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व्यवसाय संबंधी समस्याएं

कुंडली में, नौकरी या बिज़नेस का करियर चयन ‌ संबंधित ज्ञान भी होता है। हमारे पास ऐसे कई व्यक्ति आते हैं जिनकी समस्या होती है कि नौकरी करें या बिज़नेस? और जिनको यह नहीं पता होता कि उनकी कुंडली में नौकरी योग है या नियोक्ता योग। यहीं से उनके जीवन में परेशानी आनी शुरू हो जाती है। ऐसे में, उन्हें क्या करने से लाभ होगा? और उनकी कुंडली में किसका योग है? क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति बिना कुंडली दिखाये बिज़नेस प्रारम्भ कर देते हैं लेकिन, कुंडली में नौकरी का योग होता है जिससे उन्हें अपने बिज़नेस में हानि उठानी पड़ती है। कहीं आप कर्ज़ लेकर बिज़नेस तो नहीं करना चाह रहे? क्या आपका दशम भाव इसकी इजाजत देता है? कहीं पार्टनरशिप में बिजनेस तो नहीं करना चाह रहे? आइये, इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि नौकरी या बिज़नेस करने से पहले, कुंडली का आकलन क्यों आवश्यक होता है। ज्योतिष संबंधी इस लेख में हनुमान जी के आशीर्वाद के साथ, ज्योतिष के इस अनूठे विषय पर हम आपकी समस्याओं और शंकाओं को दूर करेंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि वैदिक ज्योतिष की ऊर्जा क्या है  और उससे आपका जीवन किस प्रकार से परिवर्तित हो जाता है। कर्म सुधार और बिजनेस का अंतर्संबंध क्या है? साथ ही, बिजनेस करने वाले लोगों की परेशानियों को दूर करने की चेष्टा करेंगे।

जब हम बिजनेस को देखने की कोशिश करते हैं तो हम दशम भाव को देखने की चेष्टा करते हैं कि व्यक्ति का कर्म भाव कैसा है। व्यक्ति बिजनेस करने पर, लालसा भी रखेगा यानि ग्यारहवें भाव से अच्छी आमदनी होनी चाहिए। साथ ही, अच्छा धन अर्जित करने पर, उसको संचित करके भी रखना होगा यानि द्वितीय भाव भी  देखना चाहिए। इसके अलावा, बिजनेस के लिए व्यक्ति की मनोदशा को भी देखना होता है जिसका लग्न से पता चलता है। कहने का अर्थ यह है कि द्वितीय भाव, लग्न, ग्यारहवें और दशम भाव को देखने के साथ ही, कर्म भाव का कर्म भाव यानि कि दशम भाव से दशम भाव को देखना भी बहुत जरूरी होता है। यहां, दशम भाव के पूरक भाव चतुर्थ भाव को भी देखा जाता है  कि कहीं बिजनेस करने से, व्यक्ति के परिवार में कोई परेशानी, व्याधि या मनमुटाव तो नहीं होगा। इसके साथ ही, ग्यारहवें भाव के पूरक पंचम भाव को भी देखा जाता है। ऐसे में, व्यक्ति के इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होने पर कि वह बिजनेस के सिवा कुछ नहीं करेगा तो उसके इन सब भावों के अंदर, कर्मों में संशोधन करने की आवश्यकता होती है। यहां, कर्म सुधार बताता है कि उसे इन सब भावों के अंदर क्या-क्या संशोधन करना पड़ेगा जो इस प्रकार हैं-

• व्यक्ति को अपने स्वभाव में क्या संशोधन करना है। 
• अपने संचित धन के भाव में क्या संशोधन करना है।
• जो बिजनेस करते हैं या करने की चेष्टा कर रहे हैं उसके अंदर क्या संशोधन करना है।
• आमदनी के भाव के अंदर क्या संशोधन करना है।      
• चतुर्थ भाव के अंदर क्या संशोधन करना है।
• पंचम भाव के अंदर क्या संशोधन करना है।

कर्म सुधार कराने की आवश्यकता

आखिर, यह संशोधन क्या होता है? मान लीजिए, कोई व्यक्ति किसी भी चीज का बिजनेस करता है लेकिन, उसकी कुंडली के हिसाब से यह करना उपयुक्त नहीं होने के कारण, उसको बदलना ही संशोधन होता है। मान लीजिए, कोई व्यक्ति बहुत सारा लोन लेकर बिजनेस करता है और बिजनेस के अंदर लोन लेकर लाभ न होने की घोषणा है तो इसको बदलना ही संशोधन है। कोई व्यक्ति अपने पार्टनरशिप के बिजनेस को प्रमोट करने की कोशिश करता है लेकिन, कुंडली में ऐसे योग नहीं होने पर, उसको ठीक करना ही संशोधन है। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को समय रहते हुए यह बताया जाए कि उसे किस-किस चीज को छुना चाहिए और किस-किस चीज को बिल्कुल त्याग देना चाहिए, ये सब संशोधन के अंदर आता है। इसके अलावा, बहुधा लोग जड़वत हो जाते हैं और उनकी बुद्धि पंगु हो जाती है जिससे वे उससे आगे  सोचना और समझना ही नहीं चाहते हैं। ऐसे में, बुद्धि द्वारा सही रूप से काम कराना, हमारी बातों को सही प्रकार से समझना और उसके अनुरूप काम करना ये भी संशोधन की संज्ञा में आता है। बिजनेस ठीक करने या बिजनेस ठीक नहीं करने के दोनों मामलों के अंदर, व्यक्ति को अपने कर्मों में सुधार कराने की आवश्यकता होती है क्योंकि हो ना हो परेशानी उनको आकर घेर सकती है। हमारे द्वारा एक बार कर्मों को संशोधित कर देने पर, जीवन बहुत अच्छा हो जाता है। यहां पर, हम एक ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करना चाहेंगे जिसके कर्मों को हमारे द्वारा संशोधित किया था क्योंकि इस उदाहरण से आप बहुत लाभान्वित हो सकते हैं। 

व्यक्ति का नाम- गिरीश
जन्मस्थान- नागलोई
जन्मतिथि- 17 फरवरी 1971   
समय- सुबह 3:15 बजे 

इस आधार पर कुंडली बनाकर हमने उन्हें बताया कि हमने आपकी जो कुंडली बनाई है उसमें हमें धन संबंधी  दिक्कतें नजर आती है। हमें लगता है कि आप किसी से कम ब्याज पैसा लेकर, आगे ज्यादा ब्याज पर देते हैं जिसमें आपको, अपना पैसा वापस नहीं मिलता इसलिए आप उसके ब्याज पर लिए गए पैसों को वापस नहीं कर पाते हैं। अब, आप उसके अंदर फंस गए हैं।  हो सकता है कि शुरू में आपको काफी मजा आता हो कि आपने एक-दो टके पर ब्याज पर लिया और आगे 

3-4 टके पर दे दिया लेकिन, बाद में आपका पैसा फंसना शुरू हो गया और इस समय आप बहुत बुरी तरह से फंसे हुए हैं। इस पर उन्होंने कहा- जी, मेरी यही समस्या है। उनकी समस्या जानकर हमने उनसे कहा- यह ब्याज का काम सबसे अधम काम माना जाता है।  हम इसके अंदर बहुत मन से काम करते हैं और सोचते हैं कि इसकी टोपी उसके सिर रख देंगे और उसकी टोपी किसी और के सिर रख देंगे और हमारा काम चल जाएगा। मानो भगवान तो जैसे कुछ देखते ही नहीं हैं लेकिन, जब व्यक्ति पर उनकी दृष्टि टेढ़ी होकर पड़ती है   तो सारा का सारा काम ध्वस्त हो जाता है। इसके अलावा, सबसे बड़ी बात यह है कि आपकी कुंडली के अंदर बंधन योग है। आप दो-चार महीने के अंदर जेल भी गए थे क्या? हमारे यह पूछने पर उन्होंने बताया-जी हां, पंडित जी गया तो था लेकिन, जल्दी छूट कर आ गया क्योंकि केस कुछ ज्यादा बड़ा नहीं था। यह पैसे वगैरह के चक्कर में ही जिससे पैसा ले रखा है उसी ने,  हवालात की हवा खिलाई थी। उससे कुछ पुरानी लेन-देन थी। 

हमने उनसे कहा- अब, आप स्वयं को बहुत फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो पैसा आपने लोगों से ले रखा है वो वापस कैसे होगा और जिसको आपने दे रखा है वो कैसे आएगा। ऐसे में, यदि आप आज यह संकल्प लेते हैं कि आपने जिससे पैसा ले रखा है उसे लेकर वापस कर देंगे तभी हम, आपको कुछ उपाय बताएंगे जिससे आप निकल तो जाएंगे लेकिन दोबारा इस काम को मत कीजिएगा वरना, फिर फंस जाएंगे। यदि आप यह संकल्प लेते हैं कि मैं आगे से इस काम को नहीं करूंगा तभी हम उपाय बताएंगे। एक बात याद रखिएगा कि संकल्प लेने के बाद यदि संकल्प भंग करते हैं तो बहुत ज्यादा परेशानी में फंसते हैं। हमारी बातें सुनकर, उन्होंने कहा- मैं संकल्प लेता हूं आप उपाय बताइए। उनके संकल्प लेने के बाद हमने उन्हें उपाय बताया कि आप, शुक्ल पक्ष में गुरुवार के दिन अपने घर में एक श्रीखंड मणि और एक धनाढ्य मणि की स्थापना कीजिएगा और यदि आप स्वयं ना कर पाएं तो किसी कर्मकांडी को बुला लीजिएगा और स्थापना कर लीजिएगा। इसके बाद, अपने द्वारा कमाए हुए धन से मंगलवार के दिन छोटा सा भंडारा करना शुरू करके, गरीबों के खाना खिलाना शुरू कीजिए और ऐसा 11 बार कीजिए। इन दोनों कामों को करने से आपको दो महीने के अंदर बहुत अच्छा फायदा मिलने लग जाएगा। उसके बाद, फोन करके बताइएगा कि आपको क्या लाभ हुआ। देखा आपने वो व्यक्ति कितना कुटिल और लालची था। हालांकि, हर कोई होता है लेकिन, यदि लालच का आंकड़ा एक लेवल से ऊपर बढ़ जाता है तो वो व्यक्ति को नुकसान की तरफ भेजने लगता है। 

जब हमने उनकी कुंडली देखी और उनके कर्मों को करेक्ट करने की कोशिश की तो वह लाभ के अधिकारी बने। यहां हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि बाद में वो व्यक्ति, हमसे व्यक्तिगत रूप से आकर जुड़े और छः-सात महीने के अंदर उनके जीवन में काफी अच्छा परिवर्तन आ गया। वो जिस तरीके से बिजनेस करते थे उसको, चेंज किया जिससे उनका जीवन लाभ की तरफ बढ़ने लगा। अतः, हम आप सभी से आवाहन करते हैं कि आपको भी आकर, अपने कर्मों को दुरुस्त कराना चाहिए और संशोधन कराकर और देखना चाहिए कि कौन सी चीज आपके हित में है और कौन सी चीज अहित में क्योंकि ऐसी बहुत सी चीजें हो सकती है जिनको यदि हम संशोधित कर दें तो आपका जीवन  काफी अच्छा होना शुरू हो जाए और आप ईश्वरीय  कृपा के प्रार्थी हो जाएं। जब हम बिजनेस और कर्म सुधार की बात करते हैं तो इसके अंदर, हमको बहुत सारी चीजें देखने की आवश्यकता होती है। 

नौकरी या बिज़नेस योग/ Employee or employer yoga 

सबसे पहले तो हमको यह देखना होता है कि व्यक्ति की कुंडली के अंदर, बिजनेस करने का योग है या नौकरी करने का योग है। बिजनेस करने का योग होने पर, कुंडली स्पष्ट रूप से कहती है कि व्यक्ति की कुंडली के अंदर नियोक्ता होने का योग है। कुंडली के नौकरी योग का धारक कहने पर, व्यक्ति को कदापि बिजनेस नहीं करना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में बिजनेस करने के लिए, व्यक्ति को अपने नीचे कुछ लोग रखने होंगे लेकिन, कुंडली ऐसी घोषणा नहीं करती जिसके फलस्वरुप, उसको नुकसान हो जाएगा। D-1 चार्ट जो बातें कहता है यदि उन बातों की उद्घोषणा D-9 चार्ट करता है तभी वो बातें संभव होती हैं। हमने देखा है कि कई ज्ञानी लोग भी D-1 चार्ट देखते ही नहीं है। वे सिर्फ D-9 चार्ट देखने के बाद ही, सब बातें कहते हैं क्योंकि उन सारी बातें की, आपकी आत्मा उद्घोषणा कर रही होती है। जबकि, जब हम किसी व्यक्ति के कर्म भाव का  बारीकियों से विश्लेषण करते हैं तो D-10 चार्ट के माध्यम से करते हैं। D-10 चार्ट बाकी सारी चीजों को तो देखता ही देखता है लेकिन, बिजनेस के स्वरूप के बारे में भी बहुत अच्छे तरीके से बताता है इसलिए  D-10 चार्ट की भी बहुत उपयोगिता होती है। फिर एक और चार्ट होता है D-15 चार्ट जिसके बारे में लोगों को कम जानकारी होती है। यह एक सेकेंडरी चार्ट होता है  जो व्यक्ति के साहस को सूचित करता है कि व्यक्ति  कितना बलिष्ठ या बलवान हो सकता है। कोई निर्णय लेने पर व्यक्ति के बल की चर्चा करना नितांत आवश्यक होता है और D-15 चार्ट बिजनेस के बल को देखता है इसलिए इस चार्ट को भी देखा जाता है। कहने का मतलब यह है कि हम व्यक्ति के इन चार्टों को देखने के बाद, फिर हम कई सारी थ्योरी लगाते हैं कि यह थ्योरी इस में काम करती है या नहीं करती है जिससे हम यह जान पाते हैं कि व्यक्ति को कैसा बिजनेस करना चाहिए, कब करना चाहिए और कब करना श्रेयस्कर होगा। करना श्रेयस्कर होगा भी या नहीं होगा? साथ ही, जैसा सबसे पहले बताया था कि यह व्यक्ति की बाकी चीजों को दुरुस्त करता है या नहीं करता है।

यहां पर, हम एक छोटी सी चर्चा और करना चाहेंगे कि क्या होता है कि जहां, हम बहुत सारी चीजों को देखते हैं वहीं, कुछ चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। वो चीजें कौन सी होती हैं इसी से संबंधित यह एक छोटा सा उल्लेख है। यदि हमारी कुंडली में कोई योग नहीं बन रहा है तो इस स्थिति में, बहुत सारी परेशानियां होती हैं तभी कोई योग नहीं बन रहा होता है। लेकिन, क्या उस योग के नहीं बनने में हम लोग भी दोषी होते हैं? क्या हम स्वयं भी कुंडली में कोई योग नहीं बनने में बाधक होते हैं? इन सवालों के जवाब में, सबसे पहले हम यह कहना चाहते हैं कि किसी भी कुंडली में हम यह नहीं कह सकते कि ये योग क्यों नहीं बनता है क्योंकि, किसी भी कुंडली में कोई ना कोई योग का थोड़ा-बहुत, लेशमात्र या कुछ अंश जरूर उपलब्ध होता है। हालांकि, हो सकता है कि उसका प्रतिशत कम हो या सिर्फ पांच-दस प्रतिशत का ही बल उसके अंदर हो या हो सकता है कि किसी  कुंडली के अंदर नब्बे प्रतिशत तक योग बनता हो। 

क्या हम स्वयं दोषी होते हैं? के जवाब में हम यह बताना चाहेंगे कि ऐसी बहुत सारी कुंडलियां होती है जिनके अंदर विवाह या संतान या फिर किसी और चीज का बहुत प्रबल योग होता है यानि कि जो योग होता है  उसके होने की संभावना 70, 80 या 90 प्रतिशत तक होती है लेकिन, फिर भी अब तक वो योग फलित नहीं होता है। इसके पीछे कारण यह होता है कि व्यक्ति विशेष, अपने क्रियाकलापों से उस योग को भंग कर देते हैं। इसको समझने के लिए मान लीजिए कि विवाह सूत्र में बंधे एक युगल के दांपत्य जीवन को कुंडली के जरिए   देखने पर पता चलता है कि संतान के लिए, उनका योग   2016, 2017 और 2018 के अंदर काफी प्रबल बैठता है और 2019 के अंदर उस योग की सबलता कम हो जाती है क्योंकि लड़की की सेहत खराब हो जाती है। अब, 2020 में लड़की ठीक हो जाती है लेकिन, लड़के की सेहत खराब हो जाती है और 2021 में, वो लड़का बाहर चला जाता है और कुछ समय के लिए लड़की अकेली रह जाती है। 2023-24 के अंदर भी इसी प्रकार के कोई और घटनाक्रम बनते रहते हैं। इस स्थिति में, कुंडली के अंदर संतान का योग तो प्रबल था लेकिन, वो दंपति निर्णय लेता है कि अभी संतान 3 वर्ष नहीं करनी है क्योंकि हमारे पास अपना मकान नहीं है या अभी हम सही से नौकरी नहीं करते हैं या फिर हम पहले अपने घर को थोड़ा सा और सबलता और सुदृढ़ता की तरफ ले जाएं उसके बाद, हम बच्चा करेंगे। ऐसे में, होता यह है कि हम स्वयं यानि लग्नेश बाधक बन जाता है और बच्चे के योग को छिन्न-भिन्न करना आरंभ कर देता है। तीन वर्ष के बाद जब उनको लगता है कि अब वह समय आ गया है कि वे अपने परिवार का विस्तार कर सकते हैं तब उस लड़की के जीवन में परेशानी आनी आरम्भ हो गई क्योंकि वो बीमार पड़ी। 2020 के अंदर लड़का बीमार पड़ा और उपरोक्त  जानकारी के अनुरूप काम होने शुरू हो गए जिससे योग का जो समय था उस समय को, अपने हाथ से निकाल दिया और स्वयं ही पीछे पड़कर, समय को  2025 या 2027 कर लिया। इस समय तक दंपत्ति का मन इतना ज्यादा परेशान हो जाता है कि वे किसी बात पर विश्वास नहीं करते क्योंकि वो कई डॉक्टरों और  ज्योतिषियों के पास गए होते हैं। बहुत सारे उपाय किए होते हैं लेकिन, फिर भी लाभ नहीं होता। मान लीजिए, अब 2025 या 2026 के अंदर जब दोबारा योग बनने की संभावना पैदा होती है तब तक उनका मनोबल टूट जाता है और वो सही प्रकार से काम नहीं कर पाते हैं।

निष्कर्ष
अतः, हम यह कहना चाहेंगे कि जब भी जीवन के अंदर कुछ ठीक करना हो या कोई विस्तार करना हो तो आपको, अपनी कुंडली को दिखाना चाहिए कि योग के अंदर कौन-कौन बाधक है और उस बाधा को कैसे समाप्त करना है। आप समझ ही गए होंगे कि बिजनेस करने पर, इस योग को दिखाना कितना जरूरी होता है। कहीं ऐसा ना हो कि हमने बहुत सारी चीजें बचाकर और सहेजकर रखी हों और बहुत धन-संपदा भी कमा ली हो लेकिन, ऐसा ना हो कि हम राजा से रंक की तरफ बढ़ रहे हो इसलिए इस योग को देखना भी बहुत जरूरी होता है। यहां, जानने वाली बात यह है कि यह  योग प्रत्येक कुंडली के अंदर होता है यानि हानि को लेने का योग हर कुंडली के अंदर होता है। बिजनेस करने वालों ने इसकी अनुभूति की होगी कि कभी-कभी वे बहुत अच्छा कमाते हैं लेकिन, कभी-कभी ऐसी दशाएं आती हैं कि उनके हाथ से बहुत कुछ निकल जाता है हालांकि, लग्न मजबूत होने पर वो संभल जाते हैं और फिर से अच्छा कमा लेते हैं।

इस प्रकार से कुंडली को देखना बहुत जरूरी होता है कि कहीं यह राजा से रंक का योग फलित ना हो जाए और ऐसा फलित ना हो जाए कि दोबारा समाप्त ही ना हो। ऐसे कई लोग देखे हैं जो इस योग को बिना देखे ही,  बहुत बड़ी-बड़ी भविष्यवाणियां कर देते हैं कि तुम्हारा ऐसा अच्छा होगा या वैसा अच्छा होगा लेकिन, एक समय ऐसा आता है कि उनके हाथ से सब कुछ निकल जाता है। अतः, आपको भी इस योग को जरूर दिखाना चाहिए कि यह योग कितना बलिष्ठ है और यह कब-कब नकारात्मक यानि दुष्परिणाम दे सकता है क्योंकि जब यह दुष्परिणाम देगा उस समय, इसको रोकना बहुत जरूरी होता है ताकि हम इसके प्रकोप से बच सकें। यदि हम इसके प्रकोप से बच जाते हैं तो लाभ के अधिकारी हो जाते हैं अन्यथा, यह योग यदि फलित हो जाता है तो अत्यधिक नकारात्मकता आ सकती है। 

ऐसे में, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आप बिजनेस करते हैं तो आप भी, कहीं राजा से रंक ना हो जाए। आप जिस किसी को भी अपनी कुंडली दिखाएं, इस योग की चर्चा उससे जरूर कीजिएगा। यदि यह योग है तो कैसे कटेगा और कैसे भंग होगा? इसकी चर्चा भी आपको करनी चाहिए और इसके लिए जो उपाय बताए जाते हैं उनको जरूर करना चाहिए।