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मृगशिरा नक्षत्र - एक खोज नक्षत्र का प्रतीक है

वैदिक ज्योतिष के कुल 27 नक्षत्रों में से मृगशिरा / mrigashira nakshatra 5वां नक्षत्र है। मृग + सिरा का अर्थ  है- हिरण का सिर, जो एक सौम्य (मृदु) नक्षत्र भी है।  हिरण एक (तीव्र, चित्तीदार, भटकने, तलाश करने, खोजने वाला) चंद्र जानवर है इसलिए मृगशिरा नक्षत्र में भी ऐसे ही कुछ विशेषताएं होती हैं।

 

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मृगशिरा नक्षत्र क्या है और इससे संबंधित पौराणिक कथाएं / What is Mrigashira Nakshatra and its Mythology

अन्य नक्षत्रों के विपरीत इस नक्षत्र / Nakshatra की कई पौराणिक कथाएं निम्न प्रकार हैं:

 

मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ी पहली पौराणिक कथा / 1st Mythology Associate with Mrigsira Nakshatra

सीता माता के स्वर्ण मृग की इच्छा करने पर भगवान राम स्वर्ण मृग को लेने गए थे। भगवान राम की सभी समस्याओं का मूल कारण स्वर्ण मृग ही था। प्रमुख मृगशिरा नक्षत्र वाले लोगों की, जीवन में स्वर्ण मृग के पीछे जाने की प्रवृत्ति होती है। प्रमुखता से हमारा मतलब है कि जब इस नक्षत्र में लग्न, चंद्रमा या लग्नेश स्थित होते हैं। स्वर्ण मृग एक कायांतरित सादृश्यता है जिसका अर्थ इच्छा होती है।

 

इस पौराणिक कथा का उपयोग कैसे करें / How to use This Mythology

  1. मृगशिरा का संबंध वैवाहिक जीवन में समस्याओं/Problems in married life से है।
  2. यह अनुचित संदेह और एक गलतफहमी का नक्षत्र भी होता है।

 

मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा / 2nd Mythology Associate with Mrigsira Nakshatra

शिव और पार्वती का विवाह मृगशिरा नक्षत्र / Mrigashira Nakshatra में हुआ था। उनका वैवाहिक जीवन आरंभ से ही कष्टप्रद था, लेकिन यह समय के साथ सहज होता गया। इस प्रकार, इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति पर इसका प्रभाव अलग अलग होता है:

  1. वैवाहिक जीवन की शुरुआती समस्याएं बाद जीवन सुचारू रूप से चल सकता है।
  2. मृगशिरा नक्षत्र को ऋषियों ने शक्ति और ऊर्जा शक्ति की आदिम देवी के रूप में देखा, जो भगवान शिव की सहचरी देवी उमा या पार्वती है। इसलिए, मृगशिरा नक्षत्र अभिव्यक्ति (शिव-शक्ति) का आरंभ है।

 

मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ी तीसरी पौराणिक कथा / 3rd Mythology Associate with Mrigsira Nakshatra

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी के देवी सरस्वती के प्रति झुकाव (सगोत्रगामी) रखते हैं। यह जानकर देवी सरस्वती एक मादा हिरण का रूप धारण किया और आकाश में चली गई, ब्रह्मा जी ने भी एक हिरण का रूप धारण किया और आकाश में उनका पीछा किया।

इन कथाओं के आधार पर ही इस नक्षत्र को कई नाम दिए गए हैं जैसे - 

  1. खोजी सितारा, शिकारी, पीछा करना, उत्सुकता और खोजना।
  2. इसके साथ ही मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति, अभिशप्त होने पर भी परिणामों की चिंता नहीं करते। 

 

'सोम' मृगशिरा नक्षत्र / Mrigashira Nakshatra पर शासन करता है। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति आत्मा की खोज के नए अनुभव, बहुआयामी प्रकृति की तलाश, निरंतर आगामी सोच, जल्दी थकान और सुस्ती वाले होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र अत्यधिक प्रतिबिंबित मामलों के कारण अत्यंत संदिग्ध होता है। 

 

सादृश्यता / An analogy

चंद्रमा के मृगशिरा नक्षत्र में गोचर करने का समय अग्नि यज्ञ करने के लिए सबसे उत्तम होता है। 

 

चतुर्थ पौराणिक कथा दक्ष का भव्य यज्ञ / 4th Mythology The grand Yagna of Daksha

रुद्र के ससुर दक्ष द्वारा भव्य यज्ञ आयोजित किया गया था जिसको रुद्र और वीरभद्र के एक रूप महाकाली द्वारा तहस-नहस कर दिया गया था।

 

इस पौराणिक कथा का उपयोग कैसे करें / How to use this Mythology

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे लोगों के द्वारा, बिना उचित सावधानी के जीवन यज्ञ करने या नश्वर आचरण का पालन करने के परिणामस्वरूप, उन्हें कई परीक्षणों और जीवन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और रूद्र उनके जीवन के यज्ञ को रोकने और तहस-नहस करने वाले हैं।

 

बृहस्पति, सोम और तारा की 5वीं पौराणिक कथा / 5th Mythology of Brihaspati, Soma, and Tara

बृहस्पति की पत्नी तारा के सोम (चंद्रमा) के साथ भाग जाने के बाद, ब्रह्मा जी के हस्तक्षेप के कारण तारा अपने न्यायसंगत पति बृहस्पति के पास वापस आ गई थी।

 

इस पौराणिक कथा का उपयोग कैसे करें / How to use this mythology

  1. जीवनसाथी के बीच तनावपूर्ण संबंध।
  2. प्रेमी का दूर जाना और फिर वापस लौट आना। 
  3. पलायन।
  4. पत्नी को वापस पाने के लिए लड़ना।

 

मुख्य विषय-वस्तु, मृगशिरा नक्षत्र के लक्षण / Main Themes, Traits of Mrigsira Nakshatra

इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का मुख्य लक्षण यह है कि वह समाज के नियमों का पालन नहीं करते।  वह ऐसे सिर काटे जाने वाले कार्य करते हैं, जैसा कि शिव जी ने ब्रह्मा जी के साथ किया था। ब्रह्माजी का पांचवां सिर, शिव जी ने तब काट दिया जब ब्रह्माजी, हरिण के रूप में, अपनी पुत्री उषा या सरस्वती का आकाश में पीछा कर रहे थे, जो मादा हिरण के रूप में थी। इस प्रकार, इस नक्षत्र/Nakshatra में जन्मे व्यक्ति के अलग अलग गुण और लक्षण होते हैं, जिन्हें नीचे दिया गया है।

  1. मृगशिरा नक्षत्र एक मृदु (कोमल) नक्षत्र है।
  2. इनमें भावनाएं और सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है।
  3. मृगशिरा रत्नों के प्रति प्रेम रखता है और संवेदनात्मक भोग शक्ति इसकी विशेषता होती है।
  4. मृगशिरा नक्षत्र / Mrigashira Nakshatra का वैकल्पिक प्रतीक, सोम से भरा एक बर्तन है।
  5. इसका आनंद, आराम और लैंगिक गतिविधियों से गहरा लगाव है।
  6. यह नक्षत्र पौधों पर स्वामित्व प्राप्त करके, आत्मसंतुष्टि पाने का इच्छुक होता है।

 

इन सब लक्षणों को मिलाने पर, मृगशिरा नक्षत्र से निकलने वाले निम्नलिखित सूक्ष्म बिंदु या विषय पता चलते हैं:

  1. आध्यात्मिकता
  2. ध्यान
  3. मादक द्रव्यों का सेवन
  4. मनोलैंगिक विकास
  5. चेतना की बदली हुई स्थितियां
  6. कई संबंधों द्वारा आनंद की तलाश
  7. इत्र से प्रभावित
  8. मादकता
  9. शराब बनाना
  10. नाजायज संतान।

 

मृगशिरा नक्षत्र में जन्में कुछ प्रसिद्ध हस्तियां / Some Famous Personalities born in Mrigsira Nakshatra

इस नक्षत्र / Nakshatra में जन्मे बहुत से लोग अपने जीवन में अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं। उनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं: 

बी. वी. आर. रमन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सलमान रुशदी, भारतीय अभिनेता अशोक कुमार, ब्रुक शील्ड्स आदि।

 

नाड़ी के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र का सक्रिय होना / Activation of Mrigsira Nakshatra as per Nadis

नाड़ियों के अनुसार, मृगशिरा नक्षत्र विशेष वर्षों में सक्रिय होकर कुछ भावों और लक्षणों को निम्नानुसार प्रभावित करते हैं: 

  1. 25 वें वर्ष में मृगशिरा नक्षत्र के सक्रिय होने पर,‌ जातकों पर अलगावों और दोषारोपण के कारण अपना निवास स्थान छोड़ना पड़ सकता है।
  2. 34 वें वर्ष में यह नक्षत्र सक्रिय होकर अपने साथ 5वें, 10वें और 11वें भाव को भी सक्रिय कर देता है।
  3. 50वें वर्ष में मृगशिरा फिर से सक्रिय होकर जीवनसाथी और बच्चों के साथ कुछ गलतफहमियों के कारण  अलगाव को मजबूर कर सकती हैं। 

उपरोक्त बिंदु शोध के विषय हैं और परिणामों पर पहुंचने के लिए बहुत विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किए जाने चाहिए।

 

अंत में, एक बार फिर से इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति वह होता है जिसका लग्न या लग्न का स्वामी या चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में आता है। वैदिक ज्योतिष / Vedic astrology के इन सामान्य दिशानिर्देशों को, किसी विशेष कुंडली में हमेशा किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेने का सुझाव दिया जाता है।

 

मृगशिरा नक्षत्र विदेश यात्रा और निपटान और व्यापार ज्योतिष से संबंधित है। तो यह एक नया व्यवसाय शुरू करने के लिए एक बहुत ही शुभ नक्षत्र है। इसके अलावा इस नक्षत्र में विदेश यात्रा करना भी बहुत शुभ होता है।

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