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पुनर्वसु नक्षत्र - कायाकल्प का नक्षत्र

 

पुनर्वसु नक्षत्र / Punarvasu Nakshatra वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में से 7 वां नक्षत्र है।

 

पुनर्वसु नक्षत्र क्या है? / What is Punarvasu Nakshatra?

पुनर्वसु नक्षत्र नाम दो शब्दों, पुनर् और वासु से मिलकर बना है, जिसमें पुनर् का अर्थ है- पुनरावृत्ति, वापसी, बहाली, पुनःपूर्ति, कायाकल्प, या नवीनीकरण, जबकि वसु 'वसुत्य पवन शक्ति' का अर्थ है। इसे आप उपचारात्मक नक्षत्र भी कह सकते हैं।

 

वसुत्य के रत्नों, आभूषणों और संपत्तियों की विरासत होने के कारण, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पुनर्वसु नक्षत्र / Punarvasu Nakshatra के जातकों में उद्देश्यों को प्राप्त करने की महान क्षमता होती है जिसके परिणामस्वरूप, वे धन-संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं।

 

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पुनर्वसु नक्षत्र के विभिन्न अर्थ / Different Meaning of Punarvasu Nakshatra

वसु का अर्थ प्रकाश की किरण भी होने के कारण, पुनर्वसु का अर्थ है- प्रकाश की किरण की वापसी। इसे 'प्रकाश की किरण की वापसी' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पुनर्वसु नक्षत्र आर्द्रा नक्षत्र / Ardra nakshatra में सफल होता है। आर्द्रा नक्षत्र के गर्जन और तूफान द्वारा बर्बादी मचाने पर, पुनर्वसु नक्षत्र गर्जन का पीछा करते हुए स्थिरता की पुनरावृत्ति करके फिर से जीवन लाता है। 

 

पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी - अदिति / Lord of Punarvasu Nakshatra - Aditi

पुनर्वसु नक्षत्र की देवी पृथ्वी की माता अदिति हैं, जिन्हें प्रचुरता देने वाली और आकाश की असीम सीमा कहा जाता है और वही बारह आदित्य या वर्ष के बारह सौर महीनों की माता भी हैं।

 

पुनर्वसु नक्षत्र की पौराणिक कथा / Mythology of Punarvasu Nakshatra

भगवान श्रीराम का चंद्रमा और लग्न पुनर्वसु नक्षत्र में था, जिनके कई लक्षण इस नक्षत्र के लक्षण होने के संकेत हो सकते हैं।

 

इस पौराणिक कथा का प्रयोग कैसे करें? / How to use this Mythology?

  1. इस नक्षत्र से संबंधित लोग, बड़े परिवारों या बड़े समूहों से जुड़े होते हैं।
  2. पुनर्वसु नक्षत्र / Punarvasu Nakshatra में होने वाली घटनाएँ हमेशा जोड़े में घटित होती हैं। नक्षत्र का यह जुड़वां पहलू बहुत प्रमुख है, क्योंकि इसके पहले प्रयास में लोग गिरते हैं या असफल होते हैं, लेकिन दूसरे प्रयास में उनकी जीत अवश्य होती है। 
  3. सप्तमेश और सप्तम भाव से जुड़ा होने पर :

इस नक्षत्र / Nakshatra के सप्तमेश से संबंधित होने पर वैवाहिक कलह होने के परिणामस्वरूप पुनर्विवाह की प्रबल संभावना होती है। समझने की बात यह है कि अगर पहली शादी गलत हो जाती है, तो दूसरी शादी फल-फूल सकती है।

 

इस नक्षत्र को समझने वाले अन्य बिंदु / Other points to understand about this Nakshatra

  1. दसवें भाव के स्वामी / Tenth house lord के इस नक्षत्र से संबंधित होने पर, पहली नौकरी में संतुष्टि नहीं मिलने पर दूसरी नौकरी निश्चित रूप से संतुष्टि देती है।
  2. सुरक्षात्मक क्षमता, बागवानी, कृषि, बच्चों और नाती-पोतों की देखभाल करना इस नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए लाभकारी होगा।
  3. पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति, छुपी हुई प्रतिभाओं के द्वारा ऊर्जाओं का संग्रह कर सकते हैं। 
  4. यह लोग छिपे हुए संग्रह से ऊर्जा नहीं मिलने तक निष्क्रिय रहते हैं।

 

वामन, अदिति और महिषासुर की पौराणिक कथा / The Mythology of Vamana, Aditi, and Mahishasura

अदिति के गंधर्व पुत्रों को शक्तिशाली असुर, महिषासुर ने उनके राज्यों से निकाल दिया था। अदिति भगवान विष्णु के पास मदद के लिए गईं। विष्णु ने उन्हें शांत किया और उनके गर्भ से जन्म लेकर मदद करने का वादा किया।

 

फिर, अदिति से वामन का जन्म हुआ, जिसने असुर से युद्ध करके उसे मार डाला और गंधर्वों को उनका राज्य वापस दिलाया। यही है पुनर्वसु अर्थात विनाश के बाद का नया सवेरा।

 

इस पौराणिक कथा का प्रयोग कैसे करें? / How to use this Mythology?

पुनर्वसु नक्षत्र के प्रबल प्रभाव वाले लोगों की सबसे छोटी संतान, अप्रत्याशित विजेता की तरह आश्चर्यचकित रूप से उनका बचाव में करेगी।

 

पुनर्वसु नक्षत्र के प्रतीक / Symbol of Punarvasu Nakshatra

इस नक्षत्र / Nakshatra के दो प्रतीकों का मानव जीवन से उनके  संबंधों और प्रभावों को नीचे बताया गया है:

  1. पुनर्वसु नक्षत्र से संबंधित प्रतीक धनुष और कभी न खत्म होने वाले तीरों का तरकश है। जिस प्रकार कितने ही तीर चलाने पर वह वापस तरकश में ही आ जाते हैं, उसी प्रकार यह धनुष और कभी न खत्म होने वाले बाणों का तरकश, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की कभी न खत्म होने वाली ऊर्जाओं का संकेत देता है। 
  2. पुनर्वसु नक्षत्र / Punarvasu Nakshatra से संबंधित अन्य प्रतीक, आराम और पुनरावृत्ति के संबंध वाला निवास या घर है। रियल एस्टेट, रेस्तरां, पुनर्विकास, पुनर्निर्माण, नवीनीकरण, पुरातत्वविद् और होटल जैसे सभी व्यवसाय इस नक्षत्र से संबंधित हैं।
  3. इसके अलावा, पुनर्वसु नक्षत्र से अत्यधिक प्रभावित  व्यक्ति घर से कार्य करते हैं। इसके एक 'चर' नक्षत्र होने के कारण, लोग मोबाइल व्यवसाय में हो सकते हैं। यात्रा करते समय घर जैसा आराम पाने के लिए, ये अपना तकिया, चप्पल आदि ले जाना पसंद करते हैं। 
  4. पुनर्वसु नक्षत्र के व्यक्ति, तमाम उपलब्धियों के प्राप्ति के बाद ही घर वापस आने की कोशिश करते हैं। यह बहुत ही लाभकारी नक्षत्र / Nakshatra है इसलिए नींव रखना, नौकरी बदलना या करियर बदलना इस नक्षत्र में सहायक होता है।
  5. इस नक्षत्र के जातक, विशेष रूप से बच्चों के लिए महान दूरदर्शी, ज्योतिषी और एक अच्छे लेखक हो सकते हैं।

 

पुनर्वसु नक्षत्र से संबंधित वृक्ष / Tree associated with Punarvasu Nakshatra:

इस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष एक बांस का पेड़ है। बांस के वृक्ष की उम्र आश्चर्यजनक रूप से लंबी होती है इसलिए लंबी उम्र के लिए एक प्रभावी उपाय यह है कि मिट्टी के बर्तन में बांस लाकर उसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखा जाए। यह संबंधों में भी वृद्धि करता है।

 

पुनर्वसु नक्षत्र के विषय / Themes of Punarvasu Nakshatra

इस नक्षत्र के मुख्य विषयों परिवर्तन की नवीनता, दृष्टि और परिवर्तन की अनुकूलताओं के, इस नक्षत्र के लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  1. उद्यमी, अन्वेषक, विवेकी और उच्च शिल्प विज्ञानी। 
  2. चमत्कारी रूप से अत्यधिक काल्पनिक। 
  3. होटल, रियल एस्टेट पुनस्र्त्थान, और नवीनीकरण।
  4. समाजसेवी
  5. परिस्थितिविज्ञानशास्री, रक्षा और पुनर्चक्रण करने वाले। 
  6. संरक्षण
  7. पुरातत्व
  8. जलवायु परिवर्तन और जलवायु उद्धार।
  9. वायलिन वादक और गिटारवादक जैसे संगीतकार।

 

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे कुछ प्रसिद्ध हस्तियां / Some Famous Personalities born in Punarvasu Nakshatra

उपरोक्त विषयों और विशेषताओं के आधार पर, बहुत से लोग अपने समय में बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

शकीरा, शिंजो आबे, फुटबॉल के दिग्गज पेले, महर्षि रमन्ना, भारतीय कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण आदि।

 

पुनर्वसु नक्षत्र की नाड़ियों के अनुसार सक्रियता / Activation of Punarvasu Nakshatra as per Nadis

नाड़ियों के अनुसार, पुनर्वसु नक्षत्र व्यक्ति के जीवन काल में अलग-अलग समय पर सक्रिय होता है जो इस प्रकार हैं:

  1. ३० वें वर्ष की आयु में, पुनर्वसु नक्षत्र पांचवें और सातवें  भाव में सक्रिय होता है।
  2. 40वें वर्ष में यह नक्षत्र / Nakshatra पुनः सक्रिय हो जाता है।
  3. 86 वें वर्ष में यह खुद को लागू करता है।

अध्ययनकर्ताओं को वैदिक ज्योतिष / Vedic astrology के इन सामान्य दिशानिर्देशों को, चार्ट पर बहुत विवेकपूर्ण ढंग से लागू करना चाहिए। जातकों पर इनके विशिष्ट प्रभावों को समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है।

 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुनर्वसु नक्षत्र के जातक व्यवसाय से जुड़े होते हैं और सफल रहते हैं। ऐसे लोगों में जन्मजात व्यावसायिक गुण होते हैं और वे होटल और रेस्तरां, यात्रा और पर्यटन से संबंधित व्यवसाय में विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे लोगों की अध्यात्म और व्यापार ज्योतिष में भी गहरी रुचि होती है।

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