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विभिन्न भावों और राशियों में मंगल/ MARS IN DIFFERENT HOUSES & SIGNS

मंगल/ Mars एक पुरुष प्रधान ग्रह है। मंगल की दोनों अच्छे और खराब स्थिति मनुष्य के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करता हैं। अनुकूल मंगल वाले व्यक्ति साहसी, कुशल वक्ता, बुद्धिमान, उदार, दुबले-पतले, परिवर्तनशील स्वभाव वाले, क्रोधी, साहसी और कष्ट देने में सक्षम होते हैं। पृथ्वी के पुत्र रूप और युद्ध के देवता के रूप में भी माना जाने वाला मंगल सक्रिय लाल ग्रह के रूप में भी जाना जाता है।

विभिन्न भावों और राशियों में मंगल का प्रभाव/ Effects of Mars in different Houses and Signs

1. इसका अन्य ग्रहों के साथ संबंध इस प्रकार है:

मित्रतापूर्ण:  सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति

तटस्थ:  शुक्र, शनि

प्रतिकूल:  बुध

यह देखा गया है कि मंगल/ Mars और शुक्र के स्वामित्व वाली राशियां एक दूसरे से सातवें और बारहवें स्थान पर होती हैं, इसलिए मंगल शुक्र के प्रभावों को मिटाकर, शुक्र के प्रतीक स्वरूप कई मामलों पर अपनी दृष्टि डालता है। उपरोक्त अर्थ के अनुसार दोनों विरोधी ग्रह हैं।

2. इसके कारक निम्न प्रकार हैं:

शारीरिक और मानसिक शक्ति, पृथ्वी से उत्पन्न वस्तुएँ, कृषि भूमि के अतिरिक्त अचल संपत्ति, छोटे भाई-बहन, शत्रु, शत्रुता, साहस, परिजन, अस्र-शस्र, जोश, सैनिक, चोट, आत्म-प्रशंसा, अस्थि मज्जा और ऊर्जा।

3. यह दर्शाता है:

(i) निर्ममता, उत्साह, उदारता, निर्भीकता, कुकर्म, आत्मविश्वास, इच्छा, स्वतंत्रता, दृढ़ संकल्प, तर्क, नेतृत्व, संघर्ष, भविष्य की ओर देखने की प्रवृत्ति, वाहन चलाना, बुद्धिमानी, संगठनात्मक क्षमता, कार्य करने की क्षमता, मूर्खता, उच्छृंखलता, गलतफहमियां और झूठ बोलना।

(ii) सिर, मांसपेशी, अंडकोष, यौन शक्ति, रक्त, तीव्र बुखार, सूजन, जलन, रक्तस्राव, गर्भपात, चेचक, लू लगना, खसरा, सर्जिकल ऑपरेशन, घाव, महामारी, अत्यधिक प्यास, आग, जहर या हथियार से चोट; सूखी और खुरदरी त्वचा, हड्डी का टूटना, चोरों से हानि और शरीर के ऊपरी हिस्से के रोग

(iii) संघर्ष, दुश्मन, अपराध, दुर्घटना, हिंसा, मुकदमेबाजी, अंगीठी की आग, आग, बिजली, तर्क, वाद-विवाद, विज्ञान, लोहा, छुरी-कांटा, एथलेटिक प्रदर्शन, इंजीनियरिंग, धातु (खनिज और धातु जैसी निर्जीव वस्तुएं), चौपाया संबंधी थोड़ा जला हुआ कपड़ा, सैनिक वर्ग, भगवान हनुमान, भगवान सुब्रमण्य, ग्रीष्म, मूंगा, गहरे लाल, शिकारी जंगली पशु-पक्षी, एसिड, बाघ, भेड़िया, युद्ध-क्षेत्र, क़साईख़ाना, मशीनरी और लोहार का काम।

(iv) अन्य महिलाओं में रुचि, कृष्णा नदी से श्रीलंका तक का क्षेत्र। सूर्य की तरह दंड का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही, मंगल 28 और 42 से 56 वर्ष के बीच की आयु पर भी शासन करता है।

(v) सर्जन, सैनिक, वकील, विवादी, रसोइया, कसाई और नाई।

4. यह दसवें भाव में शक्तिशाली और दूसरे भाव में निष्फल होता है।

5. शुक्र और मंगल के बीच का अंतर स्पष्ट है। शुक्र भावनात्मक रूप से संवेदनशील है, जबकि मंगल भावनात्मक रूप से उत्तेजनशील है। इसलिए, शुक्र भावनात्मक प्रभावों को उत्पन्न करता है, लेकिन मंगल आवेग को दर्शाता है। इस प्रकार, स्नेह और शिष्टता शुक्र के क्षेत्र में आते हैं और मंगल हिंसा को शासित करता है।

6. मंगल/Mars पुरुष प्रधान और शुक्र स्त्री सूचक ग्रह हैं। जन्म कुण्डली/Birth chart या नवांश कुण्डली में जब दोनों की दृष्टि या मंगल किसी भी प्रकार से शुक्र को प्रभावित करता है तो व्यक्ति में कामुकता बढ़ती है तथा एक निश्चित राशि में दोनों के मेल से इसमें और अधिक वृद्धि होती है।

7. कुंडली में मंगल और केतु स्वयं को दर्शाने वाले कारकों को प्रभावित करते हैं, तो व्यक्ति दुर्घटनाओं, हिंसा और चोटों से पीड़ित हो सकता है।

8: जब मंगल और बृहस्पति एक साथ स्वयं किसी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं, तो वह उसे नेकदिल इंसान बनाकर, समाज की भलाई के लिए कठोर परिश्रम करने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन मंगल से शनि के मेल के विपरीत परिणाम होता है। इस मामले में व्यक्ति स्वार्थी, भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति का होता है।

9. स्वभाव से अनिष्टकारी ग्रह होने के कारण, मंगल पहले पिछले भाग में वृद्धि करता है।

10. पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल के स्थित होने से जीवनसाथी की अकाल मृत्यु, अलगाव, तलाक, वैवाहिक कलह या परस्पर-विरोध हो सकता है।

11. सामान्यत, स्त्री की कुंडली के आठवें भाव/Eighth house in Kundli में अनिष्टकारी मंगल ग्रह विधवापन का कारण माना जाता है।

12. यदि कुंडली में मंगल कष्टकारी हो तो यह प्रत्येक तीन साल और नौ महीने में गंभीर परेशानियों का कारण बन सकता है।

13. सूर्य या चंद्रमा में से किसी एक के पक्ष में, प्रतिकूल मंगल ग्रह बावन वर्ष पांच महीने (52 Years 5 Months) की आयु में गंभीर समस्याएं दे सकता है। ऐसे सूर्य या चंद्रमा के शनि के पक्ष में होने पर, व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

14. विपरीत क्रम से अन्य ग्रहों पर मंगल का प्रभाव:

(i) सूर्य - सूर्य के नीचे देखें।

(ii) चंद्रमा - चंद्रमा के नीचे देखें।

(iii) बुध - लग्न में इस ग्रह की दृष्टि अनुकूल होने पर, सकारात्मक रूप से कुशाग्र और तेजस्वी दिमाग होने के कारण व्यक्ति इंजीनियर, सर्जन या गणितज्ञ के रूप में सफल हो सकता है और वह यथार्थवादी, सही, कुशल,  मजाकिया, विनोदी, साधन संपन्न, उत्साही और जीवंत होगा।

लग्न में इस ग्रह की बुरी दृष्टि होने पर, नकारात्मक रूप से व्यक्ति पूर्वाग्रही, आवेगी, क्रोधी स्वभाव का, विवेक और तर्क से बेखबर होता है। वह असत्य का सहारा लेने वाला, आलोचनात्मक, धोखेबाज, आत्मकेंद्रित और अभिमानी हो सकता है। वह विधवा या चरित्रहीन महिला से शादी कर सकता है। साथ में उसे कभी समृद्ध नहीं मिलेगी।

(iv) बृहस्पति - लग्न में इस ग्रह की दृष्टि अनुकूल होने पर, व्यक्ति जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। वह स्वतंत्र विचारों वाला, प्रेरक, स्पष्टवादी, विद्वान, नेक और आर्थिक रूप से सफल होगा और उसके पास सामने आने वाले मुद्दों से निपटने के लिए अभिनव तरीके होंगे तथा वह न्यायसंगत और दुर्बलों और शोषितों की रक्षा करने वाला होगा। उन्हें यात्राओं द्वारा लाभ मिलेगा। वह ईमानदार और सीधा-सादा होगा और दूसरों को उच्च स्तर की कार्यक्षमता के लिए प्रेरित करने में भी सक्षम होगा।

लग्न में इस ग्रह की बुरी दृष्टि होने पर, नकारात्मक रूप से व्यक्तियों को धर्म के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, तथा धार्मिक उत्पीड़न या अप्रत्यक्ष प्रथाओं के कारण क्षति हो सकती है। वह दूसरों की बेईमानी का शिकार हो सकता है या इस तरह के अभ्यासों से दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है। असाधारण रूप से घर से दूर, दुश्मनी के कारण या कैद में, किसी मठ या अस्पताल में मृत्यु हो सकती है।

(v) शुक्र - लग्न में इस ग्रह की दृष्टि अनुकूल होने पर, यह शुक्र द्वारा प्रदान की गई उन प्रतिभाओं को सक्रिय करता है जो व्यक्तित्व में निष्क्रिय रहती हैं। ऐसे व्यक्तियों में खेलकूद का शौक रहेगा तथा साहसी और सक्षम होने के साथ ही, प्रतिष्ठित, धनवान और अच्छी तरह खर्च करने वाले होते हैं। मंच, कला, सजावट, स्त्री, संगीत आदि के माध्यम से आमदनी हो सकती है।  लोकप्रिय और मिलनसार होने के साथ ही, महिलाओं के माध्यम से लाभ प्राप्त हो सकता है। इन व्यक्तियों का विवाह जल्दी हो जाता है और वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है। पहली नजर के प्यार जैसे मामलों में संलगता फायदेमंद साबित हो सकता है।

लग्न में इस ग्रह की बुरी दृष्टि होने पर, नकारात्मक रूप से व्यक्ति उच्छृंखल, भावुक, कामोत्तेजक और महिलाओं के पीछे भागने वाले हो सकता है तथा यौन संबंध, आडंबर, ज्वेलरी, धूमधाम, दिखावा और साहचर्य पर खर्च कर सकते है। अन्य हानिकारक ग्रहों के द्वारा भी अपना प्रभाव डालने पर कामशक्ती भी हो सकती है। पत्नी की आयु ज्यादा नहीं होती। महिलाओं से जान का खतरा हो सकता है। कमजोर इच्छाशक्ति के साथ स्वच्छंद तरीकों को रोकने में असमर्थता दिख सकती है। जल राशियों में दृष्टि पड़ने पर, शराब की लत लग सकती है। जुआ खेलना और कई महिलाओं के साथ संपर्क करना उन्हें पसंद हो सकता है तथा मृतकों से संबंधित धन को लेकर समस्याएं खड़ी हो सकती है।

(vi) शनि - लग्न में इस ग्रह की दृष्टि अनुकूल होने पर, व्यक्तित्व रौबदार होता है। महत्वाकांक्षी, खतरों में सभी सीमाओं से परे बहादुरी और ऊर्जावान, काम के प्रति दृढ़ प्रवृत्ति और मानसिक जटिलता बनी रह सकती है। नेतृत्व क्षमता द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त हो सकती है।

लग्न में इस ग्रह की बुरी दृष्टि होने पर, नकारात्मक रूप से व्यक्ति अपने विचारों और विश्वासों के प्रति कट्टर पूर्वक जुड़ा होने के कारण आतंकवाद का रास्ता अपना सकते हैं। दबंगता के कारण कुख्याति प्राप्त हो सकती है। सम्मान के संबंध में गंभीर खतरा हो सकता है। दुर्घटना, चोट या हिंसक मौत हो सकती है। ऐसे व्यक्तियों को सरकार या शत्रुओं द्वारा कष्ट भोगना पड़ सकता है तथा चोरी या श्रमिक विवादों के कारण नुकसान भी हो सकता है। माता-पिता उससे अलग हो सकते हैं या उनकी जल्दी मृत्यु हो सकती है। उच्च पद को प्राप्त करने पर भी, उसे गिरने का खतरा रहता है। मालिकों के साथ खराब संबंध होने के साथ ही, क्रोधी स्वभाव से ग्रस्त, असंवेदनशील और कठोर होते हैं।

आप ज्योतिष में ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों, 12 भावों, 27 नक्षत्रों और इनकी विशेषताओं के बारे में हमारी वेबसाइट से पढ़ सकते हैं।

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