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क्या होगा डाइवोर्स लाभकारी ?

विवाह में पति-पत्नी एक-दूसरे का सात जन्म तक साथ निभाने का वादा करते हैं। हालांकि, कई बार स्थितियां ऐसी बन जाती हैं, जिसमें दंपत्ति का साथ रहने से ज्यादा अलग हो जाना ही दोनों के लिए बेहतर होता है।
तलाक और लाभकारी? यह सुनने में भले ही अजीब लग सकता है, लेकिन, सच तो यह है कि कुछ परिस्थितियों में अलग होना भी स्वयं में लाभकारी होता है। हालांकि, ये लाभ दंपत्तियों और उनकी स्थितियों पर निर्भर करते हैं। साथ ही, सभी अलग होने वाले दंपत्तियों को लाभ की प्राप्ति हो यह भी आवश्यक नहीं है। ऐसे कई दंपत्ति होते हैं जो विवाह के उपरांत अपने जीवनसाथी के साथ सुखी नहीं रहते तथा मानसिक प्रताड़ना से लेकर शारीरिक शोषण तक का शिकार होते हैं। कई मामले तो घरेलू हिंसा तक से जुड़े होते हैं। इन स्थितियों के बावजूद समाज या लोग क्या कहेंगे? अलग होने पर कैसे गुजारा होगा? इस तरह के कारणों से वह न चाहते हुए भी साथ रहते हैं। ऐसे वैवाहिक संबंध व्यक्ति को सिवाए दुःख और दर्द के कुछ नहीं देते। इस विषय पर चर्चा करने से पहले यह समझना उचित रहेगा कि रिश्तों की मधुरता उनको निभाने और एक दूसरे के साथ तारतम्य बैठाने में है ना कि अलग होने में लेकिन, कभी-कभी अलग भी होना पड़ता है। 

पृथक होने वाली परिस्थितियां

कई बार व्यक्ति की कुंडली में विवाह को अच्छी तरह से चला पाने के बलिष्ठ योग नहीं होते। ऐसे में यदि व्यक्ति का विवाह, किसी ऐसे जीवनसाथी के साथ हो जाए जिसकी कुंडली में भी विवाह को ना चला पाने का प्रबल योग है तो इस स्थिति में घर कुरुक्षेत्र का मैदान बन जाता है और आए दिन नए विस्फोट सुनाई देते हैं। ऐसे में यदि दंपत्ति किसी सामूहिक परिवार में रहते हैं तो इन विपरीत परिस्थितियों का प्रतिफल, सभी अन्य पारिवारिक सदस्यों भी उठाना पड़ सकता है। ऐसे दंपत्तियों का बेमेल विवाह किसी अर्थपूर्ण परिणाम पर पहुंच ही नहीं पाता। इस स्थिति में, यदि दोनों की कुंडली यह बताए कि उनका जीवन, अकेले रहने पर कम कष्टमय होगा तो उनको पृथक कराने में ही लाभ होता है। 

मतभेदों के कारण 

मान लीजिए कि पति के पास प्रचुर मात्रा में पुश्तैनी जमीन-जायदाद है लेकिन, उसकी शैक्षणिक योग्यता पत्नी के समान या उससे बहुत कम है तो ऐसे में, दोनों के आचार-व्यवहार में कोई समरूपता ना होने के कारण, मतभेद होते रहने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं। 

या फिर कुछ परिस्थितियों में ऐसा होता है कि पत्नी का अपने पीहर के प्रति अत्यधिक झुकाव होता है, जिस कारण, वह अपने परिवार में सामंजस्य नहीं बिठा पाती या बिठाना ही नहीं चाहती। इसके अलावा, कुछ मामलों में ऐसा भी होता है कि विवाह से पूर्व की गई कुछ विशेष बातों में कोई सच्चाई ही नहीं होती। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक सबल व्यक्ति को निर्बल जीवनसाथी मिल सकता है या एक उन्मुक्त व्यक्ति को दब्बू जीवनसाथी। ऐसी सारी बातें यही इंगित करती हैं कि दोनों पाटों के बीच में मतभेद कभी भी समाप्त नहीं होगा और घरेलू कुरुक्षेत्र के मैदान में नित नए-नए शस्त्रों से एक दूसरे पर प्रहार होता ही रहेगा। 

कुंडली का उचित निरीक्षण

ऐसे में, कुंडली के भली-भांति निरीक्षण द्वारा यह समझना चाहिए कि आगे निर्वाह हो सकता है या नहीं। यदि आगे निर्वाह होने की संभावनाएं नहीं हैं तो दोनों का अपनी राह पृथक कर लेना ही श्रेयस्कर होता है। लेकिन, इस प्रकार की भविष्यवाणियां कभी भी एक की कुंडली पर आधारित नहीं होती बल्कि, इसमें दोनों जीवनसाथियों की कुंडली की आवश्यकता होती है। तभी एक सक्षम ज्योतिषी, इन कुंडलियों की पड़ताल करके उचित मार्ग सुझा सकते हैं। 

तलाक लाभकारी क्यों

कहने का तात्पर्य यही है कि कभी-कभी तलाक करने में भी लाभ होता है क्योंकि ऐसे में, दोनों व्यक्ति पृथक होकर अलग-अलग राह पर चल सकते हैं और फिर से अपना घर-संसार किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बसा सकते हैं, जिससे उनका मेल अच्छा हो। 

जैसा कि हमने बताया कि ऐसे बेमेल विवाहों को कुंडलियों के द्वारा देखा जा सकता है। इसके लिए, आप अपनी जन्मतिथि, जन्मस्थान, जन्म का समय आदि के साथ हमसे संपर्क कर सकते हैं, जिससे कि हम बता पाएं कि यह विवाह बेमेल तो नहीं है। इन परेशानियों के अत्यधिक विकट या क्लिष्ट हो जाने पर, आपको अवश्य ही हमसे संपर्क करना चाहिए अन्यथा, समस्या के प्रगाढ़ होने के बाद कोई भी कार्यवाही नहीं हो पाती।