कुंडली/ natal chart में उपस्थित सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं से जोड़ता है।
ज्योतिष और वास्तु में संबंध / Connection between Astrology and Vastu
जब हम कोई भी इमारत बनाना चाहते हैं, तो उसमें वास्तु और ज्योतिष/astrology का सीधा संबंध होता है। जहां वास्तु/vastu हमें सभी दिशाओं की लौकिक ऊर्जा/cosmic energy के विभिन्न उपयोग के लिए विस्तृत विश्लेषण बताता है, वहीं वास्तु ज्योतिष/vastu astrology हमारी जन्म कुंडली/ natal chart के अनुसार संबंध मिलाने में मदद करता है। विस्तार में समझाते हैं, कि ब्रह्मांड में प्रत्येक दिशा एक विशेष ग्रह द्वारा संचालित होती है। ज्योतिष/ astrology में भी हमारी कुंडली/natal chart भी नौ ग्रहों से संचालित होती है। वास्तु ज्योतिष/vastu astrology हमारी कुंडली/ natal chart में विशेष ग्रह की ऊर्जा के साथ प्रत्येक ग्रह की ताकत और कमजोरी का संतुलन बनाने में मदद करता है। यहां तक कि वास्तु ज्योतिष/vastu astrology बहुत बार यह भी सुझाव देता है कि किस विशेष स्थान के लिए कौन सा नाम होने से किस इमारत का निर्माण जीवन में धन और सुख और शांति के लिए बेहतर हो सकता है।
वास्तु शास्त्र किसी भी घर के सभी आठों प्रमुख क्षेत्रों के लिए एक देवता का निर्धारण करता है और वास्तु ज्योतिष/vastu astrologer इसे भवन के निर्माण से संबंधित व्यक्ति की कुंडली/ natal chart में उपस्थित सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं से जोड़ता है।
जहां वास्तु हमें बताता है कि किसी विशेष जगह या सामान के लिए कौन सी दिशा उत्तम रहेगी वहीं वास्तु ज्योतिष/vastu astrology यह जानने में मदद करता है कि किसी भी इमारत के निर्माण को बनाने में कैसे सफल होंगे। कुछ मान्यताओं के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की कुंडली/natal chart में शक्तिशाली शनि के उपस्थित होने पर उसे अपने घर के निर्माण में अधिकतर समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है, वहीं कुछ विशेष कुंडली वाले व्यक्तियों के जीवन में शनि की स्थिति परेशानियां ला सकती है, चाहे इमारत की बनावट पूरी तरह से वास्तु के अनुकूल ही क्यों न हो। जिस भी इमारत का निर्माण हो रहा हो, उसके उद्देश्यों के अनुसार विभिन्न इमारतों के लिए वास्तु भी अलग अलग होता है। इसी तरह वास्तु के लिए ज्योतिष/astrology हमें यह बताने में मदद करता है कि आपके, आपके पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य, शांति और सुख के लिए इमारत कितनी लाभकारी या नुकसानदायक हो सकती है। यदि आप अपने घर के निर्माण में समय देरी या किस रुकावट का सामना कर रहे हैं, यह जानने में वास्तु ज्योतिष/vastu astrology आपकी मदद कर सकता है।
अब हम विभिन्न ग्रहों के साथ ज्योतिष/astrology और वास्तु के संबंध के बारे में थोड़ा और अधिक बताते हैं जिससे वास्तु शास्त्र के दिशा निर्देश संचालित होते हैं।
सूर्य पूर्व पर शासन करता है, अतः वास्तु ज्योतिष/vastu astrology सूर्य की अधिकतम ऊर्जा पाने के लिए पूर्व दिशा में प्रवेश द्वार या खिड़कियां रखने की सलाह देता है।
चंद्रमा हमारे मन, पुत्री और माता का प्रतीक होता है, अतः किसी को भी इमारत के बायीं तरफ अंधेरा और अस्तव्यस्तता नहीं रखनी चाहिए। वास्तु ज्योतिष/ vastu astrology के अनुसार बायीं ओर अंधेरा होने से, आपकी पत्नी के मन और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में गड़बड़ी हो सकती है।
शुक्र और मंगल, जहां मंगल दक्षिण दिशा का स्वामी है और शुक्र रसोईघर का प्रतीक होने के कारण रसोई को दक्षिण-पूर्व में रखने की सलाह दी जाती है।
बुध के उत्तर का स्वामी होने के कारण आगंतुकों के लिए सार्वजनिक/बैठक के क्षेत्र का उपयोग करने से, विशेषकर बेडरूम के आसपास की जगह पर अच्छी रोशनी और वायु संचार रहता है।
इसी तरह वास्तु ज्योतिष/vastu astrology बृहस्पति, शनि, राहु और केतु जैसे विभिन्न ग्रहों के विभिन्न दिशाओं में विभिन्न उपयोग के लिए शौचालय, बेड़रूम, भंडार, भोजन कक्ष, अलमारी, सीढ़ियां, मुख्य द्वार में परस्पर संबंध बनाता है।
यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि वास्तु ज्योतिष/vastu astrology, बनने वाली किसी भी इमारत के संदर्भ में विभिन्न उपयोगों और उद्देश्यों के लिए अलग-अलग होता है।
वास्तु और ज्योतिष/astrology का घनिष्ठ आंतरिक संबंध होता है इसलिए किसी भी घर या इमारत की योजना बनाने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष वास्तु सलाहकार/astro vastu consultant से सलाह लेना में समझदारी होगी। एक वास्तु सलाहकार/vastu consultant आपको केवल दिशाओं पर आधारित सलाह दे सकते हैं, लेकिन एक ज्योतिष वास्तु सलाहकार/astro vastu consultant इसके साथ ही विभिन्न ग्रहों की ऊर्जाओं के साथ आपकी कुंडली/natal chart में उनकी उपस्थिति के साथ परस्पर संबंध स्थापित कर सकता है।
अक्सर, वास्तु ज्योतिषी/vastu astrologer खुद इमारत का दौरा किए बिना ही, बिना किसी तोड़फोड़ के और छोटे-छोटे वैदिक ज्योतिष/vedic astrology के उपचारात्मक उपायों से आपके घर के वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।
यदि आपको किसी घर या इमारत के वास्तु के संबंध में कोई संदेह है, तो आप हम से सलाह ले सकते हैं।
क्या वास्तु सभी इमारतों के लिए समान है? / Is Vastu the same for all Premises
वास्तु सभी घरों के लिए एक जैसा नहीं हो सकता। वास्तु के सुझाव किसी भी निर्माण के उद्देश्य के आधार पर एक जैसे न होकर अलग-अलग हो सकते हैं, चाहे उद्देश्य व्यावसायिक, व्यक्तिगत उपयोग, लाभ पाने के लिए, जनसेवा आदि जैसे ही क्यों न हों। आप यह भी कह सकते हैं कि उस घर को बनाने का कारण या उद्देशय भी वास्तु को प्रभावित कर सकता है।
कोई भी यह समझ सकता है कि वास्तु के सुझाव एक जैसे ही निर्माण में किसी उद्देश्य (जैसे बेडरूम) के लिए, उसी तरह के दूसरे निर्माण के उद्देश्य के लिए (जैसे भोजन कक्ष) पूर्ण रूप से अलग हो सकते हैं। इसलिए हम व्यक्तिगत रूप से सभी भवनों/ निर्माणों के विभिन्न उद्देश्यों के अनुसार वास्तु से संबंधित सलाह देते हैं। यहां हम सभी इमारतों के लिए वास्तु शास्त्र को दो व्यापक श्रेणियों में बांटना पसंद करते हैं।
क्या वास्तु सभी इमारतों के लिए समान है? / Is Vastu the same for all Premises
वास्तु सभी घरों के लिए एक जैसा नहीं हो सकता। वास्तु के सुझाव किसी भी निर्माण के उद्देश्य के आधार पर एक जैसे न होकर अलग-अलग हो सकते हैं, चाहे उद्देश्य व्यावसायिक, व्यक्तिगत उपयोग, लाभ पाने के लिए, जनसेवा आदि जैसे ही क्यों न हों। आप यह भी कह सकते हैं कि उस घर को बनाने का कारण या उद्देशय भी वास्तु को प्रभावित कर सकता है।
कोई भी यह समझ सकता है कि वास्तु के सुझाव एक जैसे ही निर्माण में किसी उद्देश्य (जैसे बेडरूम) के लिए, उसी तरह के दूसरे निर्माण के उद्देश्य के लिए (जैसे भोजन कक्ष) पूर्ण रूप से अलग हो सकते हैं। इसलिए हम व्यक्तिगत रूप से सभी भवनों/ निर्माणों के विभिन्न उद्देश्यों के अनुसार वास्तु से संबंधित सलाह देते हैं। यहां हम सभी इमारतों के लिए वास्तु शास्त्र को दो व्यापक श्रेणियों में बांटना पसंद करते हैं।
यदि आप कार्यालय, अस्पताल, मॉल, शोरूम, होटल या किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्य की इमारतों के लिए वास्तु की मदद चाहते हैं, तो कृपया व्यावसायिक वास्तु पर क्लिक कर सकते हैं।
चलिए अलग अलग पेज से घर के अलग अलग हिस्सों के वास्तु को समझने का प्रयास करते हैं।
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