प्रेम विवाह क्या है सुख की कुंजी ?
प्रेम एक पवित्र भाव है और मनुष्य सदा प्रेम के लिए लालायित रहते हैं। अतः, जब किसी युवक और युवती के बीच प्रेम होता है तो वह एक साथ जीवन व्यतीत करने की इच्छा के चलते, विवाह करना चाहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पांचवां भाव प्रेम का भाव होता है और सातवां भाव विवाह का। पांचवें भाव/Fifth house का संबंध जब सातवें भाव से होता है तब दो प्रेमी विवाह सूत्र में बंधते हैं। प्रेम विवाह में कुंडली मिलानी/Horoscope matching in love marriage चाहिए या नहीं, इसका कोई सार्वभौमिक नियम नहीं है जो सब पर लागू हो। प्रत्येक व्यक्ति अपने संस्कारों, जीवन के प्रति दृष्टिकोण और सोच के अनुसार, इस विषय में निर्णय लेता है। हालांकि, प्रेमी चाहे कितने समय से भी एक-दूसरे को जानते हों, लेकिन वह केवल एक-दूसरे की अच्छी बातें ही जान पाते हैं और उनकी व्यक्तिगत बातें तो साथ रहने पर ही पता चलती हैं। इन्हीं कारणों के चलते आज इस लेख को लिखने और पढ़ने की आवश्यकता पड़ रही है।
प्रेम विवाह संबंधित समस्याएं
सर्वप्रथम बात तो यह है कि हम प्रेम विवाह के विरोधी नहीं हैं, अपितु, इस बात के पक्षधर हैं कि एक बार विवाह हो जाने पर उसमें दरार नहीं पड़नी चाहिए क्योंकि प्रेम विवाह के अनेक लाभ होते हैं, जैसे कि- होने वाले दंपत्ति एक दूसरे के आचार, व्यवहार, परिवार की आर्थिक स्थिति और कमियों के बारे में भली-भांति जानते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में इनसे संबंधित समस्याएं उत्पन्न नहीं होती। लेकिन, प्रेम विवाह में सबसे बड़ी अड़चन यह आती है कि यह होने वाले युगल कहीं एक-दूसरे को जानने का ढोंग तो नहीं कर रहे? या फिर उनका उद्देश्य विवाह तक ही तो सीमित नहीं है? इसके साथ ही, उन्हें विवाह के पश्चात की दुश्वारियों का भान ही नहीं होता और ना ही उनका समाधान करने का सामर्थ्य होता है।
यहां, आपको यह बात समझना अति आवश्यक है कि अभी तक भारत में प्रेम विवाह/Love marriage होना सामान्य बात नहीं है। ऐसे में, विवाह करने वाले युगल अदम्य साहस का परिचय देते हुए, इस साहस के कारण परिवार और समाज संबंधी विपरीत परिस्थितियों से भिड़ भी जाते हैं। लेकिन, विवाह के बाद आपसी मनमुटाव होने पर, इसी साहस के साथ वह अलग होने में भी शर्म महसूस नहीं करते। इन परिस्थितियों में, जैसे उन पर पहले भी समझाने वालों का कोई असर नहीं पड़ा था वैसे ही, अब भी समझाने वालों का कोई असर नहीं होता।
कुंडली का मिलान नहीं हो पाने के कारण होने वाले कष्ट
ऊपर बताए गई बातों का मतलब यह हुआ कि कुंडली में ग्रहों की चाल कुछ ना कुछ ऐसी तो होती है जो व्यक्ति को मनमानी करने के लिए उकसाती है और जब यह मनमानी विपरीत पड़ती है तो हर तरफ से परेशानियां बढ़ जाती हैं। बस, प्रेम विवाह में यही कष्ट है कि कुंडली का मिलान नहीं हो पाता और भविष्य में आने वाली, इस प्रकार की परेशानियों से व्यक्ति स्वयं को बचा नहीं पाता। यदि यह माना जाए कि प्रेम ना करने वाले व्यक्ति कम साहसी होते हैं तो वह विवाह के बाद भी, निभाने की चेष्टा करते हैं, क्योंकि उनके अंदर छोड़ने का साहस भी उतना ही कम होता है। अतः, हमारा आपको यही सुझाव होगा कि प्रेम भी करें और विवाह भी करें लेकिन, विवाह से पहले कुंडली की जांच अवश्य करा लें, जिससे विवाह के बाद आने वाले कष्ट न हों और जीवन सुगमता से व्यतीत हो सके।
अन्यथा, इन परिस्थितियों में होगा क्या? एक तिहाई जीवन कोर्ट में चक्कर काटते-काटते ही बीतेगा। यदि ऐसा हुआ तो फिर प्रेम विवाह सुख की कुंजी नहीं रहेगा बल्कि वह दुखों का अंबार जो आपके समस्त अच्छे योगों को बाधित कर देगा तथा अपनी शादी या विवाह के कारण, अपने प्रोफेशनल करियर की तरफ ना तो ध्यान दे पाएंगे और ना ही अपने जीवन की अन्य अच्छी चीजों को देख पाएंगे। ऐसा ना तो हम चाहते हैं और शायद ऐसा आप भी नहीं चाहेंगे। अतः, हमारा यही अनुरोध है कि प्रेम करने वाले प्रेम अवश्य करें लेकिन, अगर कहीं पर अपनी कुंडली दिखाकर यह जान लें कि उसमें क्या परेशानियां हो सकती हैं तो शायद आप, भविष्य को सही तरह से जीने का साहस प्राप्त कर सकते हैं।
अंत में, हम आपसे यही कहना चाहेंगे की प्रेम करें और प्रेम विवाह भी करें लेकिन, उससे पहले एक बार कुंडली की अवश्य जांच करा लें। अन्यथा, भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, आप टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, अमर उजाला आदि विभिन्न न्यूज़ पेपर में हमारे अन्य संस्करणों को पढ़ने के लिए, हमारी वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक करें क्योंकि उनमें भी, हमारे द्वारा ज्योतिष से संबंधित अत्यधिक रोचक बातें बताई गई हैं।