यह किया तो टिकेगा पैसा
हर बार की तरह हम आपके जीवन से जुड़ी किसी ना किसी समस्या का निवारण करते रहते हैं। इसी कड़ी में, आज लक्ष्मी के स्थायित्व के बारे में चर्चा करेंगे। अधिकांश लोग इस परेशानी से ग्रसित रहते हैं कि उनके पास पैसा टिक नहीं पाता, चला जाता है। उनका कहना होता है कि काफी पैसा आता तो है परन्तु, रुकता नहीं है। इसके क्या कारण होते हैं? और इस समस्या का निवारण कैसे हो सकता है? आइये, इस लेख के द्वारा जानने की कोशिश करते हैं।
लक्ष्मी न रहें चंचला
ज्योतिष में, चंचला लक्ष्मी को रोकने के भी उपाय होते हैं जिन्हें समय रहते जानना आवश्यक होता है। कहा जाता है कि लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है जिस कारण, वह एक जगह नहीं टिकती है। अधिकांश लोग, इस परेशानी से ग्रसित रहते हैं कि ऐसी कौन सी खास वजह होती हैं जिनके वजह से पैसा आता तो है लेकिन, रुक नहीं पाता। वास्तव में, इन सब परेशानियों के कारण और उपाय कुंडली के अंदर क्षति होने के कारण होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति की पैसा रोकने वाली बाल्टी का छिद्र कितना बड़ा है यानि आमदनी की तुलना में निर्गमन(जाने वाला) का छिद्र बड़ा होने पर, उस बाल्टी में धन नहीं टिकेगा बल्कि ज्यादा निकल जाएगा।
कुंडली में धन-संपदा बताते हैं एकादश व द्वितीय भाव
कुंडली का एकादश और द्वितीय भाव इसके द्योतक होते हैं। अतः, इन भावों के अंदर नकारात्मक ग्रहों के आसीन होने या इन भावों के ऊपर नकारात्मक ग्रहों की दृष्टि पड़नी शुरू होने पर, व्यक्ति के पास पैसा नहीं टिक पाता और चला जाता है। हालांकि, धन का आना एक अलग बात है लेकिन, टिकना अलग बात है जिसे हम दूसरे ग्रहों से देखने की चेष्टा करते हैं।
धन के बारे में बताती है होरा कुंडली
कुंडली के साथ ही उसकी समरूप(parallel) कुंडलियां होती है जैसे कि होरा चार्ट। व्यक्ति के धन का घोतक यह चार्ट बताता है कि उसके पास कितना धन रहने वाला है और कितना उसका वाष्पीकरण होने वाला है।
लग्न के साथ होरा पढना अति आवश्यक
किसी व्यक्ति के D-1 यानि लग्न चार्ट की, होरा चार्ट यानी D-2 चार्ट के साथ पड़ताल करने पर, हमको आभास हो जाता है कि इसमें कुछ समस्या वाली बात है और जब समस्या होती है तो उसका निवारण भी अवश्य होता है इसलिए समस्या का भान हो जाने पर, हमारे लिए उसका निवारण बताना बहुत सहज हो जाता है कि व्यक्ति को अमुक चीज करनी चाहिए ताकि उसके पास पैसा आए भी और साथ-साथ टिके भी।
यदि D-1 चार्ट शरीर है तो बाकी D-charts आत्मा हैं
अब, बात करते हैं D चार्ट्स की। आखिर ये D चार्ट्स क्या होते हैं? D चार्ट का मतलब होता है- डिविजनल चार्ट्स। व्यक्ति की कुंडली D-1 यानि फर्स्ट डिविजनल चार्ट होती है जिसमें प्रत्येक राशि 30 मिनट की होती है और 2 घंटे की अवधि से हर एक राशि का फर्क होता है। जब हम उनका विभाजन करना शुरू करते हैं तब हमें, उसके बारे में और चीजों को सही प्रकार से जान पाते हैं। जैसे- D-2 चार्ट धन का घोतक होता है और D-4 चार्ट परिवार के बारे में बताता है। वहीं, D-5 चार्ट बच्चों के बारे में बताता है तथा D-6 चार्ट बीमारियों की सूचना देता है। इसके अलावा D-9 चार्ट, D-1 चार्ट का पूरक चार्ट होता है जो जीवनसाथी के बारे में बताता है। साथ ही, क्या D-1 चार्ट के अंदर की छिपी हुई बातें होंगी या नहीं होंगी, ये भी D-9 चार्ट से पता लगता है।
जहां, D-10 चार्ट प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बताता है वहीं, D-12 चार्ट प्रोफेशन और उसकी बारीकियों के बारे में बताने की चेष्टा करता है। ये चार्ट्स D-60 चार्ट तक होते हैं। वैसे तो, लोगों ने D-300 चार्ट तक शोध कर रखी है लेकिन, D-60 चार्ट प्रोफेशन की गहराइयों के बारे में बताने की चेष्टा करता है।
सिर्फ लग्न चार्ट पढ़ना बेमानी
जो व्यक्ति, सिर्फ लग्न चार्ट देखकर किसी व्यक्ति के बारे में घोषणा करता है तो उसकी भविष्यवाणियां सिर्फ 15% तक ही ठीक हो पाती हैं क्योंकि लग्न चार्ट यानि D-1 चार्ट में इतना ही बल होता है। अतः, हमें अपनी भविष्यवाणियों को सटीक करने के लिए, समान रूप से और चार्टों का अध्ययन भी साथ-साथ करना चाहिए जिससे व्यक्ति लाभान्वित हो सके।
बजरंगी धाम में, हम नई-नई जानकारियां देने की कोशिश करते हैं ताकि आपको जीवन से जुड़ी तमाम समस्याओं के हल मिल सकें। हम, इसी तरह नए-नए विषयों के साथ जीवन से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते रहेंगे।