हस्त नक्षत्र | Hasta Nakshatra - प्रेरणा देने वाला नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष/ Vedic Astrology में हस्त नक्षत्र का 27 नक्षत्रों में 13वां स्थान है। हस्त नक्षत्र/ Hasta Nakshatra के मुख्य विषयों, लक्षणों, पौराणिक कथाओं और सक्रियता के बारे में हम विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे।
हस्त का अर्थ है- हाथ, या .यूं कहें कि एक फैला हुआ हाथ, जिसका प्रतीक सूर्य है। इस नक्षत्र/ Nakshatra की आकृति में उँगलियाँ किरणों को और हथेली स्वयं सूर्य को दर्शाती हैं। यह हास्य, वाक्पटुता और व्यंग्य से संबंधित एक विश्वसनीय नक्षत्र है।
१. इस नक्षत्र/Nakshatra के व्यक्ति तीक्ष्ण विचारक और वाक्-पटु होते हैं।
२. इस नक्षत्र का संबंध हाथी से है।
३. इस नक्षत्र का एक और अर्थ रहस्यपूर्ण मुस्कान और उल्लास है।
४. इसका मूल स्वभाव शरारती होता है।
हस्त नक्षत्र के देवता सवितुर हैं/Deity of Hasta Nakshatra is Savitur:
हस्त नक्षत्र से संबंधित देवता, दिन शुरू करने की प्रेरणा देने वाले सौर देव 'सवितुर' हैं। आमतौर पर, सुबह उठने पर लोगों को अपने हाथों की ओर देखना चाहिए और अपने हाथों द्वारा अच्छे कार्यों को करने के लिए 'सवितुर' से प्रार्थना करनी चाहिए। इस नक्षत्र के वैकल्पिक नाम सूर्य और सौर सिद्धांतों से संबंधित 'भानु' या 'अर्क्य' हैं।
प्रेरणादायक देव सवितुर बच्चे के जन्म में सहायक और जीवन दाता हैं। इस प्रकार, संतति और हस्त नक्षत्र के बीच एक संबंध है। प्रजनन क्षमता द्वारा रचनात्मकता इस नक्षत्र का एक अन्य उपयोग है।
हस्त नक्षत्र को चलाने वाली ऊर्जाएं:/Energies Running Hasta Nakshatra:
हस्त नक्षत्र को कन्या राशि का शासक बुध और दूसरा हस्त नक्षत्र/Hasta Nakshatra का शासक चंद्रमा है। यह दो ऊर्जाएं इस नक्षत्र को संचालित करती हैं, जो हमारे अंदर बुद्धि और मन की शक्ति को उत्पन्न करती हैं। इसलिए, गायत्री मंत्र के जाप से हस्त नक्षत्र के आह्वान द्वारा, व्यक्ति आंतरिक आध्यात्मिक अस्तित्व को जागृत कर सकता है।
हस्त नक्षत्र के व्यक्ति इस प्रकार के होते हैं
1. विनोदपूर्ण
2. लोगों को प्रेरित करने वाले अच्छे और श्रेष्ठ सार्वजनिक वक्ता होते हैं।
3. ऊर्जाओं को उचित दिशा देकर, जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।
हस्त नक्षत्र की पौराणिक कथा:/Mythology of Hasta Nakshatra:
प्रजापति दक्ष (पूर्व पुस्र्ष) यज्ञ:/Prajapati Daksha (Progenitor) Yagna:
प्रजापति दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें भगवान शिव और उनकी पत्नी सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया क्योंकि इसके पीछे कारण यह था कि प्रजापति दक्ष की पुत्री सती ने अपने पिता की सहमति के बिना शिव से विवाह किया था।
भांग पीने और श्मशान में रहने वाले और निर्वासित माने जाने वाले शिवजी को देखकर प्रजापति दक्ष क्रोधित हो गए थे। यज्ञ में न बुलाए जाने के बावजूद सती, यह सोचकर यज्ञ में शामिल होने जाती हैं कि उनके पिता उन्हें माफ कर देंगे।
लेकिन प्रजापति दक्ष द्वारा उन्हें और उनके पति को सबके सामने अपमानित करने पर, अपमान वश सती यज्ञ की जलती हुई अग्नि में कूदकर अपने प्राण दे देती हैं। इस बारे में पता चलने पर भगवान शिव क्रोधित होकर महाकाली, वीरभद्र और काल भैरव को यज्ञ में उपस्थित सभी लोगों का नाश करने और मारने के लिए भेजते हैं। तब अन्य देवताओं को नुकसान पहुंचाने के अलावा, काल भैरव ने 'सवितुर' का हाथ काट दिया था।
समानता का व्यवहार/Using the analogy:
बाद में, सवितुर की कटी हुई भुजाओं को 'सुनहरी भुजाओं' में बदल दिया गया था इसलिए, उन्हें सुनहरे हाथों वाले 'हिरण्य हस्त' भी कहा जाता था। अतः, हस्त नक्षत्र स्वर्ण भुजाओं से भी संबंधित है।
हस्त नक्षत्र की सक्रियता की अच्छी चीजें:/Things best done While Hasta Nakshatra is Operating:
अश्विनी नक्षत्र के अनुसार, हस्त नक्षत्र एक लघु और शीघ्र (हल्का और तीव्र) नक्षत्र है। इस नक्षत्र की सक्रियता दवाओं के प्रबंधन, IVF (आईवीएफ) या डॉक्टर की सलाह के अच्छे परिणामों की प्राप्ति में सहायक होती है।
सवितुर की अन्य समानता:/Another Analogy of Savitur:
सवितुर सूर्य की पहली किरणें हैं। अश्विनी कुमार उषा और फिर उसके भाई सवितुर का अनुसरण करते हुए आते हैं। इस तरह, उषा सवितुर के आने और चमकने का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस सादृश्यता का उपयोग:/Using this analogy:
हस्त नक्षत्र के लोगों के लिए, उनकी बहन या बहन जैसा व्यक्ति उनके जीवन (करियर, जीवन में बदलाव) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उनका मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
हस्त नक्षत्र के विषय और गुण:/Traits, Themes of Hasta Nakshatra:
इस नक्षत्र के फैले हुए हाथ के अतिरिक्त एक और प्रतीक 'बंद मुट्ठी' है जिससे उत्पन्न होने वाले मुख्य विषय इस प्रकार हैं:
१. यह बंद मुट्ठी झगड़ों, गोपनीयता और दृढ़ संकल्प से संबंधित होती है।
२. हस्त नक्षत्र का तीसरा प्रतीक कुम्हार का चक्का है, जो जीवन को आकार देने में हाथ की अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
३. हालांकि, हस्त नक्षत्र/Hasta Nakshatra के लोग समय का पालन करने वाले होते हैं, लेकिन हस्त नक्षत्र के हानिकारक प्रभावों के कारण, अत्यंत बुरे समय का भी सामना करना पड़ सकता है।
हस्त नक्षत्र की विशेषताएं:/Characteristics of Hasta Nakshatra:
इस नक्षत्र की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं:
• मांसल
• युवा
• बाल-सुलभ
• अस्वाभाविक व्यवहार
• उच्च ज्ञान और सीखने की लगन
किसी भी नक्षत्र के लिए कौन सा भाव महत्वपूर्ण होता है?/What house which becomes Significant for any Nakshatra?
किसी भी नक्षत्र को लग्न भाव के साथ देखने पर पता चलता है कि कुंडली में इस नक्षत्र का स्वामी किस भाव में आता है। इस नक्षत्र/Nakshatra के लिए वह मुख्य भाव होता है। उदाहरण के लिए- हस्त नक्षत्र को लग्न (छठे भाव) में स्थित करने से पर, इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्रमा होता है, जो यहां 11वें भाव का स्वामी (कर्क) है। परिणामस्वरूप, इस नक्षत्र के जातकों के लिए 11वें भाव का विशेष महत्व होता है।
हस्त नक्षत्र के लक्षण/Themes of Hasta Nakshatra
• बुद्धिमान, विवाद कर्ता, चतुर वक्ता, बुद्धिमान और विनोदी।
• व्यक्तिगत लाभ के लिए षड्यंत्रकर्ता और चालाक।
• हाथों द्वारा उपचार के तौर-तरीके।
• रोमांचक और रैकेट वाले खेलों में सफल।
• ज्योतिष और हस्तरेखा शास्त्र में पारंगत।
• कला, नाटक, संगीत और चित्रकला में सफल।
• छल, जादू, कठपुतली, करतब और विभिन्न प्रकार की आवाज निकालने वाले।
हस्त नक्षत्र में जन्मे कुछ प्रसिद्ध हस्तियां/Some famous personalities born in Hasta Nakshatra
ऊपर वर्णित विशेषताओं ने दुनिया को कुछ सबसे प्रसिद्ध व्यक्तित्व दिए हैं। इनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं:
फिदल कास्त्रो, स्वामी विवेकानंद, जोसेफ स्टालिन, लाल बहादुर शास्त्री, पोप बेनेडिक्ट सोलहवें आदि।
नाड़ियों के अनुसार हस्त नक्षत्र की सक्रियता/ Activation of Hasta Nakshatra as per Nadis
नाड़ियों के अनुसार, हस्त नक्षत्र कुछ विशेष वर्षों में सक्रिय हो जाता है, जिनकी चर्चा यहां की गई है:
१. यह नक्षत्र पहली बार छठे वर्ष में सक्रिय होता है।
२. कुंडली के अनुसार, दूसरी बार यह 24वें वर्ष में सक्रिय होता है।
३. तथा, तीसरी बार यह नक्षत्र 68वें वर्ष में सक्रिय होता है।
हमारे द्वारा इस नक्षत्र की पेचीदगियों को समझाने की कोशिश की गई है। कृपया, इन्हें चार्ट में बहुत विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग करना चाहिए। ये कारक वैदिक ज्योतिष के समग्र सिद्धांतों पर आधारित है, इसलिए किसी भी विशेष प्रश्नों के लिए, किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है।
वैदिक ज्योतिष/ Vedic astrology के अनुसार, किसी व्यवसाय के नामकरण और बच्चे के नामकरण में नक्षत्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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