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तीसरे भाव में शुक्र | Venus in 3rd house

तीसरे भाव में शुक्र वाले लोगों में कार्यों के तनावों को छोड़कर, समस्त सुख-सुविधाओं और फैशनेबल चीजों को पाने की प्रवृत्ति देखी जाती है, जिससे व्यक्ति, स्वयं और जीवनसाथी के भाई-बहनों और दूसरों की मेहनत की कीमत पर सभी सुख और लाभ प्राप्त करने में संकोच नहीं करते हैं। इसके अलावा, यह लोग स्वास्थ्य और बीमारियों के लिए नि:शुल्क या दूसरों के पैसों से उचित उपचार की इच्छा रखते हैं तथा लड़ाई होने पर निर्लिप्तता के साथ सुरक्षित रहते हैं, लेकिन दूसरों द्वारा किए गए बहादुरी और जोशपूर्ण कार्यों का श्रेय लेने के लिए आगे आ जाते हैं। ये लोग सुंदर, मोहक, मर्मज्ञ, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले हों या न हों लेकिन, दूसरों पर आकर्षक प्रभाव डालने के लिए सुरुचिपूर्ण वस्त्र पहनते हैं, जिससे अन्य लोग, दूसरों द्वारा किए गए कार्यों के उनके दावों को स्वीकार कर सकें। 


तीसरे भाव में शुक्र का जीवन पर प्रभाव/ Impact Of Venus On The Third House On Life

अपने भाई-बहनों की सहायता करने की स्थिति में होने पर भी, इन लोगों में लंबे समय तक आर्थिक,शारीरिक या नैतिक रूप से मदद करने की प्रवृत्ति नहीं होने के साथ ही, उसी समय किए गए कर्तव्य के परिणामों का प्रबल संकेत दे देते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति के किसी भी चिकित्सा प्रणाली का जानकार होने पर, आमतौर पर रोगियों की चिकित्सा परिणामोन्मुखी करते हैं तथा चिकित्सक, वैद्य या हकीम संबंधी कार्यों और ज्ञान को उन्नत करने के प्रति उदासीनता रखते हैं। बड़ी उम्र के इन व्यक्तियों में विकल्प के तौर पर, बच्चों के बजाय जीवनसाथी या पोते-पोतियों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति मिलती है, जिस कारण ये, जीवनसाथी या पोते-पोतियों के प्रति उदार और हितकारी रहते हैं।

 

जहां, पश्चिमी ज्योतिष में तीसरे भाव में शुक्र को, जीविका के साधनों को प्रभावित करके आय के स्रोतों को निर्धारित करने के कारण अत्यधिक महत्व दिया जाता है वहीं वैदिक ज्योतिष/ Vedic Astrology के अनुसार, शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति की कार्य-क्षमता और सामर्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। हालांकि, यह आयात-निर्यात व्यापार और विदेशी सौदों को संचालित करता है लेकिन, व्यक्ति की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण आय में गिरावट की संभावनाएं रहती हैं। अतः, आमतौर पर इन व्यक्तियों के लिए यह बेहतर होता है कि यदि संभव हो तो, बच्चों को आय के स्रोतों में अपना साझीदार बना लें। हालांकि, कभी-कभी यह माता-पिता और संतान दोनों के बिजनेस या स्वरोजगार या माता-पिता दोनों की अलग-अलग संतानों के कारण संभव नहीं हो पाता है जिसमें समन्वय की कोई गुंजाइश नहीं होती।  

हालाँकि, तीसरे भाव में विभिन्न ग्रहों के साथ शुक्र की युति की चर्चा करते समय, ये व्यक्ति की निष्क्रियता की मूल प्रवृत्ति के कुछ अपवाद हैं। 

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