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कुंडली के नवम भाव में राहु की उपस्थिति का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव

वैदिक ज्योतिषशास्त्र की गणनाओं के अनुसार कुंडली के नवम भाव में राहु तब तक विशेष रूप से इतना प्रभावशाली नहीं होता जब तक उसकी किसी दूसरे ग्रह के साथ संयोजन या युति न हो या इस भाव के स्वामी की सीढ़ी दृष्टि राहु पर न पड़ रही हो। बता दें कि, नवम भाव में राहु की उपस्थिति के कारण महिला और पुरुष के जीवन में उनके पारिवारिक सदस्यों या प्रकृति में बदलाव के कारण उनके स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिल सकता है। यदि नवम भाव में राहु के साथ कोई अन्य ग्रह न हो तो यह नवम भाव के स्वामी के अनुसार काम करता है। 

 

कुंडली के नवम भाव में राहु की उपस्थिति से पड़ने वाला प्रभाव/Impact of Rahu in the Ninth House on you

यदि कुंडली के नौवें भाव में राहु के साथ किसी और सौम्य ग्रह जैसे कि, बुध, शुक्र या बृहस्पति मौजूद हो तो राहु व्यक्ति को जीवन में उच्च सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। राहु की मौजूदगी की वजह से व्यक्ति के सोचने के तरीके और विचार में काफी ज्यादा बदलाव आता है और वे धार्मिक क्रियाओं की तरफ भी अपनी रूझान रखते हैं। यदि राहु के साथ कोई 9वें, 10वें, 11वें या 5वें भाव का स्वामी मौजूद हो तो यह परिणाम ज्यादा देखा जाता है। इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति धार्मिक क्रियाकलापों, समाजिक क्रियाओं, और अन्य गतिविधियों से जुड़े किसी सरकारी या गैर सरकारी एनजीओ से जुड़कर काम कर सकता है। व्यक्ति के चरित्र पर भी इसका प्रभाव पड़ता है यदि कुंडली के नवम भाव का स्वामी चंद्रमा के अलावा कोई और सौम्य ग्रह हो और पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में मौजूद है। ऐसा देखा गया है कि, नवम भाव में जब राहु के साथ किसी भी सौम्य ग्रह की बात की जाती है तो ऐसे में चंद्रमा की चर्चा नहीं होती है। यह कोई निरीक्षण नहीं है बल्कि ज्योतिषशास्त्र में यह जानबूझकर किया गया है। 

 

राहु के साथ चंद्रमा का संयोजन मौजूद राशि के साथ ग्रहण के दिन हो सकता है और इस संयोजन से राहु चंद्रमा के प्रभाव से काम नहीं करता है बल्कि स्वतंत्र रूप से वह व्यक्ति के जीवन में व्यापक सफलता जो धार्मिक और सामाजिक गतिविधि से जुड़ी हो सकती है। हालाँकि चंद्रमा व्यक्ति के जीवन पर व्यापक प्रभाव तब दाल सकता है जब वह नवम भाव का स्वामी हो और उसके पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में राहु की उपस्थिति हो। ऐसा भी माना गया है कि, यदि चंद्रमा महीने में 15 अपना प्रकाश देता है तो इससे इससे अच्छे और बुरे परिणामों की गारंटी कम या ज्यादा नहीं होती है।  इसे चंद्रमा के वैक्सिंग सिस्टम के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, यदि चंद्रमा घटने की प्रक्रिया में हो, तो इसका प्रभाव मुश्किल से महीने के आधे दिन ही व्यक्ति के जीवन पर दिखाई दे सकता है।

 

हालंकि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि, यह अमावस्या के दिन कितना करीब है और दूसरी तरफ, यदि राहु मंगल, शनि या हर्शेल के साथ चंद्रमा की युति होती है तो ऐसे में व्यक्ति का चरित्र धार्मिक और सामाजिक संगठनों के प्रबंधन से संबंधित कामों में नकारात्मक रूप ले सकता है। ऐसे में पुरुष और महिला लगातार किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संगठन से जुड़े हो सकते हैं और अपने काम में अधिक ऊर्जावान भी हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति अन्य कामों के लिए कभी भी किसी दूसरे महिला या पुरुष के अधिकारों या संपत्ति को छीनने से पीछे नहीं हटते हैं।

 

कुंडली के नवम भाव में मंगल, शनि और सूर्य की उपस्थिति हो और इसी भाव का स्वामी भी तीसरे, चौथे, छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थिति हो तो ऐसे में व्यक्ति अहंकारी और निर्मम गुणों से भरपूर हो सकता है। ऐसे प्रभाव से पुरुष और महिला इस बात में बिल्कुल भी अंतर नहीं कर पाते हैं कि, किसे नुकसान पहुँचाना या और किसे नहीं। ऐसे व्यक्तियों को अपने दोस्तों, सहकर्मी, करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ ही साथ धार्मिक एयर सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों के काम का श्रेय लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है।  ऐसे व्यक्ति पीठ पीछे उसी की बुराई करते हैं जो हमेशा उनके काम आता है।  ऐसे लोगों को मतलबी माना जाता है, जिन्हें दूसरों को नुकसान पहुंचाने में कोई समस्या नहीं होती है। ऐसे व्यक्ति के भीतर अहंकार की भावना बहुत प्रबल होती है। 

 

कुंडली के नवम भाव में राहु की उपस्थिति होने से यह भी देखा गया है कि, व्यक्ति के जीवन पर राहु के साथ ही किसी अन्य ग्रह की युति होने से व्यक्ति कायर और हीन भावना से ग्रसित होने के साथ ही वे यह दिखाने में असफल हो जाते हैं कि, वे वाकई में किस चीज के योग्य हैं।  उनके भातर छुपे शिष्टता, साहस और बहादुरी की भावना भी पूरी तरह से छीन ली जाती है। ऐसे व्यक्ति के पारिवारिक जीवन की बात करें तो ऐसे व्यक्ति अपने ख़ास भाई-बहनों के साथ ही चहेरे भाइयों से भी दूर रहने का ही प्रयास करते हैं। हालाँकि उनकी सफलता उन्हें परेशान नहीं करती है लेकिन उन्हें किसी तरह का लेना-देना भी नहीं रहता है। राहु के विपरीत प्रभाव से ऐसे व्यक्ति चापलूसी करने से बाज नहीं आते, उन्हें सफलता पाना का एक मात्र रास्ता चापलूसी करने में ही नजर आता है।  

यदि सूर्य, मंगल या शनि नवम भाव में राहु के साथ हों, तो व्यक्ति किसी की संपत्ति हड़पने का प्रयास करेगा, फिर चाहे वह उनके किसी करीबी या भाई बहनों की ही क्यों न हो। 

 

यह काफी वास्तविक है कि जब व्यक्ति के जीवन में सूर्य, मंगल और शनि की अन्तर्दशा के साथ ही राहु की महादशा चल रही हो तो ऐसे व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। जनता के बीच उनकी अच्छी छवि विकसित हो सकती है और वे काफी ईमानदारी और भरोसेमंद तरीके से अपने कामों को पूरा कर सकते हैं। हालांकि अधिक लाभ के लिए वे अपनी वर्तमान पार्टी बदलने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

 

इसका एक सटीक उदाहरण आपको साल 1950 के भारतीय राजनीति के दौरान देखने को मिल सकता है। उस समय के राजनीतिज्ञ के कुंडली के नवम भाव में राहु बारह डिग्री के भीतर होने से ऐसे लोग अपने कामों के लिए अपने गुरु, संरक्षक और पार्टी के अन्य कर्ताओं की किसी भी बात से ताल्लुक नहीं रखते थे।  इसके साथ ही शनि का नवम भाव में राहु के 15 डिग्री के भीतर होने से व्यक्ति अपने अन्य अनुयायियों और दूसरे कार्य कर्ताओं के साथ किसी अन्य दल को ज्वाइन करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।  

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