मुख्य पृष्ठ वीडियो विवाह में शुक्र की भूमिका

सिर्फ शुक्र ही नहीं और भी होते हैं विवाह के कारक |

वैदिक ज्योतिष में, जन्मकुंडली में विवाह के लिए सातवां भाव मुख्य माना गया है और इस भाव पर ग्रहों के प्रभाव स्वरूप अनेक स्थितियां उत्पन्न होती हैं। विवाह की इस एक और कड़ी में, हम आपके सामने ज्योतिष के कुछ और राज खोलना चाहते हैं। कई ज्योतिष के विद्वान विवाह के सातवें और ग्यारहवें भाव, लग्न जैसे कारकों की पड़ताल करके, विवाह कैसा होगा कैसा नहीं होगा इस बारे में बतलाते हैं। लेकिन, विवाह के कारक सिर्फ शुक्र और बृहस्पति ही नहीं होते, बल्कि कई अन्य भी विवाह के कारक होते हैं। 

सामान्यतः, ज्योतिषियों द्वारा बताए गए बहुचर्चित उपाय

यदि आप, दस वर्षों के ज्योतिष ज्ञान के बाद दस वर्षों के अनुभव युक्त ज्योतिष से विवाह संबंधी वार्ता करते हैं तो सबके सब विवाह में लग्न और लग्नेश के साथ ही, सातवें भाव और सप्तमेश का भी भारी महत्व बताएंगे। कन्या के लिए तो, विवाह का कारक गुरु का भी महत्व हो जाता है और कुछ लोग जो इससे भी ज्यादा ज्ञानी होते हैं, वह नवमांश का भी वर्णन कर देंगे। जैसा कि हम सबको पता है कि यह सारी की सारी बातें बिल्कुल सही है और इसमें कोई दुविचार नहीं है। अधिकांश ज्योतिषी कुंडली के उपरोक्त बताए गए तथ्यों के साथ ही, कुछ ऐसे व्रत और पूजाएं बताते हैं जिनके लिए कुंडली देखने की भी आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण के लिए- मान लीजिए कि कोई कहता है कि सोमवार के व्रत कर लीजिए या सावन के सोमवार के व्रत कर लीजिए या बृहस्पति के व्रत या पूजा कर लीजिए, लेकिन अचंभे की बात कुछ यह है कि इन सबके एकमत रहने के बाद, इन बहुचर्चित उपायों को करने के बाद भी मामला जस का तस बना रहता है अर्थात युवक या युवती विवाह विहीन रहते हैं। 

विवाह संबंधी अन्य कारक 

तो क्या यह जो कथन बताए गए हैं यह गलत या त्रुटिपूर्ण हैं? नहीं, कदापि नहीं। यह गलत या त्रुटिपूर्ण नहीं हैं लेकिन इनमें कुछ ऐसी कमी है जो बिना अनुभव के समझ में नहीं आ सकती और जिन्हें हम आसान शब्दों में समझाने का प्रयास करेंगे। यदि विवाह नहीं हो रहा हो तो इसका मतलब है कि विवाह होने में कोई रोड़ा अटका रहा है यानि कोई उसको रोक रहा है। ऐसे में हमें यह देखना होता है कि कौन सा ग्रह है जो यह नहीं होने दे रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम उन्हीं ग्रहों को बलिष्ठ कर रहे हों, जो विवाह में अवरोधक हों। जी हां, यह संभव है। जरा कुंडली उठाइए और देखिए कि सातवां भाव/seventh house, सप्तमेश/seventh house lord, शुक्र/venus और कन्या/virgo के संबंध में बृहस्पति से कौन-कौन से ग्रह छठे, आठवें और बारहवें भाव में बैठे हुए हैं और परेशानियां उत्पन्न कर रहे हैं।

एक ज्योतिषी का प्रथम कर्तव्य, अवरोधों को ढूंढकर  उनको निर्बल करना ही है। छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित ग्रह जैसे ही निर्बल होंगे वैसे ही, विवाह के कारकों के बल में वृद्धि होती जाएगी जिससे व्यक्ति विवाहित हो जाएगा। जब उम्र की अवस्था गंभीरता की तरफ हो चुकी हो तो यह छोटे-मोटे सामान्य उपायों से बात नहीं बन पाती जिसके लिए किसी माहिर ज्योतिष के पास जाना ही पड़ता है। 

कुंडली की उचित जांच 

सिर्फ शुक्र ही नहीं और भी होते हैं विवाह के कारक या विवाह के अवरोधक, यह समझना ही पड़ेगा। इसके लिए, यह देखना की आवश्यकता होगी कि कौन-कौन हमें निर्बल कर रहे हैं या फिर, उनको अपनी कुंडली से बिल्कुल निकालना पड़ेगा या प्रभाव विहीन करना होगा।

अब तक जितने लोगों ने आपकी कुंडली देखी है, उनमें यदि यह गुण होता तो आप अब तक विवाह सूत्र में बंध चुके होते। जब आप आज तक विवाह सूत्र में नहीं बंधे हैं तो इसका मतलब यह है कि जो भी वह महानुभाव ज्योतिषी थे, वह आपके अवरोधों को नहीं समझ पाए इसलिए उनके पास दोबारा अपनी कुंडली ले जाकर अपनी परेशानियों को बढ़ाने के समान होगी। 

इसके लिए, आप अपनी जन्मतिथि, समय और जन्मस्थान के साथ हमसे संपर्क करके जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में कौन रोड़ा अटका रहा है और उचित तरीके से उन्हें कैसे दूर किया जाएगा तथा उनके उपाय क्या होंगे।