
वैदिक ज्योतिष में भचक्र की 12 राशियों द्वारा व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जाती है। जीवन के विभिन्न पहलुओं का बारीक चित्रण प्राप्त करने के लिए इन राशियों को आगे कई वर्गों या वर्ग समूहों में विभाजित किया गया है। किसी के जीवन का बिलकुल सही व गहन विवरण पाने के लिए इन वर्ग कुंडलियों का अध्ययन अनिवार्य है। वर्ग कुंडली का प्रयोग अधिकांशतः साधारण ज्योतिषी नहीं करते क्योंकि इन्हें प्रयोग करने के लिए अत्यधिक कुशलता की आवश्यकता होती है। ऋषि पाराशर ने भी कहा है कि वर्ग कुंडली को जांचें बिना दी गयी भविष्यवाणियां सर्वथा गलत भी हो सकती है। किसी भी कुंडली का विश्लेषण वर्ग कुंडली के अभाव में अधूरा है। इस प्रकार किसी भी जीवन की घटना को समझने के लिए वर्ग कुंडली को उचित महत्व देना अति आवश्यक है। दशा वर्ग रीडिंग में 10 वर्ग कुंडलियों का अध्ययन किया जाता है। एक नहीं दस- दस कुंडलियों के आधार पर किया गया एक विशिष्ट अध्ययन, ग्रह के वास्तविक गुणों को सटीकता से पहचानने में मदद करता है। कई बार लग्न कुंडली में अच्छा दिखने वाला ग्रह, वर्ग कुंडली में कमज़ोर होकर आपके जीवन में उथल-पुथल मचा सकता है। एक साधारण ज्योतिषीय आकलन की तुलना में दस वर्गीय विश्लेषण में एक ग्रह का कम से कम 10 बार निरीक्षण किया जाता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन में उसके उस ग्रह के वास्तविक स्वरूप और भूमिका को जानने में बहुत अधिक सहायक सिद्ध होता है।
इस अत्यंत विश्लेषण में यह देखा जाता है कि कोई ग्रह इन अलग-अलग 10 कुंडलियों में क्या अपनी, मूलत्रिकोण, उच्च या मित्र राशि में बैठा है या नीच व शत्रु राशि में। इसी के आधार पर ग्रह के बल व उसकी कार्य क्षमता को जांचा जाता है। यदि ग्रह अच्छी राशियों में बैठा हो तो वह ग्रह व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ग्रह की दशा व गोचर का व्यक्ति पर अत्यधिक प्रभाव रहता है। वर्ग कुंडली में अच्छी राशियों में बैठने पर, ग्रह को एक गिनती दी जाती है। ग्रह की विभिन्न वर्ग कुंडलियों में स्थिति के अनुसार ज्योतिषीय गणना की जाती है और उसी के आधार पर, ग्रह को एक विशेष अंश में बैठा हुआ कहा जाता है (अंश जितना अधिक होगा, ग्रह उतना ही मजबूत होगा)।
विभिन्न दशवर्ग कुंडली
दशवर्ग अर्थात दस विभागों का एक समूह है। इसमें निम्नलिखित वर्ग कुंडलियां ली जाती हैं:
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जन्म कुंडली - शरीर और संपूर्ण व्यक्तित्व
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होरा कुंडली - जातक का धन और भौतिकवादी संचय
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द्रेक्काना कुंडली - भाई बहन और उनका जीवन, उनके साथ आपके संबंध
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सप्तमांश कुंडली - संतान और संतान से प्राप्त सुख
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नवमांश कुंडली - वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी । यह जन्म कुंडली के बाद देखा जाने वाला सबसे प्रमुख वर्ग है
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दशमांश कुंडली - करियर, पेशा, व्यवसाय और कार्य
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द्वादशांश कुंडली - माता-पिता, उनका स्वास्थ्य और आपके जीवन में सहयोग
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षोडशांश कुंडली - जीवन में वाहन और संपत्ति का सुख
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विशांश कुंडली - आपके अवचेतन मन, आध्यात्मिक प्रगति और क्रियाएं
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षष्ठीयांश कुंडली - सबसे छोटा भाग और उपरोक्त सभी वर्गों में इसे विशेषज्ञों ने सर्वोपरि माना है।
एक ग्रह अपनी मूलत्रिकोण, मित्र व उच्च राशि में होने पर निम्नलिखित अंशों में स्थित कहा जाता है-
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पारिजातांश
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उत्तमांश
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गोपुरामांश
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सिंहासनांश
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परवतांश
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देवलोकांश
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ब्रह्मलोकांश
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ऐरावतांश
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श्रीधामांश
इनमें से किसी भी राशि में स्थित कोई भी ग्रह बहुत मजबूत हो जाता है और उस विशेष वर्ग कुंडली जो जीवन के एक विशिष्ट तथ्य से जुडी होती है, उत्कृष्ट परिणाम लाता है। इन वर्गों का पूरी तरह से विश्लेषण करने के लिए बहुत अधिक ज्ञान व अनुभव की आवश्यकता होती है। एक जातक के जीवन में क्या घटनाएं घाट सकती हैं और जातक बुरे समय से बचने के लिए और जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए क्या तरीके अपना सकता है, इसका विवरण भी दशवर्गीय विश्लेषण से भली-भाँती प्राप्त किया जा सकता है। सिंहासनांश में स्थित ग्रह जातक को अपनी दशा में बहुत प्रसिद्ध बना सकता है। लेकिन जरूरत विभिन्न कुंडलियों में ग्रह के संबंध व स्थिति का पता लगाने की है। दस वर्गों का विश्लेषण जातक के लिए जीवन के सभी अनसुलझे रहस्यों की व्याख्या करता है।
एक व्यक्ति दशवर्ग पढ़ने के बाद समझ सकता है-
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जीवन के मजबूत और कमजोर क्षेत्र
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विभिन्न ग्रहों और कारकों की वास्तविक भूमिका
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सबसे लाभकारी और प्रभावशाली समयावधि
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जन्म समय सुधार यदि कोई हो
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अतीत के संचित कर्म और वर्तमान जीवन में उनके संबंध
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अवचेतन स्तर पर रूकावटें
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कर्म सुधार तकनीक
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जीवन में जटिल और प्रमुख समस्याओं को दूर करने के ज्योतिषीय उपाय
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