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Eclipse
“ग्रहण” एक ऐसा शब्द है जिसे हम बचपन से ही सुनते आ रहे है। हमारे रीति रिवाजों में भी इस शब्द का विशेष महत्व होता है। बहुत सारे व्यक्ति ग्रहण को अपनी किस्मत से जोड़ते हैं और कुछ लोग ग्रहण से भयभीत भी होते हैं। जिस दिन या जिस समय यह ग्रहण होता है वह घर से बाहर नहीं निकलते हैं। विज्ञान के अनुसार, जब एक ग्रह या उपग्रह किसी रोशनी के स्रोत या अन्य ग्रहों के बीच में आ जाए तो उस स्थिति को ग्रहण/Eclipse कहते हैं।
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहण तब होता है जब दो छाया ग्रह, राहु और केतु, सूर्य और चंद्रमा को निगल जाते हैं। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं – चंद्र ग्रहण/Lunar Eclipse और सूर्य ग्रहण/Solar eclipse दोनों को होता है। इन ग्रहणों का अर्थ है कि सूर्य और चंद्रमा दोनों ही पृथ्वी और पर्यावरण पर अपनी शक्ति और प्रभाव खो देते हैं।
क्या है ग्रहण?
दोनों प्रकार के ग्रहण मानव जीवन पर महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हैं, लेकिन यह परिवर्तन अच्छे नहीं होते हैं। ग्रहण की अवधि के दौरान कुछ भी शुरू करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय के दौरान आपकी शक्ति (अर्थात सूर्य) और आपका दिमाग (अर्थान चंद्रमा) दोनों का प्रभाव राहु और केतु के कारण पूरी तरह से कम हो जाता है।
ग्रहण का प्रभाव
इन दोनों ही ग्रहणों का प्रभाव अनुकूल और हानिकारक दोनों ही होगा। यदि आप ग्रहण के दौरान पूर्ण सावधानी रखते हैं तो इस अवधि के दौरान आप प्रतिकूल परिणामों से बच सकते हैं। चूंकि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं, इसलिए हमें इनके बारे में अलग अलग विचार करना चाहिए।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार क्या है चंद्र ग्रहण?
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