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कुंडली के छठे भाव में केतु /Ketu in Sixth House

किसी भी व्यक्ति की कुंडली का छठा भाव एक ऐसा घर है जहँ केतु बुध के समांतर अपना प्रभाव नहीं दे सकता है। हालांकि अन्य भावों में केतु का प्रभाव कई मामलों में बुध के समांतर हो सकता है। यदि कुंडली के कहते भाव में केतु के प्रभाव की बात करें तो इस भाव में केतु व्यक्ति को सतर्कता, अच्छी यादाश्त, पिछली घटनाओं और कार्यों का पालन करने की प्रवृति प्रदान करता है लेकिन यह प्रतिशोधी तरीके से नहीं होता है। यह यक्ति को अत्यधिक रूप से एक स्वस्थ्य शरीर, अच्छी प्रवृति, लगातार और परस्पर कड़ी मेहनत करने और खुद की गाड़ी आदि खरीदने की सुविधा प्रदान करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, केतु पालतू जानवरों और दुधारू जानवरों के लिए प्यार, मामूली अपराध क्षमा करने का निर्णय या दूसरों के माध्यम से किये गए अपमान को भूलने की क्षमता प्रदान करता है। हालांकि, गंभीर प्रकार के अपमान या चोटों को माफ न करें या न भूलना ही उचित माना जाता है। 

 

कुंडली के छठे भाव पर केतु का पड़ने वाला प्रभाव/ Effects of ketu in the Sixth House 

वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली के कहते भाव में केतु/Effects of ketu in the Sixth House राहु और शनि के साथ मिलकर यह नाना-नानी से विरासत में मिलने वाली संपत्ति के मामले में मामा -मामी के साथ मतभेद या विवाद की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। यदि बृहस्पति केतु के साथ बारह अंश में साझीदार है तो ऐसा व्यक्ति कानूनी मामलों में बुरी तरह से उलझ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि छठे भाव में केतु का परिणाम काफी निम्न स्तर पर मिल सकता है, खासतौर से माता के परिवार के सदस्यों के साथ।

 

छठे भाव में केतु की उपस्थिति होने से व्यक्ति हड्डी की चोट, फ्रैक्चर, या यौन संबंधित समस्याओं से तेजी से निवारण प्राप्त कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति के छठे भाव में केतु शुक्र ग्रह के साथ युति करता है तो ऐसे में व्यक्ति को वैवाहिक संबंधों में होते हुए किसी और व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भरसक बचने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में वैवाहिक जीवन में भूचाल आ सकता है।  

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