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पांचवें भाव में केतु | Ketu in 5th house

 

मुख्य रूप से, ज्योतिष में 'छाया ग्रह' के रूप में प्रसिद्ध केतु के पंचम भाव में स्थित होने पर, सौर मंडल के विशाल ग्रह बृहस्पति तथा कई अन्य पहलुओं से अत्यधिक प्रभावित होने के कारण, लोगों के जीवन पर इसका प्रतिकूल और लाभकारी प्रभाव पड़ता है। यह वह केंद्र बिंदु है जो दुर्भावनाओं को भी, धार्मिकता में बदलने के साथ ही बुद्धिमानी, मुक्ति, ज्ञान, श्रेष्ठता, कल्पना आदि पर ध्यान केंद्रित करता है। वहीं, पांचवें भाव का केतु सुख, प्रेम संबंध, संतान आदि से संबंधित कई चीजों का प्रतीक है। यह लोग, मानसिक रूप से तत्वज्ञान के प्रति झुकाव तथा नई भाषाएँ सीखने में रुचि रखते हैं। पांचवें भाव में केतु की मौजूदगी आध्यात्मिकता, संतान, संबंधों में अनुकूलता और भावनात्मक मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करती है।

 

पांचवें भाव में केतु का सकारात्मक प्रभाव/ Positive Effects of Ketu in the Fifth House

केतु के पांचवें भाव में स्थित होने पर, व्यक्ति कई विदेशी भाषाओं के अनुभवी हो सकते हैं। इसके साथ ही, इस भाव में केतु की स्थिति, आध्यात्मिकता और धर्म से संबंधित मामलों के प्रति झुकाव में वृद्धि करती है जिससे ये लोग, शोध कार्यों से भी जुड़ सकते हैं। इसके अलावा, पांचवें भाव में केतु की मौजूदगी, व्यक्ति को तंत्र-मंत्र विज्ञान और काले जादू का भी जिज्ञासु बनाती है। वहीं, सट्टेबाज़ी द्वारा लाभ मिलने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं। 

 

पांचवें भाव में केतु का नकारात्मक प्रभाव/ Negative Effects of Ketu in the Fifth House

व्यक्ति को अनैतिक बनाने के कारण, पांचवें भाव में केतु की स्थिति को अच्छा नहीं माना जाता है। यह लोगों को अत्यधिक भावुक भी बनाता है जो उनकी सामान्य जीवनशैली के प्रवाह को बाधित कर सकता है। इसके अलावा, यदि केतु का कोई लाभकारी प्रभाव न हो तो यह अनुभूति इतनी सघन हो सकती है कि व्यक्ति स्वयं को, मित्रों और परिवार से अलग करना शुरू कर देता है तथा वह दूसरों के प्रति प्रेम का दिखावा तो करते हैं लेकिन, वास्तव में दूसरों के प्रति कोई प्रेम और आंतरिक स्नेह नहीं रखते। साथ ही, अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, किसी के भी करीब आ सकते हैं। पांचवें भाव में केतु की उपस्थिति व्यक्ति को अधीर, कायर, ईर्ष्यालु, अभिमानी और कुटिल बना सकती है। हालांकि इस दौरान, जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में इन व्यक्तियों में आध्यात्मिकता की प्रवृत्ति हो सकती है।

 

इसके अलावा, पेट और पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं का भी सामना करने के साथ ही, ऊंचाई से गिरने के कारण चोट लग सकती है। वहीं, केतु का जल निकायों से संबंध होने के कारण, प्राकृतिक जल निकायों या स्विमिंग पूल में डूबने का जोखिम बना रह सकता है। पांचवें भाव में पीड़ित केतु वाले व्यक्ति, भावनात्मक असंतोष से ग्रस्त हो सकते हैं। केतु की यह स्थिति, इन व्यक्तियों की संतान के लिए भी प्रतिकूल रहती है, जिससे उन्हें जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही, उन्हें संतान के प्रजनन से संबंधित समस्याओं तथा कुछ मामलों में, गर्भपात या भ्रूण हत्या का भी सामना करना पड़ सकता है। पांचवें भाव में केतु वाले कुछ दंपत्तियों का जीवन, संभावित संतान के इर्द-गिर्द घूम सकता है, क्योंकि यह दंपत्ति प्रजनन क्षमता में अक्षमता के चलते, चिकित्सा प्रयासों के बाद भी गर्भाधान करने में सफल नहीं हो पाते, जिस कारण, वह परंपरागत तरीकों से लेकर एलोपैथिक तक हर प्रकार के प्रयास जारी रखते हैं, जो असफल साबित हो सकते हैं। हालांकि, कुछ दंपत्तियों को लंबे प्रयासों के बाद सफलता मिल सकती है, जबकि अन्य उतने भाग्यशाली नहीं हो पाते।

 

पांचवें भाव में स्थित केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करने के उपाय/ Remedies to Pacify the Maleic Effects of Ketu in the Fifth House

केतु महादशा के अशुभ गोचर के दौरान, उत्पन्न होने वाले विभिन्न दोषों से इन व्यक्तियों को घबराहट में  चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि घर या मंदिर में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने पर राहत मिलती है। केतु की शांति के लिए, व्यक्तियों को केतु स्तोत्र, गणेश द्वादशनाम स्तोत्र, शिव पंचाक्षरी स्तोत्र और गणेश चालीसा का पाठ करके, इस ग्रह को सकारात्मक बनाना चाहिए तथा रुद्राक्ष की माला से, चालीस दिनों में "ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः" मंत्र का 17000 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा, बृहस्पतिवार के दिन काली सरसों या कुलथ की दाल का दान करना चाहिए। व्यक्ति की कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित केतु के लिए, यह क्रिया अत्यधिक शक्तिशाली उपाय  होता है।

 

घर पर केतु के उपायों के दौरान की जाने वाली सावधानियां/ Precautions to Be Followed During Ketu Remedies At Home

केतु ग्रह की शांति के उपाय आध्यात्मिक होते हैं जो  बिना अधिक प्रयास के किए जा सकते हैं। इन उपायों को करते समय निरंतरता, गंभीरता, मुहूर्त और विश्वास जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करना चाहिए। 

 

केतु की दशा के विशेष मामलों के, कुछ विशेष उपाय  निर्धारित होते हैं जिन्हें किसी विशेषज्ञ की देखरेख के अंतर्गत किया जाना चाहिए जैसे-यज्ञ, हवन, मंत्र, यंत्र आदि। केतु के उपाय बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए साधकों को इन्हें आंखें मूंदकर नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से उचित परामर्श लेने के बाद ही कोई उपाय करना चाहिए।

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में केतु के प्रभावग्रहों के गोचर के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

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