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शुक्र का कन्या राशि में होना | Venus in Virgo Sign

कन्या राशि में शुक्र को नीच अर्थात कमजोर स्थिति का माना गया है। ज्योतिष अनुसार कन्या राशि में शुक्र की स्थिति कई मामलों में वह प्रभाव नहीं दे पाती जितने वह दे सकती है। इन सब बातों के बावजूद शुक्र का कन्या राशि में होना काफी चीजों में विशेष होता है। कन्या राशि का स्वामी बुध होता है और वह शुक्र के साथ मित्रवत व्यवहार रखता है, इस कारण से इस स्थिति को कुछ स्थानों पर सकारात्मक एवं औसत प्रभाव देखने को मिलते हैं। कन्या राशि में शुक्र का होना सजगता, सतर्कता का प्रभाव देता है। व्यक्ति अपने काम को लेकर काफी लगनशील होता है और हर गतिविधि पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।  

 

शुक्र का कन्या राशि में होना कई मामलों में शहद की भूमिका निभा सकता है। दोनों ही शुभ एवं सकारात्मक होते हैं। शुक्र रोमांस, कोमलता, सौम्यता, और भावनाओं का ग्रह है और कन्या राशि शांति देखभाल करने वाली पोषण करने वाली राशि है। इन दोनों का यह गुण भावनात्मक बनाता है। लगाव और स्नेह अधिक देखने को मिल सकता है। यहां व्यक्ति के भीतर रचनात्मक एवं कलात्मक क्षमता उच्च रुप में दिखाई देती है। इन दोनों के मध्य का संबंध व्यक्ति के भीतर कोमल गुण अधिक विकसित करने वाला होता है। यहां व्यक्ति अपने कार्य निकलवाने के लिए शुगर कोटिंग करने में भी माहिर होता है। 

 

शुक्र सामान्य रूप से विलासिता, आराम और भोग को दर्शाता, कन्या में होने पर कमजोर होकर इन चीजों के लिए कई बार व्यक्ति को अधिक संघर्ष करने की आवश्यकता होती है। अपने सपनों को पूरा करना कठिन होता है  क्योंकि नीच शुक्र का प्रभाव वाले जातक अक्सर छोटी-छोटी चीजों में उलझा सकता है और बड़ी सफलता को पाने से चूक भी जाते हैं जिन्हें वह वास्तव में पाना चाहते थे। 

 

स्वभाव एवं व्यक्तित्व में झलकता है सौम्यता का गुण

शुक्र के कन्या राशि में होने के कारण व्यक्ति के भीतर शालीनता, शिष्टाचार और चीजों को व्यवस्थित रखने का गुण भी देखने को मिल सकता है। अपने आस पास की चीजों को लेकर काफी ध्यान से काम करना पसंद कर सकते हैं। भौतिक सुख सुविधाओं के प्रति लगाव भी होता है और भव्य जीवन शैली की इच्छा भी यहां देखने को मिल सकती है। अपने परिवार के प्रति काफी समर्पण का भाव भी रखेंगे। घर को सजाने और उसकी देखभाल करने का भाव भी इनमें होता है। शुक्र का कन्या में होना व्यक्ति को खुद के प्रति भी अधिक देखभाल करने वाला बना सकता है। अपने वेशभूषा, रख रखाव और सौंदर्य को लेकर भी काफी ध्यान रखते हैं।अपने आप को बेस्ट दिखाने के लिए खुद को बेहतर रखने के लिए समय लगाने से परेशान नहीं होते हैं। 

 

शुक्र ग्रह और कन्या राशि दोनों में ही मौजूद प्राकृतिक स्त्रीत्व इन्हें भावनात्मक भी बनाता है। जल्द ही किसी के साथ जुड़ाव को भी पाते हैं। अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने में भी काफी समय भी ले सकते हैं। शुक्र के कन्या में होने पर सरल, किंतु आकर्षित और सहयोगी दोस्त या साथी के रुप में दिखाई देते हैं। हो सकता है कि आप बाहरी रूप से बहुत अधिक भावनाओं को न दिखाएं, लेकिन दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं, इसके प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। शुक्र और कन्या का योग व्यक्ति को साफ-सुथरे वातावरण में रहने के लिए अधिक उत्साहित करता है। चीजों को व्यवस्थित रुप से रखना कार्य को सलीके से करना इन्हें पसंद होता है। घर परिवार के साथ मेलजोल का रवैया रखने वाले होते हैं तथा नियमों को लेकर भी काफी सजग दिखाई देते हैं। 

 

करियर और व्यवसाय को लेकर होते हैं उच्चाभिलाषी 

वृहत जातकम, सरावली एवं फलदीपिका इत्यादि ग्रंथों में कन्या राशि में स्थित शुक्र का फल व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में कई तरह के फल प्रदान करता है। अपनी कमजोर स्थिति के बावजूद यहां शुक्र जातक को विचारशील बनाता है। चीजों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने की योग्यता भी देता है। नौकरी अथवा व्यवसाय में वह अपनी मेहनत द्वारा आगे बढ़ सकता है। व्यवहार कुशलता द्वारा अपने काम को निकलवाने की योग्यता भी उसमें होती है। काम में छोटी छोटी चीजों को लेकर ध्यान देना और नियमों के अनुसार काम करना जानता है। कई बार वह स्थिति को अपने अनुसार मोड़ लेने की क्षमता भी रखता है। नौकरी हो या व्यवसाय दोनों ही स्थान पर कुशलता पूर्वक कार्य करना जानते होंगे। दूसरों के साथ मिलकर काम करने का बेहतर गुण होता है। 

 

जातक अपने बोलने की कुशलता को भी बेहतर रुप से उपयोग करके संचार से जुड़े कामों में अच्छा कर सकता है। नवीनता के प्रति लगाव, अनुसंधान जैसे काम ये लोग अच्छे से कर सकते हैं। जातक कला, फाइन आर्ट, फूड इंडस्ट्री, वस्त्र उद्योग, डिजाइनर, कम्प्यूटर का जानकार, फैशन और सौंदर्य से संबंधित कामों में भी भाग्य आजमा सकता है। सेवा कार्यों, नर्सिंग, समाज कल्याण की संस्थाओं से जुड़ कर काम करने में अच्छा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं, बच्चों की देखभाल के कार्य, शिक्षण से जुड़े काम या फिर योग इत्यादि चीजों में भी अच्छा कर सकते हैं। जातक कमाई के लिए कई तरह के काम कर सकता है।  

 

प्रेम और विवाह संबंधों में होती है गहरी भावना 

शुक्र का कन्या राशि में होना व्यक्ति को प्रेम के मामले अधिक स्पर्श से भी जोड़ता है। कामुकता इनमें बहुत हो सकती है। प्रेम में कुछ अधिक इच्छाओं को रख सकते हैं। प्यार में यह खुल कर अपने साथी के साथ मिलना पसंद करते हैं कई बार इनमें दिखावे की प्रवृत्ति भी देखने को मिल सकती है। शुक्र आकर्षक और मनभावन होना बताता है और कन्या को एक सौम्य राशि भी कहा जाता है, तो वह प्रेम में भावनाओं को व्यक्त करने के कई तरीके अपना सकता है। अपने विचारों और भावनाओं को धीमे और रोमांटिक रूप से  करना अधिक पसंद कर सकता है। विवाह हो या प्रेम संबंध अपने साथी को खुद तक ही सीमित रखना चाहेंगे। 

 

अपने साथी की ओर से प्रशंसा भरे शब्द और रोमांस को सुनना अधिक पसंद करते हैं। प्रेमी के साथ एकांत में समय व्यतीत करना तथा मन की बातों को शेयर करना पसंद करते हैं। 

 

विवाह संबंधों में शुक्र का कमजोर होना यहां थोड़ा परेशानी दे सकता है, क्योंकि जो इच्छाएं जातक के भीतर होंगी उनकी पूर्ण अभिव्यक्ति सामने वाले से न हो पाए। अपने साथी से केयर और सुरक्षा की चाहत इनमें होती है। कई बार अत्यधिक निर्भरता का प्रभाव रिश्तों पर असर डाल सकता है। रिश्तों में पूर्णता की तलाश इन्हें बाहर भी ले जा सकती है। 

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में शुक्र के प्रभावग्रहों के गोचर के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

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