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मंगल दोष की भ्रांतिया

भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जन्मकुंडली में मंगल दोष को मांगलिक दोष भी कहा जाता है जिसके विषय में लोगों में एक भ्रम की स्थिति बनी रहती है। आज हम मांगलिक दोष की इन्हीं भ्रांतियों के ऊपर चर्चा करेंगे जो आपकी इस भ्रम की स्थिति से बाहर निकलने में मदद करेगा। मंगल दोष के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं तथा विवाह संबंधी मामलों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में रहते हैं। मांगलिक होने पर कितने ही रिश्ते हाथ से निकल जाते हैं कि कहीं दोनों व्यक्तियों में से कोई मांगलिक तो नहीं है लेकिन, आप लोगों को मंगल दोष के नाम पर भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। इसी भ्रामक स्थिति को दूर करने के लिए ही, आज इस दोष पर बात करते हैं।

कुंडली में मंगल दोष का निर्माण/Formation of Kundli dosha in birth chart

सर्वप्रथम हमें यह जानने की आवश्यकता होती है कि जन्मकुंडली में मंगल किस भाव, किस राशि और कौन से ग्रहों के साथ स्थित है। कई लोग, कुंडली के पहले और दूसरे भाव में मंगल के स्थित होने पर व्यक्ति को मांगलिक मानते है। साथ ही, चौथे भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति को मांगलिक की संज्ञा दे देते हैं तथा सातवें भाव में मंगल बैठा हो तो भी उसे मांगलिक माना जाता है। इसके अलावा, आठवें भाव में स्थित मंगल को बहुत बड़ा मांगलिक कहा जाता है तो बारहवें भाव में मंगल के स्थित होने पर भी कहा जाता है कि व्यक्ति पर मंगल दोष लगा हुआ है। अब, यदि पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भावों में स्थित मंगल को मांगलिक मान लिया जाए तो क्या इस दुनिया में 50% (आधे लोग) या प्रत्येक दूसरा व्यक्ति मांगलिक होगा। यह बात अपने आप में ही गलत प्रतीत होती है। 

शक्ति का बोधक और समस्त चीजों को नियंत्रित करने वाला मंगल क्या इतना खराब हो सकता है कि लोग उससे भय खाने लगें? मंगल विपरीत रुप से बली तब होता है अर्थात् व्यक्ति तब मांगलिक होता है जब उपरोक्त भावों में मंगल अपनी शत्रु या घोर शत्रु राशि में स्थित हो। साथ ही, यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि कई मामलों में मंगल के इन भावों में स्थित होने पर भी, व्यक्ति मांगलिक नहीं होता क्योंकि मंगल के अपनी नीच या उच्च राशि, स्वग्रही और मित्र राशि में होने पर व्यक्ति को मांगलिक दोष नहीं लगता अर्थात व्यक्ति मांगलिक नहीं होता। जहां, मंगल के अपनी बुध की मित्र राशि कन्या में स्थित होने पर मांगलिक दोष नहीं होता वहीं, उपरोक्त भावों के साथ ही शनि की कुंभ  और सूर्य की सिंह राशि में मंगल के होने पर ही व्यक्ति को मांगलिक दोष होता है। यदि इस प्रारूप को माना जाए तो इसके अनुसार, मांगलिक दोष वाले व्यक्तियों की संख्या जो 50% से घटकर तीन या चार प्रतिशत रह जाती है अर्थात् प्रत्येक सौ में से तीन या साढ़े तीन लोग ही मांगलिक दोष की संख्या के अंतर्गत आते हैं। 

वैवाहिक दृष्टि से मंगल दोष संबंधी भ्रम/Importance of Mars in Marriage

वैवाहिक दृष्टि से देखा जाए तो, एक मांगलिक व्यक्ति और दूसरे गैर मांगलिक व्यक्ति का विवाह संभव है क्योंकि गैर मांगलिक व्यक्ति के तीसरे, छठे और ग्यारहवें उपचय भावों में सूर्य, राहु, केतु, स्वयं मंगल या शनि जैसे क्रूर ग्रहों के स्थित होने पर, वह कुंडली मांगलिक कुंडली या मंगल दोष का परिहार कर सकती है। आज के आधुनिक समय में देखने की बात यह है कि दोनों में से कौन मांगलिक है और कौन मांगलिक नहीं है। अगर एक मांगलिक है तो क्या दूसरी कुंडली उसका परिहार कर पाती है या नहीं, यह देखना अत्यंत आवश्यक होता है। 

अंततोगत्वा देखा जाए तो, 1% कुंडलियां ही मांगलिक होती हैं। अतः, यह भ्रम अपने मन से निकाल देना चाहिए कि मैं स्वयं मांगलिक हूं या दूसरा मांगलिक है। इसके साथ ही, कुंडली की उचित जांच करानी चाहिए। किसी परेशानी का अनुभव होने पर, आप हमारे यहां भी कुंडली की जांच करा सकते हैं कि व्यक्ति मांगलिक है या नहीं। आप जिस व्यक्ति के बारे में जानने के इच्छुक हैं उसका नाम, जन्मतिथि, समय और स्थान के साथ कुंडली का आकलन करा सकते हैं। हम निश्चित तौर पर बताएंगे कि आप मांगलिक हैं या नहीं और यदि हैं तो क्या उपाय करना चाहिए कि आपका विवाह शीघ्र हो जाए या फिर क्या विवाह के अंतर्गत, यह मंगल आपके लिए कष्टकारी रहेगा या नहीं।