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सरकारी नौकरी जाने के योग

ज्योतिष के इस लेख के माध्यम से आज कुछ ऐसे राज बताएंगे जिसके बारे में आप उत्सुक रहते हैं। हमारे पास आने वाले कई लोगों का एक प्रश्न होता है कि मुझे  सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं मिलेगी। आज हम इसी विषय से संबंधित चर्चा करेंगे और बताएंगे कि वो कौन-कौन से ग्रह या क्या दशायें होती हैं जिनकी वजह से आपको सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं या फिर अगर आप वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं तो कहीं ऐसा तो नहीं कि भविष्य में वह छूट जाये। ऐसे कौन से ग्रहों की क्या स्थिति होती है जो आपको नौकरी में विपत्ति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे कौन से  उपाय हैं जिनसे आप आने वाली विपत्तियों से बच पायें। साथ ही, बात करेंगे कि सिर्फ शनि ही क्यों सर्वाधिक कष्टदायी होता है? आखिर, इसका क्या कारण है? 

सरकारी नौकरी मिलने के योग 

आज तक शायद किसी ने सरकारी नौकरी जाने के योग के बारे में नहीं बताया होगा यानि यदि व्यक्ति की नौकरी सरकारी है तो वह टिकेगी या नहीं टिकेगी। बहुत सारे लोगों के ऊपर काफी गंभीर-गंभीर आरोप लगते हैं जिसके चलते, वे परेशान हो जाते हैं कि मेरी यह नौकरी  क्या यह रहने वाली भी है या नहीं रहने वाली है? आइए, जानते हैं। सरकारी नौकरी मिलने के जो योग होते हैं उसके अंदर सबसे अच्छी तरीके से D-60 चार्ट काम करता है जिसके अंदर, सबसे पहले हम यह देखते हैं कि लग्न का संबंध दशम भाव से है या नहीं। दूसरी बात यह कि सूर्य उसके अंदर भूमिका निभाता है या  नहीं तथा लग्न और दशम भाव दोनों के साथ ही, ग्यारहवें भाव से सूर्य का संबंध है या नहीं। यहां, हम D-1 चार्ट की बात नहीं करते बल्कि, हम D-60 चार्ट की बात करते हैं। हमने ऐसे कई राजपत्रित अधिकारी, आईएएस ऑफिसर देखे हैं जिनके D-1 चार्ट को देखकर लगता है कि अरे! क्या इनकी गवर्नमेंट जॉब भी लग सकती है? क्योंकि D-1 चार्ट से लगता ही नहीं कि उनकी सरकारी नौकरी लग भी सकती है। अतः, सरकारी नौकरी देखने के लिए जो चार्ट सबसे उपयुक्त होता है वो D-60 चार्ट ही होता है। 

सरकारी नौकरी जाने के योग

जहां, जॉब लगने के योग होते हैं वहीं, जॉब जाने के योग भी होते हैं जिनको देखना भी नितांत आवश्यक होता है। किसी कुंडली के अंदर, नकारात्मक और क्रूर ग्रहों द्वारा बारहवें और छठे भाव के अत्यंत बलिष्ठ हो जाने का मतलब होता है कि व्यक्ति की नौकरी छूट सकती है। इसके अलावा, एक योग होता है जिसे बंधन योग भी कहते हैं। यद्यपि, यह योग सूर्य और शनि का होता है लेकिन सूर्य और राहु का, सूर्य और केतु का भी एक योग होता है वो भी, बंधन योग की संज्ञा में आता है। D-60 चार्ट के अंदर कहीं इन योगों के मिलने के बाद, इनका संबंध D-10 चार्ट के साथ भी हो जाने पर, किन्हीं ग्रहों की दशाओं या अंतर्दशाओं के अंदर नौकरी जरूर छूट सकती है। अब, ये दशाएं कौन से ग्रह की होती हैं? नौकरी लग्नेश, षष्ठमेश और दशम भाव की दशा में छूट सकती है यानि ये ऐसे योग होते हैं जिनमें नौकरी जा सकती है। यहां, सवाल उठता है कि इसके अंदर कर्म सुधार कैसे काम करता है? बहुधा, लोग हमारे पास आकर कहते हैं कि हमारी कुंडली देखिए कि हमारी तरक्की कब होगी? हमारा ट्रांसफर कब होगा?  

तब हम उनकी कुंडली देखकर उनसे कहते हैं कि जो बात आप पूछ रहे हैं उसे भूलकर, सबसे पहले अपनी नौकरी को मजबूत करने की कोशिश कीजिए क्योंकि हमें आपकी नौकरी जाने के ही योग नजर आते हैं। जब हम, उनकी नौकरी जाने से संबंधित बातें उनको विस्तृत तरीके से बताते हैं तो यदि वे अपने अंदर बदलाव करते हैं तो यही कर्म सुधार का पूर्ण उद्देश्य होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति हमसे जो पूछना या जानना चाहता है वो, हम उसे पूर्ण रूप से नहीं बताते बल्कि, वो क्यों नहीं होगा या उससे पहले और क्या घट जाएगा वो, हम उसे बताते हैं साथ ही, उसको रोकने या संशोधन करने का तरीका बताया जाता है। यही कर्म सुधार है। 

इस बात को, एक चर्चित चैनल के लाइव प्रोग्राम के अंदर हमारे पास आई एक फोन कॉल के द्वारा समझते हैं। फोन कॉल पर एक सज्जन ने कहा- मैं बहुत दुखी हूं, क्या आप मेरी समस्याओं का हल निकालेंगे? मेरा परिचय इस प्रकार है-

जन्मतिथि- 22 जून 1974 
जन्मस्थान- बीकानेर 
समय- रात्रि 11:20 

इस आधार पर कुंडली बनाकर हमने उन्हें बताया कि   आपका लग्न सिंह और राशि, कर्क राशि आती है तथा कुंडली का दशम और छठा भाव बहुत पीड़ित है। इस समय आपने जो बातें कहीं हैं वो भी बिल्कुल सत्य हैं। आप बहुत पीड़ा के अंदर है। आप पहली बात यह बताइए कि कहीं आपको नौकरी से तो नहीं निकाला जा रहा? दूसरी बात, आपके ऊपर कोई गबन के आरोप तो नहीं है? आपने कहीं से कोई पैसे इत्यादि तो अपनी कार्यरत कंपनी में तो नहीं मारे हुए हैं? यदि ऐसी कोई बात है तो बताइए वरना, हम आपकी कुंडली को किसी और दृष्टि से देखते हैं। हमारे सवाल सुनकर उन्होंने कहा- जी, पंडित जी! मैं सरकारी कंपनी में नौकरी करता था। अभी कुछ समय पहले ही वह छूट गई है। बहुत कोशिश कर रहा हूं क्या वो नौकरी मुझे फिर से मिल पाएगी? उनकी बात सुनकर हमने उनसे पूछा कि  सबसे पहले आप यह बताइए कि आपकी जो सरकारी नौकरी, आरोपित होने के कारण छूटी है तो क्या आपके ऊपर कोई बहुत बड़ा आरोप लगा था जिसके कारण से जो आपकी नौकरी छूटी थी? क्या आपने कुछ ऐसा काम किया था जो गबन इत्यादि करने जैसा गैरकानूनी हो? इस पर उन्होंने जबाब दिया- जी, मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए हैं सब बेबुनियाद हैं। मेरा उनसे कोई लेना देना नहीं था। मुझे फंसाया गया है। अब, हमने उनसे विस्तार से पूछा- अच्छा, आप यह बताइए कि सन् 2006 में भी क्या आपके साथ ऐसा कुछ हुआ था? जरा याद करके बताइए। वो सज्जन बोले- हां जी, 2006 में भी ऐसा ही हुआ था लेकिन, मैं बच गया था। हमने और विस्तार से पूछा- पांच साल के बाद यानि 2011 में जून से लेकर दिसंबर तक भी क्या कुछ ऐसी बात हुई थी कि आप पर आरोप लगा था? उन्होंने कहा- हां जी, मैं 3 महीने के लिए सस्पेंड रहा था। 

अब, हमने उनसे कहा- यदि ऐसा है तो आप बहुत झूठ बोल रहे हैं। आप जो कह रहे हैं कि आप पर जो आरोप लगे हैं वो बेबुनियाद हैं तो आप गलत बोल रहे हैं। आपकी कुंडली बिल्कुल सही है क्योंकि हम यह देख रहे थे कि कहीं आपकी कुंडली गलत तो नहीं है। आप पर जो आरोप लगे हैं वो बेबुनियाद नहीं है। वास्तव में, आपने कुछ ऐसा काम किया है जो पकड़ में आ गया है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी कुंडली के अंदर ऐसी बात है कि आप यह काम करते तो नित्य हैं हालांकि, पकड़े केवल दो बार गए हैं। आपको जहां  मौका मिलता है आप कुछ न कुछ चोरी-चकारी करने की कोशिश करते हैं और उसके बाद, आप हमारे समक्ष बैठकर झूठ बोलने की हिमाकत भी करते हैं। यदि आप हमारे सामने झूठ बोलेंगे तो हम आपके लिए कोई उपाय कैसे करेंगे। पैसे की लोलुपता आपके सिर पर चढ़कर बोल रही थी लेकिन, अब जब आपको तनख्वाह भी नहीं मिल रही है तो अपना जीवन कैसे यापन करेंगे? क्या आप कुछ इस बारे में कहना चाहेंगे? हमारी ये सभी बातें सुनकर उन्होंने कहा- जी, इस बारे में तो और जो कुछ भी आपसे बोला है उसके बारे में सॉरी ही बोलना चाहूंगा। अब आप मेरे लिए कोई ना कोई उपाय बताइए। अब, हमने उन्हें बताया कि इसका उपाय थोड़ा क्लिष्ट है इसलिए जैसा हम कहते हैं वैसा चार महीने तक करिए।  पहली बात यह है कि रोज रात को 11 बार हनुमान चालीसा पढ़कर सोया करिए। दूसरी बात यह है कि सुबह शिवजी के मंदिर जाकर, शिवलिंग के ऊपर थोड़ा सा जल अर्पित करके आया करिए। यह काम चार महीने करिए उसके बाद फोन कीजिएगा। आपकी नौकरी बहाल हो जाएगी। आप चिंता ना करिए। 

उपरोक्त घटना में देखा कि अपने लिए व्यक्ति कितना शातिर होता है यानि लाभ ही लाभ लेना चाहता है और  लाभ लेने के लिए, यदि गुरु से भी झूठ बोलना पड़ जाए तो उससे भी वह बाज नहीं आता है। हम जब किसी व्यक्ति की कुंडली देखते हैं तो ऐसे ही, कर्मों में संशोधन  करने की कोशिश करते हैं। व्यक्ति, झूठ तो आराम से कहीं भी बोल देता है लेकिन, यह झूठ उस पर कहां-कहां भारी पड़ता है और जब परेशानी आती है तो वो अपने ही बुने जाल के अंदर फंस जाता है। जहां से निकालना ही, हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य होता है। अतः, आप भी अपनी कुंडली एक बार दिखाइए और देखिए कि हमारे द्वारा किस प्रकार से कर्म सुधार किया जाता है।

सिर्फ शनि ही क्यों है सर्वाधिक कष्टदायी

अब, एक और गंभीर बात पर चर्चा करते हैं। होता यह है कि हम अपने ऊपर आने वाली कई परेशानियों का दोषारोपण, शनि के ऊपर करना आरंभ कर देते हैं। करें भी क्यों ना क्योंकि शनि अपने गोचरवश और दशाओं में आने पर, अत्यधिक परेशानियां देता है। हमारे द्वारा देखा जाता है कि शनि के अधिकांश उपाय, लोग बिना कुंडली दिखाएं ही बता देते हैं क्योंकि उनको पता होता है कि शनि ही है जो सारी परेशानियों की एक जड़ है।
लेकिन, शनि के बारे में देखना चाहिए कि कुंडली के अंदर, शनि कौन-कौन से भावों का स्वामी है और वो किस-किस प्रकार से परेशानी दे सकता है। शनि के बारे में थोड़ी सी भ्रांतियां हैं जिसे हम बताना चाहेंगे क्योंकि हम, इन भ्रांतियों को आपके मन से निकालना चाहते हैं। शनि से लोग इसलिए डरते हैं क्योंकि शनि न्यायप्रिय है।  जब शनि की दशा आती है या वह गोचरवश किसी भाव में आता है तो वह उस भाव से संबंधित, व्यक्ति के किए गए कर्मों और सारे निर्णयों के लिए न्याय देना आरंभ करता है। जहां, अच्छे कर्म करने पर अच्छे फल प्राप्त होते हैं वहीं, बुरे कर्म करने पर बहुत बुरे फल प्राप्त होना शुरू हो जाते हैं क्योंकि शनि की भूमिका न्यायाधीश की  होती है। लोगों को लगता है कि यह सब शनि करता है बल्कि, शनि कुछ नहीं करता। यह सब व्यक्ति के अपने पहले किए गए कर्म होते हैं और शनि सिर्फ उनका फल दे रहा होता है। यहां देखने वाली बात यह होती है कि कुंडली में शनि जहां स्थित होता है वहां तो होता ही है। इसके अलावा उसकी तीसरी, सातवीं और दसवीं तीन दृष्टियां होती हैं और उसका दो राशियों पर स्वामित्व होता है। इसके साथ ही, शनि चार भावों का कारक होता है यानि कुंडली में बारह भावों में से, दस भाव शनि की गिरफ्त में होते हैं। हम सोचते हैं कि थोड़े से पाप कर लें, भगवान से तो बाद में निपट लेंगे और अभी तो हम पाप करके आगे निकल जाएंगे लेकिन, शनि के भाव को थोड़ा सा भी छेड़ना शुरू किया तो फिर, शनि आपको माफ नहीं करता। वह  उसी समय फल देता है। जैसे शनि धीरे-धीरे चलने वाला होता है वैसे ही, वह पीड़ा भी धीरे-धीरे देता है यानि उस पीड़ा की तीव्रता और अवधि बहुत लंबी होती है। फलत:, व्यक्ति अत्यंत परेशान हो जाता है।

शनि से बचने के उपाय

शनि से बचने का सबसे बड़ा उपाय यह होता है कि व्यक्ति को धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। हम, बहुत सारी बातें करते हैं और बच्चों को कई बातें सिखाते भी हैं लेकिन, स्वयं ही उस मार्ग पर नहीं चलते हैं। किसी से अनबन होने पर, उससे हम दुश्मनी निकालते हैं। किसी के भी बारे में भला-बुरा कहते हैं, बड़ों का आदर नहीं करते हैं। आजकल के युग में मांस-मदिरा का सेवन करना भी अच्छा माना जाने लगा है। ऐसे में, इन सब चीजों को छोड़ देने पर, धीरे-धीरे शनि आशीर्वादस्वरुप लाभ ही देगा। हानि नहीं देगा। अगर शनि, आपकी राशि में आया है तो उसका भोगकाल तो भोगना ही पड़ता है जो प्रत्येक की कुंडली के अंदर कहीं ना कहीं होता है। इस समय शनि का गोचर वृश्चिक राशि से होने के कारण, शनि मेष लग्न की कुंडली में अष्टम भाव से गुजर रहा है। ऐसे में, यदि इस लग्न वाले लोगों ने अपने खानपान में कोई भी संयम नहीं बरता होगा और 
मांस-मदिरा का अच्छा सेवन किया होगा तो समझ लीजिए कि शनि, उनकी सेहत के अंदर परेशानियां जरूर देगा और ज्यादा सेवन करने पर, ज्यादा परेशानियां देगा। इस समय वृषभ राशि या वृषभ लग्न में शनि सप्तम भाव से निकल रहा है। ऐसे में, यदि इस लग्न वालों को  अपने दांपत्य जीवन को निभाना नहीं आता है तो इस समय शनि न्याय करते हुए, उनके विवाह को छिन्न-भिन्न  भी कर सकता है तथा घर के अंदर बहुत अवसाद पैदा करके, बहुत परेशानी में डाल सकता है। कहने का अर्थ यह है कि चाहे कोई भी राशि या लग्न हो शनि, कहीं ना कहीं बैठकर न्याय संगत बातें कर रहा होगा और हो सकता है वो बातें आपको पसंद नहीं आ रही हों। 

यहां, हम बताना चाहते हैं कि अधिकांशतः, शनि का संबंध भावों से होता है। इसमें सबसे बड़ी बात यह होती है कि शनि अपनी तरफ से कभी भी दंडित नहीं करता है। दूसरे ग्रहों से मिलने वाली परेशानियां जो उस समय  सुख की अनुभूति देती हैं शनि, सिर्फ उनको ही दंडित करने की कोशिश करता है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के ऊपर, शुभ ग्रह शुक्र की दशा है और उस शुक्र की दशा के अंदर वह कई सारे ऐसे काम करने लग गया जो उसे आंतरिक रूप से अत्यधिक सुख प्रदान कर रहे हैं यानि वो व्यक्ति, वैभव के अंदर फंस गया। उस व्यक्ति को, दूसरों के ऊपर जो दान-धर्म करना चाहिए था वो नहीं कर रहा और उसने स्वयं के लिए बहुत सारी चीजों को एकत्रित करना शुरू कर दिया, दया और धर्म दोनों का मार्ग छोड़ दिया। हालांकि, शुक्र ने उसको यह सब कार्य करने के लिए विवश कर दिया और वह उसके चंगुल में फंस गया जिसमें उसे बहुत आनंद आ रहा है क्योंकि उसे यश की प्राप्ति हो रही है। नाना प्रकार की जगहों से पैसे मिलने आरंभ हो गए जिससे उसके सारे प्रयोजन पूर्ण हो रहे हैं। यहां, शनि व्यक्ति को तो कष्ट  देते ही हैं लेकिन, कुंडली में यदि ग्रहों ने कुछ अनिष्ट किया हो तो उनको भी कष्ट देने से बाज नहीं आते।  

बाली और शुक्राचार्य की कहानी

आपने बाली और शुक्राचार्य की कहानी सुनी ही होगी जिसमें भगवान विष्णु भगवान ने बालक का वेश धरकर, बाली से तीन पग धरती मांगी थी जिसे बाली ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया था कि हां, मैं इस बालक को तीन पग धरती दे दूंगा। लेकिन, शुक्राचार्य जानते थे कि यह कोई साधारण बालक नहीं है और यह विष्णु का रूप है। अतः, जिस जल के लोटे से बाली को प्रतिज्ञा देनी थी उस लोटे के मुख पर, शुक्राचार्य जाकर बैठ गए थे। जब विष्णु जी को यह बात पता लगी तो उन्होंने उसमें एक तिनका डालकर शुक्राचार्य की आंख को फोड़ दिया था और तभी से शुक्राचार्य एक आंख से काने होते हैं। 

यहां इस कहानी को बताने का तात्पर्य यह है कि शुक्राचार्य, शुक्र ग्रह हैं। जब शनि की दशा आती है या जब शनि प्रकोप में आता है तो ग्रह भी पीछे छूट जाते हैं यानि कि राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य भी, शनि से परेशानी में आने के बाद अपना अंग भंग करा चुके हैं तो बाकी ग्रहों की क्या बिसात होगी। कहने का मतलब यह है कि यदि हम अपने कर्मों को ठीक रखें, ज्यादा कुटिलता से ना सोचें, स्वयं को सहज करें तो हमारा जीवन अच्छा हो सकता है जिससे जब शनि अपनी दशाओं या अंतर्दशा   या गोचरवश, आपके सारे कर्मों का मूल्यांकन करने के लिए आएं तो उनको कोई ऐसी बात नजर ना आए जिससे उन्हें आपको दंडित करना पड़े या दंड देना पड़े। अतः, अपने कर्मों का संशोधन कराना नितांत आवश्यक है जो कोई साधारण ज्योतिषी नहीं कर सकता। यह वही ज्योतिषी कर सकता है जिसको पता हो कि आपके कौन-कौन से कर्म खराब हैं। उसके बाद, उसे इतना साहस हो कि वो आपको यह बता पाए कि आपको क्या ठीक करने की आवश्यकता है और कौन सी चीज वैसे ही रखनी है। अतः, एक बार बजरंगी धाम  आकर अपनी कुंडली दिखाइए। हम बताएंगे कि आपको कौन-कौन से कर्मों को संशोधित करने की आवश्यकता है और किन-किन से आपका काम ऐसे ही चल जाएगा।