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कुंडली के सातवें भाव में शुक्र | Venus in 7th House

वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली के सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति को एक महत्वपूर्ण स्थिति माना गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, कुंडली का सातवां भाव व्यक्ति के संबंधों, वैवाहिक प्रस्ताव, वैवाहिक जीवन, वैवाहिक रिश्ते और विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ संबंध को नियंत्रित करता है। सप्तम भाव में शुक्र की उपस्थिति होने से यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी के बीच झगड़े, दो सामान लिंग के बीच झगड़े के साथ ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ झगड़ों को नियंत्रित करता है। कुंडली में शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति के शरीर के प्राइवेट पार्ट्स को भी नियंत्रित करता है। इसके साथ ही इससे व्यक्ति का संपूर्ण व्यैक्तित्व, शारीरिक रंग, कद-काठी, चेहरा का अकार, शिक्षा, स्वभाव, व्यक्ति की प्रवृति और जीवनसाथी के पारिवारिक बैकग्राउंड के लिए जिम्मेवार होता है। 

 

कुंडली के सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव

यह काफी भयावह है कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार शुक्र की यह स्थिति/Venus in 7th House खासतौर से महिलाओं के व्यैक्तित्व में एक असाधारण विस्तार ला सकता है। हालांकि यह जीवनसाथी या पति-पत्नी के बारे में यह ऐसा नहीं कह जा सकता है। वर्तमान में ज्योतिषाचार्यों ने हालांकि पुरुषों के बारे में कुछ निश्चित रूपरेखाओं का जिक्र जरूर किया है। हालांकि इस मामले में एक निपक्ष रूप रेखा तैयार करने की आवश्यकता है जो एक विद्वान् और जानकार ज्योतिषशास्त्र ही कर सकते हैं न कि कोई झोलाछाप जिसे पूरी जानकारी भी न हो।

 

ज्योतिषियों को खासतौर से व्यक्ति का अच्छी तरह से मार्गदर्शन करना चाहिए और अपने अनुभव से उन्हें उचित मार्ग दिखाना चाहिए। उन्हें स्पष्ट रूप से वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं का संकेत दे देना चाहिए और वैवाहिक जीवन में आने वाली निराशाओं का भी संकेत देना चाहिए। भारत में विवाह एक ऐसा मुद्दा है जिसे परिवार का नींव माना जाता है और ऐसे निर्णय लेने ले के लिए माता-पिता भी अक्सर बच्चों पर दवाब डालते हैं। हालांकि आज कल की युवा पीढ़ी ज्यादातर अपना जीवनसाथी बिना किसी कुंडली मिलान के खुद ही ढूँढना पसंद करते हैं। वे विवाह का फैसल पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से लेना पसंद करते हैं उन्हें इस चीज से फर्क नहीं पड़ता कि, उनकी कुंडलियां आपस में मेल खा रही है या नहीं। ऐसे में एक सुलझे हुए और जानकार ज्योतिषाचार्य के लिए उनकी शादी के विरोध में किसी तरह का सलाह देना काफी मुश्किल भरा काम हो सकता है।

 

हालांकि ज्योतिषियों द्वारा निष्पक्ष और उचित सलाह नहीं दिए जाने के कारण आगे चल कर ऐसे विवाह में विवाहित जोड़ों को काफी परेशानी हो सकती है। यह उनके लिए अलगाव या दोनों में से किसी के मृत्यु का कारण भी बन सकता है। जाहिर तौर पर यह धारणा उनके लिए उपयोगी हो सकता है जो ज्योतिषीय मार्गदर्शन लेने की तलाश में रहते हैं। कुछ लोग ऐसा भी कह सकते हैं कि, एक तरफ जहाँ दो लोगों के शादी का फैसल सही होगा वहीं बच्चों और अन्य पारिवारिक मामलों में उनके बीच दिकक्तें उत्पन्न हो सकती है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि आगे चलकर उनके वैवाहिक जीवन में कुछ नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस मामले में कुछ पुरातन आचार्यों ने कहा है कि, कुंडली के सातवें भाव में शुक्र/Venus in seventh house की उपस्थिति होने से व्यक्ति को एक आकर्षक और काबिल जीवनसाथी मिल सकता है। यह मानक महिला और पुरुष दोनों के लिए ही लागू किया जाता है।

 

ऐसा माना गया है कि, किसी युवा महिला की कुंडली के सातवें भाव में यदि शुक्र की उपस्थिति हो तो ऐसे में उसे एक अच्छे और आकर्षक चरित्र वाला जीवनसाथी मिल सकता है। इसके साथ ही यदि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि वालों के सातवें भाव में शुक्र विराजमान हो तो ऐसे में जहाँ पुरुष को एक लंबी कद काठी वाली पत्नी मिलती है, वहीं एक महिला को मध्यम कद काठी वाला पति मिल सकता है। हालांकि जीवनसाथी की लम्बाई पूरी तरह से व्यक्ति के भौगोलिक वातावरण पर भी निर्भर करता है जहाँ उनका पालन पोषण हुआ हो। इसी प्रकार सप्तम भाव में मिथुन, कन्या, तुला और मीन राशि के व्यक्ति को उचित रंग का जीवनसाथी मिलता है। 

 

यह एक मुख्य तथ्य है, क्योंकि भूमध्य रेखा के करीब के देशों में, व्यक्तियों में कितनी तर्कसंगतता पाई जाएगी, और भूमध्य रेखा से 33 डिग्री अक्षांश से अधिक देशों में, माध्यम रंग के व्यक्तियों की पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल भरा काम हो सकता है । इसी तरह,यदि किसी जर्मन नागरिक की बात करें तो वह सामान्य तौर पर लंबे होते हैं क्योंकि उनका भौगोलिक वातावरण उसी तरह का है; इसके ठीक विपरीत कुछ देशों के लोगों का कद बेहद कम होता है।

 

नतीजतन, एक वैवाहिक जोड़े की ऊंचाई या संरचना के बारे में भविष्यवाणी करते समय, इन तथ्यों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, कुछ खगोलीय भविष्यवक्ताओं ने शादी के लिए जीवनसाथी को खोजने के लिए पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण को विशेष रूप से ध्यान में रखने की सलाह दी है। इसके साथ ही जीवनसाथी की अन्य प्रवृतियों का भी आकलन जरूर कर लेना चाहिए। एक ज्योतिषी को विशेषरूप से किसी भी व्यक्ति को केवल सलाह ही देना चाहिए बाकी आखिरी निर्णय पूरी तरह से उनपर छोड़ देना चाहिए। ऐसे कई अवसर व्यक्ति के जीवन में आ सकते हैं जब उन्हें स्कूली शिक्षा एक एक विशिष्ट क्रम में मिले और उसी के आधार पर वे अपना एक अप्रत्याशित बिजनेस या रोजगार का चुनाव भी कर पाएं। संभव है कि व्यक्ति अपना करियर अपनी पढ़ाई की फील्ड से बिल्कुल विपरीत चुनाव करे। आपको बता दें कि संचार और परिवहन के तरीकों ने प्रभावी रूप से नवाचार ग्रहों की स्थिति द्वारा भी अलग-अलग कदम उठाए जा सकते हैं।

 

शादी विवाह के मामले में एक उचित जोड़ी बनाने के लिए इन मुद्दों पर विचार किया जाना आवश्यक है। ज्योतिष के अध्ययन के लिए अभी भी ऐसे शोधकर्ताओं की जरूरत है जो पैसे या अन्य कोई अन्य भेद किए बिना एक उचित सलाह दें। ज्ञानहीन भविष्य बताने वालों के पास अनुभव की कमी हो सकती है। कुछ विद्वान और सही मायने में पढ़े-लिखे ज्योतिषियों के पास बहुत अधिक मात्रा में काम होता है। अनुसंधान कार्य को अपनाने के लिए उनके पास शायद ही अवसर, ऊर्जा या उचित मंच हो। उस समय विशेष रूप से शुक्र ग्रह के कुंडली के सातवें भाव में /Venus in 7th House होने से यह लड़ाई-झगड़े और गहमगहमी की स्थिति को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसी में इस बात का सही आकलन करना बेहद आवश्यक है कि क्या वास्तव में शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में कलह का कारण बन सकता है या नहीं।

 

ऐसे में विशेष रूप से व्यक्ति की राशि में कुंडली के सातवें भाव में शुक्र के साथ ही उस राशि के स्वामी का कितना प्रभाव पड़ता है या पड़ सकता है इसकी जानकारी होनी भी जरूरी है। यदि कुंडली के सातवें भाव में शुक्र के साथ ही शनि या मंगल की उपस्थिति हो और स्वामी ग्रह दूसरे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति के जीवन में झगड़ा और संघर्ष काफी हद तक बढ़ सकता है। यह स्थिति शुक्र की महादशा या शनि की अंतर्दशा और साथ ही मंगल और शनि की महादशा और शुक्र की अंतर्दशा के दौरान भी इस तरह की घटना हो सकती है। इसके साथ ही यदि शनि की वक्री मंगल के साथ दूसरे, आठवें और बारहवें भाव में तो यह ज्योतिषीय स्थिति भी व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, लड़ाई और झगड़ों को बढ़ावा दे सकता है।

 

अब जब राहु दूसरे, आठवें या बारहवें भाव में है, तो यह झगड़े या लड़ाई को हमेशा के लिए अस्थायी भी बना सकता है। ज्योतिषीय इतिहास विभिन्न मॉडलों से भरा है, भारत में इस ज्योतिषीय संयोजन की वजह से ही भगवान राम की पत्नी सीता का रावण ने अपहरण किया था। इसके अलावा महाभारत में दुर्योधन और दुस्शासन के द्वारा सुन्दर और यसस्वी राजकुमारी द्रौपदी का अपमान भी इसी कारण हुआ था और यह इतिहास के सबसे बड़े युद्ध का कारण भी बना। ट्रॉय की हेलेन और मिस्र की क्लियोपेट्रा ने युद्धों के माध्यम से यूरोप और उत्तरी अफ्रीका की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बदल दिया। अंग्रेजों के खिलाफ झांसी विद्रोहियों की रानी लक्ष्मीबाई ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बाहर कर दिया और 1857 में अंग्रेजों के उचित दिशानिर्देश भारत में लाए। इससे अधिक उदाहरणों की जरुरत आपको शायद न पड़े क्योंकि यह अपने आप में बहुत बड़े उदाहरण हैं। ऐसी चीजों की भविष्यवाणी करना बेहद जोखिम का और परेशानी का काम हो सकता है।

 

इसके लिए असाधारण रूप से उच्च क्षमता के सूचना अनुभव और ज्ञान की आवश्यकता होती है। हालांकि, सातवां भाव युद्ध और झगड़े के बारे में सीधे और महत्वपूर्ण रूप से चिंतित है। अनुभव के अनुसार 7 वें घर में शुक्र ग्रह की सूक्ष्मताओं के साथ ऊपर व्यक्त किया गया है (इटैलिक में मार्ग के बाहर) एक जोड़े के बीच विभाजन का कारण बन सकता है। यह पति-पत्नी के जीवन को कोर्ट के कठघड़े तक भी पंहुचा सकता है। हालाँकि कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि, इससे पति-पत्नी के बीच बाद में अच्छी साझेदारी भी बन सकती है। इसके साथ ही यदि कुंडली के सारवें भाव में शुक्र के साथ ही कोई अन्य ग्रह हो जैसे कि बुध या बृहस्पति की उपस्थिति हो तो ऐसे में पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग भी हो सकते हैं।

 

इसके साथ ही यदि सातवें भाव में कोई कमजोर ग्रह मौजूद हो और राशि का स्वामी चौथे, पहले व पांचवें भाव में मौजूद हो तो ऐसे में दोनों आपसी सहमति से अलग हो सकते हैं। इस दौरान एक और बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि, शुक्र के साथ सातवें भाव में मंगल और शनि की उपस्थिति व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को निराशापूर्ण बना सकती है। यह जीवनसाथी की कुंडली में विखंडित ग्रहों की मौजूदगी के कारण भी हो सकता है। विवाह के लिए कुंडली का समन्वय करते समय सितारों की स्थिति को मुख्य प्राथमिकता दी जानी चाहिए , वास्तविकता से स्वतंत्र चाहे वह व्यक्ति की पहली या दूसरी या तीसरी शादी ही क्यों न हो।

 

व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में शुरूआती दिनों में परेशनी आने का एक मुख्य कारण स्नेह पूर्ण रिश्ते भी हो सकते हैं। विवाह से पूर्ण एक दूसरे की कुंडली की सही जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी या दिक्कतों से बचा जा सके। विवाह संबंध में बंधने से पहले एक दूसरे की कुंडली देखे बिना आगे नहीं बढ़ना चाहिए।  हालांकि भारत के कई हिस्सों में विवाह से पूर्व कुंडली मिलान की प्रक्रिया से लोगों का विश्वास अब उठ रहा है। कुछ लोग कुंडली मिलान की प्रक्रिया कंप्यूटर के माध्यम से भी पूरी कर लेते हैं। हालांकि कम्प्यूटरीकृत कुंडली मिलान पर विश्वास नहीं सोच समझ कर ही करना चाहिए क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि कंप्यूटर के माध्यम से किया गया कुंडली मिलान अक्सर निराशा का कारण बन जाता है।

 

इस सोच के साथ विवाह की प्रक्रिया की तरफ आगे बढ़ना कभी-कभी रिश्तों में ख़टास का कारण भी बन सकता है। इससे बचने के लिए एक कुशल, शिक्षित और अनुभवी ज्योतिषाचार्य से विवाह से पहले सलाह लेना बेहद आवश्यक माना गया है। कंप्यूटर से निकाली गई कुंडली का मिलान करना अक्सर शादी में धोखा मिलने का भी कारण बन सकता है। हालांकि, कुंडली के सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति का सेहत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। यह जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है और व्यक्ति के लिए हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या भी उत्पन्न कर सकता है।

 

दूसरी तरफ देखा जाए तो, वैवाहिक जीवन में एक बिंदु यह भी है कि, यदि व्यक्ति की कुंडली में शुक्र यदि छठे या बारहवें भाव का स्वामी हो तो इससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुधार के आसार नजर आ सकते हैं। ऐसे में जीवनसाथी के साथ व्यक्ति के मधुर रिश्ते स्थापित हो सकते हैं। कुंडली के सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति से पड़ने वाला प्रभाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को खासतौर से प्रभावित कर सकता है। सातवें भाव में शुक्र की उपस्थिति का विवाहित जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है। 

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में शुक्र के प्रभावग्रहों के गोचर के बारे में भी पढ़ सकते हैं। साथ ही जन्मकुंडली, लव या अरेंज मैरिज में चुनाव, व्यवसायिक नामों के सुझावस्वास्थ्य ज्योतिषनौकरी या व्यवसाय के चुनाव के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

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