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कुंडली के सातवें भाव में केतु

वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली के सातवें भाव में केतु का प्रभाव व्यक्ति को बचपन से ही (परिवार के सदस्यों के साथ) बहुत सी यात्राओं पर जाने का अवसर प्रदान करता है। हालांकि बाद में जाकर यह यात्राएं व्यक्ति के लिए सुखद या सफल नहीं साबित होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे बुखार, सिरदर्द, ब्लड प्रेशर आदि से पीड़ित हो सकता है। इसके साथ ही ऐसा भी संभव है कि, व्यक्ति किसी भी यात्रा के तरीके की परवाह किए बिना किसी थकाऊ यात्रा के दौरान एक विस्तृत समय के लिए मौजूद हो सकते हैं।  इस दौरान कई दिनों, हफ़्तों या महीनों तक अपने घर से दूर रहते हुए व्यक्ति नियमित रूप से कुछ अधिक ही चिंतित हो सकता है। वह ज्यादातर अपने परिवार के सदस्यों और जीवनसाथी या प्रेमी को लेकर चिंतित हो सकते हैं।

 

यदि व्यक्ति की कुंडली के सातवें घर में केतु/ketu in Seventh House मंगल या शनि से जुड़ा होता है तो यह व्यक्ति के मन में उनके जीवनसाथी के बारे में कई तरह के संदेह उत्पन्न कर सकता है। विशेष रूप से  यह स्थिति पति-पत्नी के बीच के रिश्ते में तनाव उत्पन्न कर सकता है।  

 

कुंडली के सातवें भाव में केतु का प्रभाव/Effects of Ketu in the seventh house

यदि व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में कोई जलीय राशि जैसे कर्क, कुंभ, मीन और मकर राशि हो तो ऐसे में व्यक्ति को विशेष रूप से पानी के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पड सकती है। व्यक्ति को तलाब, स्विमिंग पूल, नदी, समुद्र या पानी की टंकी आदि के संपर्क में आने पर सतर्कता बरतनी चाहिए। व्यक्ति को पानी के साथ किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए भले ही वह कितने बड़े तैराक ही क्यों ना हो।  कुंडली के सातवें भाव में केतु की उपस्थिति होने से व्यक्ति के साथ एक और कमजोर कारक जुड़ जाता है, वे किसी भी चीज को लेकर बहुत अधिक उत्तेजित और भावुक हो सकते हैं। ऐसी स्थिति से गुजरने के बाद हालांकि व्यक्ति को काफी पछतावा भी होता है विशेष रूप से यदि यह परिवार के किसी सदस्य या जीवनसाथी के साथ हुआ हो तो।

 

ऐसे में व्यक्ति को किसी भी लिंग के दोस्तों पर फ़िज़ूलख़र्ची करने में कोई परहेज नहीं होता है। लड़का हो या लड़की दोनों के साथ दोस्ताना रिश्ते रखते हुए उन्हें अपने गुस्से और झुंझलाहट पर पूरा नियंत्रण रहता है। हालाँकि यह चीज वे अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और जीवनसाथी के साथ लागू नहीं करते हैं और इसका विपरीत परिणाम झेलना पड़ सकता है। कुछ ज्योतिषविदों का मानना है कि, वृश्चिक राशि में केतु की उपस्थिति अधिक फायदेमंद हो सकती है। हालाँकि इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कभी-कभी वृश्चिक राशि में केतु की उपस्थिति होने से महिलाओं को प्रजनन संबंधी और यौन संबंधी परेशानियां हो सकती है।  

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