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मंगल का कर्क राशि में होना | Mars in Cancer sign

मंगल का कर्क राशि में होना, कई सारे महत्वपूर्ण असर को दिखाता है क्योंकि ये स्थिति कई चीजों पर अपना गहरा असर भी डालती है। इसका असर व्यक्ति को भावनात्मक, तीव्र, क्रियाशील, उत्साहित, साधन संपन्न, आर्थिक स्थिति से अनुकूल स्थिति प्रदान कर सकता है। कर्क राशि एक जल तत्व राशि है और मंगल एक अग्नि प्रधान युक्त ग्रह है, तो ऐसे में मंगल की अग्नि कर्क में शीतलता का प्रभाव पाती है। यहां पर मंगल के गुण अलग रुप से दिखाई देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कर्क राशि मंगल के लिए नीचस्थ राशि भी मानी गई है। मंगल के कमजोर होने के कारण साहस में कमी देखने को मिल सकती है। विवाद एवं झगड़ों से दूर रहना पसंद करता है।   

 

मंगल के कर्क राशि में होने पर मंगल की स्थिति को कुछ कमजोर भी माना गया है किंतु इसके एक पक्ष पर अगर ध्यान न देते हुए अन्य बातों को भी देखा जाए तो ये स्थिति इतनी अधिक चिंताजनक नहीं बनती है। इसके कई कारण हमें मिल सकते हैं कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और मंगल के साथ चंद्रमा का मैत्री संबंध भी होता है। ऐसे में मंगल का यहां होना इतना अधिक खराब नहीं होता है। दूसरी ओर मंगल में जो उदंड एवं आक्रामकता है, वह भी कर्क राशि में मंगल के होने पर कुछ नम्र स्थिति को पाती है जो एक बेहतर स्थिति भी है। क्योंकि जितना दिलों को प्रेम से जीता जा सकता है उतना उसे हम युद्ध से नहीं जीत सकते हैं। 

 

स्वभाव एवं व्यक्तित्व 

मंगल कर्क में होने पर व्यक्ति को भावनाओं की गहराई का बोध भी उत्तम रुप से होता है। कई मामलों में ये स्थिति व्यक्ति को काफी मजबूत एवं दृढ़ संकल्प भी प्रदान करती है। जहां मंगल शक्ति का प्रतीक है वहीं चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। इन दोनों का एक साथ होना मजबूत बनाता है। व्यक्ति को कई मायनों में ये चीज सफलता दिलाने में भी सहायक बनती है। व्यक्ति अपनी ऊर्जा को बहुत ही कुशलता के साथ व्यक्त कर पाने में सक्षम भी हो पाता है। अपनी बातों से लोगों को प्रभावित कर लेने का हुनर रखता है। व्यक्ति मांग को लेकर ज्यादा मुखर नहीं होना चाहेगा कई मामलों में स्वभाव से समझौता करने वाले भी होते हैं किंतु ये बात उनकी सहनशीलता से अगर आगे बढ़ जाती है तो अपनी जिद के आगे किसी को खड़े भी नहीं होने देते हैं। 

 

मंगल के कर्क राशि में होने पर व्यक्ति में स्वतंत्रता की चाह होती है वह अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर काफी सजग होते हैं इनके मन के भीतर कई विचार चलते हैं जो आसानी से दूसरों को पता नहीं चल पाते हैं और यही इनका विशेष गुण भी होता है। स्वतंत्र होने के साथ साथ ये लोग मेहनती भी होते हैं। अपने सपनों को साकार करने के लिए पूर्ण रुप से प्रयास भी करते हैं। प्रेम एवं सहृदय का भाव दूसरों के दिल को जीत लेने जैसा होता है।अपने आचरण एवं व्यवहार कुशलता द्वारा ये सभी के मध्य स्थान पाने में सफल होते हैं।  


कर्क राशि भावना और संवेदनशीलता के गुण से भरपूर होती है और जब मंगल यहां होता है तो स्वभाव में ये कशमकश अवश्य दिखाई दे सकती है। व्यक्ति में सुरक्षा एवं स्थिति को शांति से सुलझाने की प्रवृत्ति अधिक रह सकती है। चीजों को जीतना सहजता के साथ स्वीकार कर लेना तथा मुखर होने से बेहतर गंभीर रुप से कोशिश को करना स्वभाव में अधिक झलकता है। सूझबूझ द्वारा कार्यों को करना तथा सभी स्थिति को भांप लेने की योग्यता भी इनमें अच्छी होती है। कई मामलों में ये जुनून भी दिखा सकते हैं तो कई बार आसानी से स्थिति के अनुसार खुद को बदल लेने के लिए भी सहमत रहते हैं। 


करियर और व्यवसाय 

मंगल के कर्क राशि में होने पर कार्यक्षेत्र में सफलता और प्रसिद्धि प्राप्ति को लेकर ये प्रतिबद्ध होते हैं। नौकरी में अपनी मेहनत और परिश्रम के द्वारा उच्च स्थान पाने में भी सक्षम होते हैं। चतुराई एवं योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं। काम के क्षेत्र में इनके लिए खानपान, सेवा कार्य, देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने से संबंधित काम अनुकूल रह सकते हैं। यात्रा, शिपिंग उद्योग, पर्यटन आदि में भी ये अपना बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होते हैं। व्यवसाय में जल से संबंधित उत्पादों, फैशन,प्रसाधन, रसायन, वस्त्र उद्योग इत्यादि में भी इन्हें अच्छी सफलता प्राप्त हो सकती है।


कार्यक्षेत्र में इनका प्रभाव दूरगामी असर डालने वाला होता है। लोगों के साथ मिलकर काम करते हैं लेकिन कुछ मामलों में इनका दृढ़ होना परेशानी भी उत्पन्न कर सकता है। लीडरशिप का गुण भी जातक में होता है तथा अपने आस पास की स्थिति को भली भांति भांप लेने में भी सक्षम होते हैं।

 

प्रेम और विवाह संबंध 

प्रेम के मामले में जातक काफी भावुक होता है। प्रेम को गंभीरता से भी लेता है। अपने रिश्ते में किसी के साथ जुड़ाव की अनुभूति इनके लिए विशेष होती है। यह अपने साथी के साथ एक मजबूत बंधन की इच्छा भी रखता है। मंगल का यहां कमजोर होना  कई बार वैवाहिक संबंधों में थोड़ा अनिश्चित सी स्थिति को दर्शाता है। इसका कारण मंगल यौन ऊर्जा है और चंद्रमा मनस है ऐसे में इन दोनों में जो विरोधाभास होता है वह कई बार रिश्तों पर अपना असर डाल देता है। बहुत कामुक भी होते हैं, अपने साथी के साथ एक प्रेमपूर्ण संबंध की इच्छा रखते हैं। रिश्तों में सुरक्षा को भी ढूंढते हैं। प्रेम को लेकर काफी गंभीर और सजग रहते हैं। अच्छी स्थायी रिश्तों की मांग भी इनमें अधिक रहती है। अच्छे एवं सुखद माहौल की इच्छा भी हमेशा रहती है। अपने रिश्ते में अधिकार और विश्वास की मांग इनके लिए विशेष होती है। 

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में मंगल के प्रभावग्रहों के गोचर और उसके प्रभावों के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

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