मुख्य पृष्ठ वीडियो बहु विवाह योग

हर कुंडली में होता है बहु विवाह योग।

प्राचीन काल में भारत में एक से अधिक विवाह प्रचलित होने के कारण, राजा-महाराजा व धनी व्यक्ति अनेक विवाह किया करते थे। धार्मिक दृष्टि से भी, देवगण अनेक अप्सराओं से विवाह करते थे वहीं, भगवान राम के पिता राजा दशरथ की तीन रानियां थी। महाभारत काल में भी जहां, द्रौपदी के पांच पति थे वहीं भगवान श्रीकृष्ण की अनेक रानियां थीं। परंतु, आधुनिक युग में एक से अधिक विवाह के प्रचलन पर रोक लगा दी गई। भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत, एक हिंदू व्यक्ति का जीवनसाथी के ज़िंदा रहते अथवा बिना विवाह संबंध विच्छेद किए दूसरा विवाह नहीं किया जा सकता। 

दार्शनिक दृष्टिकोण अनुसार एक से अधिक विवाह होने के संतान का न होना, मनपसंद जीवनसाथी का न होना, आकर्षण में कमी, मानसिक संगति न होना, यौन संगतता की कमी, पारिवारिक अनबन आदि जैसे अनेक तर्कसंगत कारण होते हैं। परंतु, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार एक से अधिक विवाह के अनेक कारण होते हैं। यहां हम ज्योतिष के दृष्टिकोण से चर्चा करेंगे कि व्यक्ति किन कारणों से एक से अधिक विवाह करता हैं। 

बहु-विवाह योग (multiple marriage yoga)

कुंडली में अनेक विचित्र योग देखने को मिलते हैं उनमें से एक बहु-विवाह योग भी है। बहुविवाह एक ऐसा योग है जिसमें कोई व्यक्ति एक से अधिक व्यक्तियों से विवाह करता है। किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का सटीक विश्लेषण करके आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्या व्यक्ति एक से अधिक विवाह करेगा और करेगा तो किन परिस्थितियों में करेगा। आइये इससे संबंधित  ग्रह योगों को समझने की चेष्टा करते हैं। प्रत्येक कुंडली में बहु-विवाह योग (multiple marriage yoga) होता है। भले ही, आप सोचते होंगे कि मेरा तो एक ही विवाह हुआ है और अब शायद होगा भी नहीं। लेकिन, अचंभे की बात यह है कि यह कुंडली में अवश्य ही होता है। कुंडली में बहु-विवाह को जानने के लिए, पराशर ऋषि द्वारा दिए गए कुछ योगों के सूत्रों  को अविवादित रुप से माना जाता है। 

बदलते परिप्रेक्ष्य में बहु-विवाह के कारण

हमारे समाज की संरचना के पुरुषों के पक्षधर होने के कारण, जिस युवक की कुंडली में यह योग होता है वह और उसके माता-पिता पुलकित होते हैं कि मेरे पुत्र की कुंडली में कई विवाह के योग हैं वहीं, जिस युवती की कुंडली में यह योग होता है वह और उसके माता-पिता चिंतित और परेशान रहते हैं। लेकिन, इस बदलते परिप्रेक्ष्य में कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी। पहले, तलाक के बाद दूसरा विवाह नहीं होता था बल्कि, जब दंपत्ति में दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती थी तभी यह मान्य होता था। लेकिन, बदलते परिप्रेक्ष्य में कई बातों के चलते, युगल कई कारणों से अलग हो जाते हैं जैसे- आपस में मन का ना मिलना, शारीरिक क्षमता का ना होना, घर का बेमेल होना, किसी और के साथ संबंधों की शंका होना, समर्पण भाव का ना होना आदि जितने भी विवाह भंग होने के नए-नए कारण बन गए हैं उतने ही, नए-नए योग बहु-विवाह को इंगित करते हैं। 

बहु-विवाह योग निर्माण के सात कारण 

इन बातों को समझने के लिए उदाहरण लेते हैं- पहले सामान्यतः, पीड़ित सातवें भाव के साथ ही पीड़ित बारहवां भाव बहु-विवाह योग दर्शाता था लेकिन अब, हमारे संज्ञान में ऐसी कई कुंडलियां हैं जिनका केवल ग्यारहवां भाव ही पीड़ित होने के कारण, उनके एक से अधिक विवाह हुए। हालांकि, सातवें भाव की पीड़ा की मात्रा पहले, दूसरे या तीसरे विवाह की ओर इशारा करती है अर्थात् सातवां भाव जितना पीड़ित होगा उतने ही ज्यादा विवाह होंगे। अब ऐसा देखने में आता है कि कम पीड़ित सातवें भाव या सातवें भाव पर बृहस्पति और शुक्र जैसे अच्छे नक्षत्रों की पड़ने वाली दृष्टि वाले लोगों के भी, दूसरी या तीसरी बार विवाह करने का क्या अभिप्राय होता है? कुंडली में विवाह की गुणवत्ता देखने के लिए सातवां भाव, सप्तमेश, द्वादश भाव, द्वादेश के साथ ही, कारक शुक्र और गुरु और नवमांश कुंडली होती है। अब इन सभी सातों कारणों में से प्रत्येक व्यक्ति का कोई ना कोई कारण, किसी न किसी तरीके से पीड़ित होता है जो बहु-विवाह योग का निर्माण करता है। ऐसे में, यह व्यक्ति की बुद्धिमत्ता पर निर्भर करता है कि वह इससे कैसे पार पा सकता है या यह ही व्यक्ति को पार लगा देता है।

कर्म-सुधार और लग्न संशोधन की आवश्यकता 

इस स्थिति में कर्म-सुधार (Karma correction) और लग्न का संशोधन करना अति आवश्यक होता है जिसमें हम आपकी मदद कर सकते हैं। आप सभी को इस बात को समझना आवश्यक है कि सातवां भाव या उसका अधिपति या कारक थोड़ा सा भी पीड़ित होने पर, बहु-विवाह योग की ओर इशारा करते हैं। ऐसे में, दूसरे व्यक्ति (जीवनसाथी) की कुंडली का भी बड़ा महत्व होता है क्योंकि वहां से भी इस बहु-विवाह योग को बल प्राप्त होता है। यदि आपको भी ऐसा लगता है कि आपकी अपने पार्टनर के साथ ठनक रही है तो आपको अपनी कुंडली का अवलोकन अवश्य ही कराना चाहिए क्योंकि हो ना हो आपकी कुंडली में यह बहु विवाह योग अवश्य होगा जिसे हम फलने नहीं देंगे लेकिन, यदि एक तलाक हो चुका है तो हम इसे फलाने की चेष्टा करेंगे।