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कुंडली में अंगारक दोष

अंगारक दोष

ज्योतिष शास्त्र में मंगल के अनेक नाम बताए गए हैं, जिनमें से एक नाम अंगारक भी है।  अंगारक दोष/Angarak Dosha का निर्माण मंगल का राहु-केतु के साथ होने से बनता है। मंगल और राहु/केतु की कुंडली में अंगारक दोष बनाते हैं। अंगारक दोष को एक अशुभ योग या दोष माना जाता है। इस दोष का प्रभाव व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियां देता है। जब कुंडली में मंगल और राहु/केतु जिस किसी भी भाव में एक साथ स्थित हों तो उस भाव से संबंधित फलों को कम करने वाले और संबंधित परेशानी बढ़ाने वाले हो सकते हैं।  

यह दोष राहु/Rahu और मंगल/Mangal की स्थिति के कारण कुंडली की शुभता को प्रभावित करता है। व्यक्ति के जीवन पर भी इसका प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है। मंगल तथा राहु/केतु अग्नि के समान होते हैं। इनका एक साथ आना स्वयं में एक बड़ा दोष बन जाता है "अंगारक दोष" में जहां मंगल अग्नि के समान है वही राहु/केतु धुएं को दिखाते हैं।  ऎसे में इन दोनों का एक साथ होना कई प्रकार से कष्ट को दर्शाने वाला होता है।  

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अंगारक दोष

 

केन्द्र त्रिकोण में बनता योग

प्रत्येक योग चाहे वह शुभ हो या अशुभ उसके भीतर कुछ ऎसे तथ्य समाहित होते हैं, जो उस योग के प्रभावों को व्यक्ति के जीवन में कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं। इसी स्थान पर जब अंगाकरक दोष की बात आती है तो यह दोष भी अपनी कुछ प्रवृत्तियों को दर्शाता है, लेकिन उसके प्रभाव में भिन्नता भी दिखाई दे सकती है।  अंगारक दोष यदि केन्द्र अथवा त्रिकोण भाव में बनता है तो जीवन पर इसके अलग प्रभाव देखे जा सकते हैं। 

इसी के साथ जब यह कुंडली के 3, 6, 8 भाव में बनता है, तो यह अपना अलग प्रभाव देने वाला हो सकता है।  इस कारण से यह योग कुंडली के किस स्थान पर बन रहा है तथा इसके साथ अन्य ग्रह एवं भावों का संबंध कैसा है इन तथ्यों पर भी विचार करना अत्यंत आवश्यक होता है।  क्योंकि पाप ग्रहों का प्रभाव वैसे भी कुछ स्थानों के लिए अनुकूलता देने में सहायक होता है तो कुछ स्थानों में दुष्कर प्रभाव देता है। इस योग के भाव स्थान एवं ग्रह प्रभाव का परिणाम जातक को नकारात्मकता तो देगा लेकिन कुछ ऎसी सकारात्मकता भी देगा जो उसके जीवन को एक विशेष दिशा देने में सहायक होगी।  

जन्म कुंडली में अंगारक दोष की जांच कैसे की जाए 

कुंडली में इस योग के बनने की पुष्टि होने के पश्चात इसमें अन्य बातों को समझने की आवश्यकता होती है जिसमें राशि, नक्षत्रों और नवांश/navamsa इत्यादि चार्ट में मंगल और राहु की स्थिति किस प्रकार की है।  एक अन्य विचार जो ग्रंथों से प्राप्त होता है, वह है कि यदि अंगारक दोष मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु, मकर या मीन राशि में बनता है, तो यह स्थिति कुछ अशुभता में कमी दर्शा सकता है । क्योंकि इन स्थानों पर मंगल को राहु से अधिक मजबूती प्राप्त होती है तथा राहु का प्रभाव मंगल पर उस प्रकार का नहीं पड़ता है।  इसी के दूसरी ओर वृषभ , मिथुन, कर्क, तुला या कुंभ राशि में अंगारक दोष परेशानी का संकेत देता है।  

कुंडली में मौजूद कई ऎसी बारिकियों को समझने की आवश्यकता है, जो इस योग के असर को कम अथवा ज्यादा करती है। किसी भी योग को सामान्य रुप के अतिरिक्त उसके अन्य पहलुओं पर भी विचार करने की आवश्यकता होती है ओर एक योग्य ज्योतिषी ही इन बातों को समझा है और वह किसी व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करके बता सकता है की कुंडली में बनने वाला योग उसके जीवन को किस तरह से प्रभावित करेगा तथा किस प्रकार योग के अच्छे फलों को प्राप्त किया जा सकता है। 

ग्रह की शुभाशुभ स्थिति का प्रभाव 

अंगारक दोष में एक अन्य बात यह भी ध्यान रखने की जरुरत होती है कि कुंडली में स्थिति मंगल एवं राहु की स्थिति किस प्रकार की है। यदि मंगल और राहु की अशुभ स्थिति में है, तो यह स्थिति इस योग के दुष्प्रभावों को विकसित होने का एक बेहतर वातावरण देती है, इस के दूसरे पक्ष में यदि मंगल या राहु शुभ स्थिति में हैं तो ऎसे में यह प्रभाव अंगारक दोष की अशुभता को कुछ कम करने में भी बहुत मदद्गार सिद्ध हो सकता है।  

नकारात्मक प्रभाव

मंगल और राहु/केतु की युति होने के कारण व्यक्ति के जीवन पर कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलते हैं। जब राहु और मंगल युति बनाते हैं, तो निम्नलिखित प्रभाव दिखाई देते हैं - 

व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध व जिद्द की अधिकता देखने को मिल सकती है।  

इस के प्रभाव से आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है।  संपत्ति संबंधी मामलों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।  

व्यक्ति आक्रामक हो सकता है और जल्दबाजी में फैसले ले सकता है।  हो सकता है कि वह दूसरों की बातों को अधिक न मानना चाहे।  अपने आप को सबसे आगे रखने की कोशिश उसे घमंडी और स्वार्थी बना सकती है।  

परिवार से अलगाव या तनाव की स्थिति देखने को मिल सकती है।  

व्यक्ति काम करने में कुछ आलसी या फिर लापरवाह हो रह सकता है।  स्वार्थ उसे परेशान कर सकता है।  

कई बार मानसिक रुप से नकारात्मकता और बदले की भावना भी व्यक्ति में देखने को मिल सकती है।  

वैवाहिक जीवन में कष्ट व दुख उसको प्रभावित कर सकते हैं।  काम के क्षेत्र में गलतफहमी के कारण हार मिल सकती है।  

स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, डॉक्टरों और कोर्ट कचहरी का सामना अधिक करना पड़ सकता है।  

सकारात्मक प्रभाव

अशुभ योग भी अपनी अशुभता के भीतर भी कुछ सकारात्मकता लिए हुए होते हैं।  

अंगारक दोष जहां परेशानियां देता है वहीं वह व्यक्ति को ऎसे कार्यों को करने का साहस भी देता है जो सभी के संभव न हो।  

व्यक्ति को राजनीति की ओर झुकाव दे सकता है।  

व्यक्ति में अगर परिश्रमी और साहसी होगा तो वह जीवन में कई सफलताओं को भी पा सकता है।  

व्यापार में और साझेदारी में बहुत नाम व लाभ कमा सकता है।

FAQ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और मंगल ग्रह की युति होती है, तो उसे अंगारक दोष कहा जाता है। इस दोष को ज्योतिष शास्त्र में बहुत खतरनाक माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में अंगारक दोष होता है, वे सामान्यतः उग्र स्वभाव के होते हैं। उन्हें जल्दी गुस्सा आता है, और वे छोटी-छोटी बातों पर झगड़े कर सकते हैं। क्रोध में, वे हिंसा या हत्या करने से भी नहीं हिचकते।

विवाह में अंगारक दोष उठा-पठक ला सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में अंगारक दोष होता है, तो उनके विवाह में कुछ चुनौतियाँ आ सकती हैं। इस दोष के कारण विवाह में देरी हो सकती है और वैवाहिक संबंधों में परेशानी आ सकती है। पति-पत्नी के बीच बहस हो सकती है और स्थितियां मार पीट तक भी पहुँच सकती हैं। अंगारक योग तलाक भी करवा सकता है।

किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि राहु व मंगल की युति हो तो उस कुंडली में अंगारक दोष का निर्माण हो जाता है। कुंडली में मंगल के स्थिति और योगों को विशेष ध्यान से देखा जाता है ताकि अंगारक दोष की जांच की जा सके।

अंगारक दोष पूजा द्वारा, व्यक्ति अंगारक दोष के प्रभाव को कम कर सकता है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि को बढ़ा सकता है।

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