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Ashlesha Nakshatra | अश्लेषा नक्षत्र को क्यों जहर की जलन वाला नक्षत्र कहा जाता है।

वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में से अश्लेषा नक्षत्र/Ashlesha nakshatra 9वें स्थान पर आता है। यह पहला 'गंडांत' नक्षत्र है (जिसमें 'गंड' का अर्थ है- गांठ और अंत का अर्थ है- समाप्त या आध्यात्मिक अंत), जहां दोनों नक्षत्रों के भावों का अंत होता है। अश्लेषा नाम इसकी शक्तियों (रचनात्मक विभागों) 'विष आश्लेषण शक्ति' से आता है, जिसमें विष का अर्थ है- ज़हर और अश्लेषा का अर्थ है- जलना अर्थात जहर की जलन।

अश्लेषा नक्षत्र/ Ashlesha Nakshatra, रीढ़ के आसपास कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने से भी संबंधित है।

इस नक्षत्र से संबंधित सभी राशियों में विष तत्व होने के कारण, यह नक्षत्र अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए विष उत्पन्न कर सकता है। 

इस नक्षत्र में स्थित सभी ग्रहों के कारकत्वों में विष हो सकता है। उदाहरण के लिए, चतुर्थ भाव के स्वामी के, चतुर्थ भाव में होने पर मानसिक शांति गुम हो सकती है।

अश्लेषा नक्षत्र- परिवर्तन का नक्षत्र/The Nakshatra of Transformation

इस नक्षत्र का संबंध परिवर्तन से भी है। जिस प्रकार सांप अपनी त्वचा को छोड़ते समय, अपनी आंखें बंद होने के कारण शीत निद्रा में चला जाता है, उसी प्रकार अश्लेषा नक्षत्र में दृष्टि दयनीय हो सकती है या अंतर्दृष्टि खराब हो सकती है। इस नक्षत्र में काम-वासना जगाने की क्षमता और कामुकता काफी अधिक होने पर, आंखें सम्मोहित कर सकती हैं।

इस नक्षत्र के जातक, लोगों को कष्ट पहुंचा, सकते हैं। अश्लेषा नक्षत्र/Ashlesha Nakshatra में मंगल नीच का होता है, जो अपनी नकारात्मक ऊर्जा से कार्य करता है और बिना चोट पहुंचाए भी नुकसान पहुंचा सकता है।

अश्लेषा नक्षत्र- तीक्ष्ण नक्षत्र/Ashlesha Nakshatra- The Tikshna Nakshatra

आर्द्रा, ज्येष्ठा और मूल की तरह, अश्लेषा नक्षत्र एक 'तीक्ष्ण नक्षत्र' है, जिसका अर्थ है- भयानक नक्षत्र। इस नक्षत्र का सीधा संबंध उपचार या ठीक होने से होता है। लेकिन इस उपचार को आप स्वस्थ नहीं कह सकते, क्योंकि यह कीमोथेरेपी जैसा नकारात्मक उपचार से संबंध रखता है। इस प्रक्रिया को नकारात्मक इसलिए कहा जाता है क्योंकि जहर के माध्यम से आपके शरीर के कुछ अच्छे कोशिकाओं को रोग से ठीक करने के लिए उसे समाप्त करना पड़ता है। यही कारण है कि इस प्रकार के उपचारों के  लिए अश्लेषा नक्षत्र सही है।

अश्लेषा नक्षत्र की विशेषताएं/Characteristics of Ashlesha Nakshatra

१. अश्लेषा नक्षत्र एक 'अधोमुख' नक्षत्र है, जिसका मुख नीचे की ओर होता है। चालबाजी करने वाले, अंडरवर्ल्ड और संदिग्ध लोगों जैसी सभी भूमिगत गतिविधियां इस नक्षत्र के अंतर्गत आती हैं। 

२. राशि चक्र में सबसे लंबे नक्षत्रों में से एक, अश्लेषा नक्षत्र से संबंधित देवता 'नाग' हैं। नाग 'पाताल लोक' को नियंत्रित करते हैं। यह नक्षत्र आकस्मिकता से जुड़े होने के कारण लोगों को हैरान कर सकता है। इन जातकों में दुर्घटना की संभावनाएं भी होती हैं।

३. यह लोग अपने जीवन में भेदभाव या सताया हुआ महसूस करते हैं।

अश्लेषा नक्षत्र की पौराणिक कथाएं/Mythology of Ashlesha Nakshatra

यह वृंदावन के निवासियों पर कहर बरपाने वाले, की सिर वाले नाग कलिंग और श्रीकृष्ण की कहानी है।  उसे श्रीकृष्ण ने पकड़कर, उसके सिर पर नृत्य करके, उसे नियंत्रित किया था।

इस पौराणिक कथा का प्रयोग कैसे होता है/How to use this mythology:

अश्लेषा नक्षत्र के जातक अत्यधिक अहंकारी होते हैं और इन जातकों को अपने जीवनकाल में एक कृष्ण मिलता है जो उनके द्वारा थूके गए जहर को खींचकर रोक देता है।

दूसरी पौराणिक कथा/Second Mythology

वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग करके, समुद्र मंथन के समय राक्षसों ने वासुकी का सिर (राहु) और देवताओं द्वारा पूंछ (केतु) ली गई थी। मंथन के समय वासुकी नाग द्वारा विष (हलाहल) उगलने पर, मंथन में  समस्या आने पर शिवजी ने हलाहल पी लिया ताकि मंथन बिना किसी समस्या के चल सके।

इस पौराणिक कथा का प्रयोग कैसे होता हैHow to use this Mythology:

शिव में संसार का सारा हलाहल पीने की क्षमता होने के कारण, अश्लेषा नक्षत्र की कपट भरी नकारात्मकता का शिवजी ही उपचार कर सकते हैं। 

तीसरी पौराणिक कथा/The third Mythology

कश्यप मुनि की तेरह पत्नियां थीं। कद्रू और विनाका, इन दो पत्नियां संतान की इच्छुक थीं। कद्रू बहुत सारे बच्चे चाहती थी, इसलिए उसने एक हजार सांपों को जन्म दिया। जबकि विनका कम लेकिन बुद्धिमान बच्चे चाहती थी, इसलिए उसने दो को जन्म दिया। विनका का एक पुत्र अरुण, सूर्य भगवान के लंगड़े सारथी बन गए, जबकि दूसरा गरुड़ बन गया। एक बार कद्रू और विनका के बीच सरपट दौड़ते घोड़े की पूंछ के रंग की पहचान करने की शर्त लगी, जिसमें हारने वाले को अपनी स्वतंत्रता खोकर, दूसरे का गुलाम बनना था। कद्रू ने अपने सर्प पुत्रों को घोड़े की सफेद पूंछ को काला करने के लिए भेजा। परिणामस्वरुप, विनका ने रंग को गलत बताया और बाजी हार गई। वह, अपने बेटों के साथ, कद्रू द्वारा गुलाम बना ली गई थी, जो सरासर धोखा था। अंततः, गरुड़ को इसके बारे में पता चला और तब से, गरुड़ और नाग कभी नहीं मिलते।

अश्लेषा नक्षत्र/Ashlesha Nakshatra के जातकों के लिए इस पौराणिक कथा से पता चलने वाले विषय, जिनका वे सहारा लेते हैं:

• हेरा-फेरी 

• धोखा 

• स्वार्थी

• चालाकी

• गोपनीयता

अश्लेषा नक्षत्र के जातकों के विषयगत लक्षण/ Themes, traits of Ashlesha Nakshatra natives:

अश्लेषा नक्षत्र के व्यक्तियों के मूल लक्षणों और विषयों को समझना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इनके अधिकांश लक्षण या आदतें कपटी रूप में होती हैं इसलिए इन लोगों को उनके चेहरे से समझना बहुत मुश्किल होता है। इन पौराणिक कथाओं के अनुसार, अश्लेषा नक्षत्र के जातक इनका सहारा लेते हैं:

• हेरा-फेरी 

• धोखा 

• स्वार्थी

• चालाकी

• गोपनीयता

इन जातकों की इन निम्नलिखित बुनियादी अदृश्य आदतों और विशेषताओं के कारण इनको समझना मुश्किल होता है- 

१. कामुकता

२  आकर्षक और सम्मोहक आंखें

३. अत्यधिक भेद

४. अंडरवर्ल्ड कनेक्शन

५. अत्यधिक अहंकारी

६. रहस्यवादी

७. कपटी

८. धोखेबाजी और हेरा-फेरी

९. झूठ और छद्मरूप

१०. निर्दयता 

११. संगदिल 

अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे कुछ प्रसिद्ध हस्तियां/Some famous personalities born in Ashlesha Nakshatra

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले कई व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में विश्व में प्रसिद्ध हुए हैं। उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं: 

महारानी एलिजाबेथ, जवाहर लाल नेहरू, जेन फोंडा, डॉ मनमोहन सिंह, ध्यानचंद (भारतीय हॉकी के दिग्गज), सचिन देव बर्मन (महान भारतीय संगीतकार)।

अश्लेषा नक्षत्र की नाड़ियों के अनुसार सक्रियता/ Activation of Ashlesha Nakshatra as per Nadis

जातक के जीवन काल में अश्लेषा नक्षत्र तीन बार सक्रिय होता है जो इस प्रकार हैं:

1. इस नक्षत्र में स्थित ग्रह 17वें वर्ष में सक्रिय होते हैं।

2. इस नक्षत्र में स्थित ग्रह 30 वें वर्ष में सक्रिय होकर फलदायक होते हैं।

3. 41 वें वर्ष में अश्लेषा नक्षत्र सक्रिय होकर उन भावों का विशेष फल देता है जिनके स्वामी ये ग्रह हैं।

चार्ट का अध्ययन करते समय अश्लेषा नक्षत्र को हंसी मजाक में न लेते हुए, विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग करना होता है। वैदिक ज्योतिष/Vedic astrology के इन सामान्य दिशानिर्देशों को, जातकों पर विशिष्ट परिणामों को समझने के लिए किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है।

वैदिक ज्योतिष/ Vedic astrology के अनुसार, किसी व्यवसाय के नामकरण और बच्चे के नामकरण में नक्षत्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ज्योतिष/astrology में 27 नक्षत्र होते हैं। अन्य 26 नक्षत्रों की समान अंतर्दृष्टि के बारे में पढ़ने के लिए ज्योतिष में सभी नक्षत्रों पर क्लिक करें।

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