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जाने आप मुआवजे के हकदार हैं या नहीं

 

ज्योतिष के इस लेख में हनुमान जी को वंदन करते हुए हम आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो कई लोग जानते  हैं और उसका दम भी भरते हैं लेकिन, वे बातें कुंडली में  कैसे देखी जाती हैं इसका शायद उनको पता नहीं होता है जैसे कि, आपको मुआवजा मिलेगा या नहीं मिलेगा, आप पैतृक संपत्ति के हकदार हैं या नहीं, ये संपत्ति या मुआवजा आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा आदि। कई लोगों को मुआवजा से संबंधित समस्याएं होती हैं जैसे-  कोई सी जमीन मिलने की संभावना होने पर, उन्हें वो मिलेगी या नहीं या फिर किसी प्रकार के मुआवजे को लेकर कोई कोर्ट केस फाइल करने पर, उसमें मुआवजा मिल पायेगा या नहीं आदि। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी कुंडली में मुआवजा मिलने का कोई योग ही न हो और आप व्यर्थ में उस केस पर पैसे खर्च कर रहे हैं। आइए, इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आपकी कुंडली के किस भाव से पता चलता है कि आप लाभ के हक़दार हैं या हानि के। साथ ही, ऐसे क्या उपाय करने चाहिए जिससे आप अपने प्रॉपर्टी केस को मजबूत कर पायें। चलिए, आज इसी विषय पर चर्चा करते हैं।  

कुंडली का अष्टम भाव होता है जिम्मेदार

कुंडली के कौन से भावों से ये बातें पता लगती हैं? इस संबंध में किसी ज्योतिषी से पूछने पर वह कहता है कि  पैतृक संपत्ति और मुआवजे के संदर्भ में हम अष्टम भाव देखते हैं क्योंकि अष्टम भाव से देखकर हम यह बता सकते हैं कि व्यक्ति को प्रॉपर्टी मिलेगी या नहीं मिलेगी। ज्योतिषी यह बात बिल्कुल ठीक बताते हैं क्योंकि  अष्टम भाव से ही, पैतृक संपत्ति और मुआवजा आदि मिलना या ना मिलना देखा जाता है। लेकिन, यहां बात यह होती है कि इसे सिर्फ D-1 चार्ट से ही नहीं देखा जाता बल्कि, ये इसके सपोर्टिंग चार्ट D-10 से देखा जाता है तथा D-9 चार्ट इसका दूसरा अस्त्र होता है फिर, D-12 चार्ट से देखा जाता है। सामान्यतः, अष्टम भाव का कारक शनि को माना जाता है जो बिल्कुल ठीक है लेकिन, शनि मृत्यु और आयु का निर्धारण करता है। परन्तु, जब हम प्रॉपर्टी और खासकर मुआवजे की बात करते हैं तो कारक बदल जाता है और गुरु कारक  हो जाता है। अब, देखने वाली बात यह होती है कि हम कौन से चार्ट को देखते हैं और उस चार्ट के भाव का  कारक कौन सा है। ऐसे में, यदि कोई इन सब बातों को पढ़ना ही नहीं जानता होगा तो वो कैसे बता सकता है कि व्यक्ति पैतृक संपत्ति का हकदार है या नहीं और उसको वो मिलेगी या नहीं मिलेगी।

कैसे मिले मुआवजा

यहां हम, हमारे पास आए एक फोन कॉल के माध्यम से इस बारे में जानने की कोशिश करते हैं इस कॉल में प्रश्नकर्ता, अपनी पैतृक संपत्ति के बारे में जानना चाह रहे थे। वे बहुत परेशान और समस्याओं से घिरे हुए थे। उन्होंने अपना परिचय इस प्रकार दिया-

जन्मतिथि- 9 मार्च 1971
समय- सुबह 4:20
जन्मस्थान- खानपुर

इस आधार पर कुंडली बनाकर हमने उन्हें बताया कि  जैसा आपने कहा कि आप बहुत परेशान हैं लेकिन, आपकी कुंडली देखकर हमें इतनी कोई परेशानी वाली बात नजर नहीं आती है। कुंडली सामान्य सी नजर आती है और कोई ज्यादा उतार-चढ़ाव नजर नहीं आते हैं। हांलाकि, आपके थोड़े से कुछ पैसे खोते हुए नजर आते हैं जैसे कि, आपके कुछ पैसे जाने वाले हैं। क्या आपके साथ कोई मुकदमा इत्यादि चल रहा है? या आपके ऊपर या आपने किसी पर मुकदमा कर रखा है? क्या ऐसी कोई बात है? इस पर उन्होंने जबाब दिया- जी, आप सही कह रहे हैं। समस्या यही है कि जमीन का मुआवजा लेने की बात चल रही है जिसके लिए मेरा एक केस चल रहा है। उन्होंने जमीन के मुआवजे को लेकर सरकार के ऊपर केस कर रखा था। हमने उनसे कहा- जैसा कि हमने पहले बताया कि आपके पैसे  खोते हुए नजर आ रहे हैं मतलब कि, मिलते नजर नहीं आ रहे हैं इसलिए मुआवजा मिलने की संभावना तो हमने पहले ही भंग कर दी क्योंकि हमें ऐसा दिखाई नहीं देता। हालांकि, यह नजर आता है कि आज से चार-पांच साल पहले आपको काफी अच्छा मुआवजा या काफी अच्छा पैसा मिला होगा लेकिन, अभी तो आपके पैसे जाते हुए ही नजर आ रहे हैं। ऐसे में, यह बात समझ नहीं आ रही कि चार-पांच साल पहले किस बात के पैसे आपको मिले होंगे और अभी आपके पैसे किस चीज में खोने वाले हैं? चूंकि, आपने मुकदमा भी कर रखा है तो क्या आप उस मुआवजे से संतुष्ट नहीं है? क्या पहले से ही आपने कुछ मुआवजा उठा रखा है? कहीं ऐसा तो कुछ नहीं है? हमारे सवालों के जबाब में उन्होंने बताया- गुरु जी, पहले एक बार मुआवजा मिला था लेकिन, वो सिर्फ मुझे ही नहीं मिला बल्कि, सभी को मिला था।  अब जबकि, दूसरी बार जमीन के रेट बढ़ गए हैं तो हमारा हक बनता ही है ना दोबारा मुआवजा लेने का। जब दोबारा सब ले रहे हैं तो हम भी लेंगे ना। 

उनकी बात सुनकर हमने कहा- अच्छा, यह बताइए कि जिसका आपको मुआवजा मिलना है वो क्या आपकी अपनी प्रॉपर्टी है? क्या उसके आप ही लेनदार हैं या दो, चार, पांच, दस लोग मतलब कि और नाते रिश्तेदार भी हैं क्या? उन्होंने बताया कि वे उस संपत्ति के अकेले ही मालिक हैं। अब, हमने उन्हें बताया कि आपके केस में  लाभ मिलने की स्थिति काफी कम नजर आती है और आपको मुआवजा अभी फिलहाल तो नहीं मिलता। दूसरी बात, पैसे जाने की जो बात हम आपसे कह रहे हैं  हो सकता है कि आपका वकील, केस के बहाने आपसे कुछ पैसे ऐंठ ले जिससे उस केस में आपके पैसे जा सकते हैं। साथ ही, ये पैसे मिलने की संभावना मुझे नजर नहीं आती इसलिए आप बहुत फूंक-फूंककर कदम रखिएगा और किसी काबिल वकील से अपने पर्चे बनवा लीजिएगा। बहुधा, वकील अपनी फीस के चक्कर में कहते हैं कि आपका केस बहुत मजबूत है आइए हम लड़ते हैं लेकिन, बाद में आपका समय लगता है और रोज कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं। अंत में, होता कुछ नहीं है तथा पैसे भी जाते हैं और समय भी निकल जाता है साथ ही, स्वास्थ भी हल्का होने लगता है। अतः, इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए काम करने की आवश्यकता है। अभी आपको पैसा नहीं मिलने वाला लेकिन, आप एक छोटा सा भूमि से संबंधित उपाय कर लीजिएगा। इसके लिए, सवा तीन रत्ती के सात गोमेद लीजिएगा जो बहुत सहजता से पूजा-पाठ की दुकान पर मिल जाते हैं। जिस जमीन का आपको मुआवजा चाहिए, शनिवार के दिन उस जमीन पर जाकर गड्ढा करके गाड़ दीजिएगा। ऐसा पांच शनिवार करने से, आपका केस मजबूत होना शुरू हो जाएगा। तो देखा आपने वो सज्जन कितनी बड़ी परेशानी में थे। हमारे बताने पर कि ये चीजें किस प्रकार से सिद्ध हो सकती हैं तब, उनको पता यह सब चीजों का भान हुआ।  

अष्टम भाव को जागृत करते समय सावधानी की आवश्यकता 

जब हमारे द्वारा उपाय बताए जाते हैं तो वो परिप्रेक्ष्य के अनुसार बताए जाते हैं। बहुधा, यह देखा जाता है कि शायद हम भविष्यवाणियों को 30-40% ही ठीक कर  पाएं लेकिन, उपाय इतने विपरीत बता दिए जाते हैं कि वो 30 या 40% की संभावना को भी समाप्त कर देते हैं जिससे यह संभावना घटकर 5% ही रह जाती है। यहां, हम आपको यह बताना चाहेंगे कि जब हमको अष्टम भाव को एक्टिवेट करना होता है यानि जब अष्टम भाव से लाभ लेना होता है तब हमें, बहुत ही बैलेंस तरीके से उपाय बताने चाहिए। आपको समझ आ ही रहा होगा कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं क्योंकि अष्टम भाव, मृत्यु का भाव भी होता है और जब हम संपत्ति लेने के लिए उसको जागृत कर रहे होते हैं तब, उसके साथ-साथ उसका दूसरा कारक तत्व यानि आयु को निर्धारित करने वाला भाव भी जागृत हो जाता है। किंचित्, ऐसा ना हो कि हम कोई ऐसा उपाय कर दें जिससे शायद हमको पैतृक संपत्ति मिलने में तो सहूलियत हो लेकिन, हमारी उम्र या स्वास्थ्य में भारी गिरावट आरंभ हो जाए। अतः मुआवजे और पैतृक संपत्ति मिलने या ना मिलने की बात करते समय, इस बात का बोध रहना चाहिए कि हम अपने अष्टम भाव को जागृत करने की चेष्टा कर रहे हैं और इसके लिए हम जो भी उपाय करते हैं उसके बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट्स भी होते हैं इसलिए इसके अंतर्गत, अत्यंत सावधानीपूर्वक बढ़ना चाहिए अन्यथा, हमको नुकसान हो जाता है।