मुख्य पृष्ठ वीडियो सूर्य को तेज़ कैसे करें

पदवी मिलेगी यदि सूर्य होगा बली !!

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य आत्मा एवं पिता का प्रतिनिधित्व करता है। सृष्टि को चलाने वाले प्रत्यक्ष देवता और नवग्रहों के राजा सूर्य का प्रकाश सभी प्राणियों को जीवन प्रदान करके, उनका पालन-पोषण करता है इसलिए सूर्य को सूर्यनारायण भी कहा जाता है क्योंकि भगवान श्री नारायण को ही समस्त संसार का पालनहार कहा जाता है। चंद्र आदि ग्रह भी सूर्य से ही ऊर्जा लेकर प्रकाशित होते हैं इसलिए ज्योतिष में भी सूर्य को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को जगत की आत्मा और पिता का कारक माना जाता है। सूर्य के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सरकारी नौकरी, उच्च पद या स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं और आकांक्षाओं तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सूर्य को प्रसन्न करना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि सूर्य के मजबूत होने पर ही, महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति हो पाती है।

सूर्य, किसी भी कुंडली का प्राण होता है जो किसी भी व्यक्ति के भाग्य और किस्मत को बदल सकता है। यह अत्यधिक धन्य या शापित भी हो सकता है। इससे पहले कि आप इसकी सकारात्मकता से चूक जाएं या इसके नकारात्मक प्रभावों से कुचल जाएं उससे पहले, अपनी कुंडली पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी लेना उचित होगा।

प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रणेता सूर्य

लंबे हाथ, चौड़े कंधे, शहद रंग की आंखों वाला, तीक्ष्ण बुद्धि और सात्विक स्वभाव वाला, एक जगह अधिक देर तक ना ठहरने वाला, अच्छी आदतों वाला, बुद्धिमान, सदा सत्यवादी, दयालु व सिद्धांतों पर अडिग रहने वाला, गुरुओं के साथ ही ईश्वर का सम्मान करने वाला,  प्रभावशाली और दिलेर व्यक्तित्व यदि आपका मित्र हो जाए तो क्या कहना। सूर्य एक ऐसा ग्रह है, जिसके तेज के आगे सभी ग्रह नतमस्तक होकर प्रभावविहीन हो जाते हैं तथा जिसके पांचवें, छठे, सातवें या आठवें भाव में स्थित ग्रह वक्री हो जाते हैं। साथ ही राज्य, आत्मा, नेत्र और पिता का कारक यह ग्रह जो शक्ति, अति क्रूरता, धैर्य, मृत्यु, तपस्या, मस्तिष्क रोगों, पराक्रम और पूर्व दिशा का प्रणेता भी है। कुंडली में ऐसे व्यक्तित्व वाले ग्रह के मित्रवत हो जाने पर, कुंडली के लाख दोष भी बाल-बांका नहीं कर सकते क्योंकि सूर्य कठोर तो हो सकता है लेकिन अनिष्टकारी कदापि नहीं होता।

सूर्य के सकारात्मक गुण

सूर्य के पौराणिक गाथाओं से संबंध जानने से पूर्व, यह समझना चाहिए कि सूर्य क्या शुभ और क्या अशुभ कर सकता है। हड्डियों का कारक सूर्य आत्मा और पिता भी है जो आंखों और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है तथा सदैव ऊपर की दृष्टि और सोच रखता है। इसके अलावा, सूर्य सत्ता, उच्चासीन अधिकारी, सरकार, नेता व सरदार, सरकारी कृपा, प्रतिष्ठा व नियंत्रण की क्षमता का कारक भी होता है। अतः कुंडली में सूर्य के सकारात्मक होने पर अच्छे भाग्य की गारंटी हो जाती है तथा उच्च आकांक्षाएं, उदारता, प्रसन्नता, निष्ठापूर्ण  आचरण, आशावादिता आदि जीवन जीने के तरीके बन जाते हैं। सूर्य जितना बलिष्ठ होता है उतनी ही, आध्यात्मिकता होती है। साथ ही, एक बलिष्ठ सूर्य निरंतर सुगम जीवन का आश्वासन देता है। 

सूर्य के नकारात्मक गुण

वहीं, इस सकारात्मक सूर्य के अलावा यदि यह सूर्य हानिकारक हो जाए तो क्या होगा? ऐसे में, यह पिता से संबंधों को बिगाड़कर, निरंतर क्रोधित और घमंडी बनाता है तथा सरकारी दंड दिलाता है। साथ ही, मस्तिष्क संबंधी बीमारियां, टाइफाइड, हृदय रोग, बुखार देता ही रहता है। यदि इस परेशानी देने वाले सूर्य का संबंध किसी दूसरे राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे अनिष्टकारी ग्रह के साथ हो जाता है तो परेशानियां कई गुना बढ़ जाती हैं। 

सूर्य की शक्तियां

सविता नाम से भी माने जाने वाले अदिति के पुत्र, दो पत्नियों संज्ञा और निशुभा (छाया) के स्वामी सूर्य की बारह शक्तियां होती हैं-  इड़ा, सुषुम्ना, विशवार्चि, इंदु, प्रमर्दिनी, प्रहर्षिणि, महाकाली, कपिला, प्रबोधिनी, नीलाम्बरा, घनान्त और अमृता। इसका अर्थ यह हुआ कि कुंडली में सूर्य के बलिष्ठ होने या सूर्य को बलपूर्वक बलिष्ठ कर लेने पर, यह सभी शक्तियां आपके वश में हो जाती हैं। सात अश्वों से जुते, एक पहिए के रथ पर विराजमान सूर्यदेव, अपने निकट आने वाले अधिकांश ग्रहों को अस्त कर देते हैं अर्थात् यदि आप अपने अंदर सूर्य की शक्तियां समाहित कर लेते हैं तो आपके आस-पास स्थित ग्रह या लोग हल्के पड़ जायेंगे। आत्रेय ऋषि ने कहा है कि सूर्य, ना तो कभी अस्त होता है और ना ही उदय होता है और जब अस्त होता है तो पृथ्वी की उल्टी पृष्ठभूमि को प्रज्वलित करता है। ऋग्वेद में भी यह कहा गया है कि सूर्य अपने प्रकाश से चंद्रमा को तेजस्वी करता है। 

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य

आइए, अब हम ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य को वर्णित करते हैं। जहां सूर्य, कुंडली के पहले भाव अर्थात् स्वाभिमान और सेहत का कारक है और पांचवा भाव अर्थात् प्रसिद्धि का कारक है वहीं, नौवें भाव अर्थात् गुरु या पिता का कारक होने के साथ ही, दसवां भाव अर्थात् उपलब्धियों का भी कारक है। ऐसे में, कुंडली में सूर्य को ठीक कर लेने पर, सभी उपरोक्त बातें सही हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, किसी अन्य ग्रह से मेल होने पर सूर्य, कुंडली में कुछ योगों का भी निर्माण करता है जैसे- वेशी योग, वाशी योग, बुधादित्य योग, राजराजेश्वर योग, राजभंग योग, भात्रीनाश योग, पिता हानि योग, गूंगापन या हकलाना योग, सुन्दर भवन योग, सन्यास योग, तेजस्वी योग, श्रेष्ठ संपर्क योग, नृपतुल्य योग, बंध्या स्त्री योग, बहुपुत्र योग, प्रभावशाली योग, अधिकारी योग, पेट के रोग का योग, उत्तम घराने में विवाह का योग, पिता कीर्तिवन्ता योग डूबी रकम मिलने का योग, माता द्विवेशी योग, दुर्घटना योग, धनयोग, आजन्म रोगी योग, पैरों में चोट का योग, पिता से धन प्राप्ति योग तथा राजयोग आदि। इसके अलावा, जहां कुंडली में त्रिक भाव या बैरी भाव का स्वामी होने पर सूर्य, उपरोक्त बताए गए योगों में से किन्हीं कष्ट देने वाले योगों को दे सकता है वहीं, सुखी भाव का स्वामी होने पर सूर्य, उपरोक्त बताए गए योगों में से अच्छे योग दे सकता है या बल प्रदान कर सकता है।

सूर्य को बल प्रदान करने के लिए कर्म सुधार आवश्यक

अतः, लोग सूर्य को बलिष्ठ करने के लिए कई बड़े-बड़े उपाय तो करते हैं लेकिन, अपने कर्मों को ठीक करने के प्रयास नहीं करते। हालांकि, इन उपायों से परिणाम तो मिल जाते हैं लेकिन, लंबे समय तक चलने वाले फल नहीं मिल पाते और बाद में, धड़ाम से जमीन पर गिरा भी देते हैं जैसे- शोहरत मिलने के बाद जेलयात्रा, पद मिलने के बाद पद का छिन जाना, पद के दुरुपयोग द्वारा समाज में सम्मान खोना आदि। इसके लिए, उपायों के साथ ही कर्मों में भी सुधार करने की ठान लेने पर ही, वास्तव में ये परिणाम चिरयोगी हो पाते हैं। हमारे द्वारा, कई ऐसे फिल्मी सितारों की कुंडलियां देखी गई हैं जो एक-आध फिल्म करने के बाद लोप हो गए, ऐसे राजनेता जिन्हें जिल्लत का सामना करना पड़ा, ऐसे उच्चाधिकारी जो जेल में है या ऊंचे ओहदे वाले व्यक्ति जो भागते फिरते नजर आते हैं। इन सभी की कुंडली में सूर्य, बिना कर्मों को संभाले कुछ फल देकर कई समस्याएं देकर गए हैं। इसके विपरीत, हम ऐसे कई लोगों को भी जानते हैं जिनकी कुंडली में सूर्य ठीक नहीं था लेकिन, उन्होंने अपने कर्मों के द्वारा उन्हें बल प्रदान किया और आज वे समाज में नामी-गिरामी हैं।